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    Land Registry: 17 दिसंबर से बदल जाएगी जमीन रजिस्ट्री की व्यवस्था, विक्रेता-खरीददारों को इन बातों का रखना होगा ध्यान

    Updated: Sat, 14 Dec 2024 02:39 PM (IST)

    निबंधन कार्यालय में 17 दिसंबर से रजिस्ट्री की व्यवस्था बदल जाएगी। इस तिथि से यहां ई-रजिस्ट्री से जमीन मकान संस्था आदि का निबंधन होगा। जिला निबंधन कार्यालय में यह लागू होने से बड़ी संख्या में जमीन क्रेता और विक्रेता को सुविधा होगी। जिला अवर निबंधक मनीष कुमार ने बताया कि ई-रजिस्ट्री से फर्जीवाड़ा रुकने के साथ कार्य में पारदर्शिता रहेगी। साथ ही लोगों को आसानी भी होगी।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    जागरण संवाददाता, मुजफ्फरपुर। जिला निबंधन कार्यालय में 17 दिसंबर से रजिस्ट्री की व्यवस्था बदल जाएगी। इस तिथि से यहां ई-रजिस्ट्री से जमीन, मकान, संस्था आदि का निबंधन होगा। इसकी तैयारी कर ली गई है। जिले में अवर निबंधन कार्यालय पारू, मोतीपुर, कटरा और सकरा में पहले से यह सिस्टम लागू है।

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    जिला निबंधन कार्यालय में यह लागू होने से बड़ी संख्या में जमीन क्रेता और विक्रेता को सुविधा होगी। जिला अवर निबंधक मनीष कुमार ने बताया कि ई-रजिस्ट्री से फर्जीवाड़ा रुकने के साथ कार्य में पारदर्शिता रहेगी। साथ ही लोगों को आसानी भी होगी।

    जमीन सत्यापन का पहले देना होगा आवेदन

    इस प्रक्रिया के तहत जिस जमीन या अचल संपत्ति की खरीद बिक्री की जाएगी उसके सत्यापन का पहले आवेदन देना होगा। इसकी जांच के बाद निबंधन कार्यालय की ओर से स्टांप और निबंधन शुल्क की जानकारी आवेदक को दे दी जाएगी। इसके आधार पर आवेदक चालान एवं जमीन की डीड तैयार कराएंगे।

    दस्तावेज तैयार कराने के बाद सिटीजन पोर्टल पर जाकर इसका विवरण भरना होगा। विवरण भरने के बाद आवेदक को जमीन की खरीद-बिक्री का स्टॉक मिल जाएगा। साथ ही ऑटोमेटिक यह भी तय हो जाएगा कि निबंधन की आगे की प्रक्रिया जिला निबंधन कार्यालय में किस आपरेटर को करनी है।

    यहां आवेदक द्वारा भरे विवरण को वेरीफाई किया जाएगा। तैयार डीड के साथ अन्य डाटा का सत्यापन होने के बाद आगे की प्रक्रिया सहायक के स्तर से होगी। यहां सभी डाटा एवं डीड की जांच के बाद बायोमीट्रिक की प्रक्रिया शुरू होगी।

    फर्जीवाड़ा रोकेगा सभी का आधार वेरिफिकेशन

    सहायक स्तर से जांच के बाद क्रेता, विक्रेता, गवाह की बायोमीट्रिक होगी। इसमें सभी के आधार कार्ड का सत्यापन किया जाएगा। साथ ही इन सभी की केवाला डीड में आधार में लगी और वर्तमान तस्वीर को प्रिंट किया जाएगा। इससे बाद में कोई यह दावा नहीं करेगा कि उसने जमीन नहीं बेची या खरीदी थी।

    गवाह भी नहीं मुकर सकेंगे। सभी डाटा को आधार नंबर के साथ दर्ज कर लिया जाएगा। इससे देश में कहीं से भी यहा जांच हो सकेगी किस आधार संख्या से कब और कहां जमीन बेची या खरीदी। इसके सत्यापन के लिए संबंधित निबंधन कार्यालय से निर्भरता समाप्त हो जाएगी।

    जिला अवर निबंधक फाइनल करेंगे दस्तावेज

    इस प्रक्रिया के बाद जिला अवर निबंधक के स्तर से दस्तावेज को फाइनल किया जाएगा। वहीं पर विक्रेता व गवाह का एकरारनामा भी होगा। अगर विभाग से दिए गए स्लाट में कोई व्यक्ति जमीन केवाला नहीं करा पाता है तो उसे फिर नई तिथि दी जाएगी।

    समय और पैसे की होगी बचत

    • इस प्रक्रिया से जमीन निबंधन में समय की बचत होगी। लोग पहले से सभी दस्तावेज तैयार रखेंगे। जमीन की जांच पहले ही हो जाने से आगे की बाधा नहीं रहेगी।
    • वहीं, पहले से ही डाटा फीड रहने से निबंधन कार्यालय के कर्मचारियों पर काम का दबाव कम होगा। इससे निबंधन की संख्या बढ़ेगी। इसके अलावा किसी तरह की अतिरिक्त राशि खर्च नहीं करनी होगी।

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