Bihar Politics: मटिहानी विधानसभा सीट पर सियासी सरगर्मी, बोगो सिंह राजद में शामिल; माकपा ने ठोका दावा
बेगूसराय की मटिहानी सीट पर महागठबंधन में घमासान मचा है। पूर्व विधायक बोगो सिंह ने राजद में शामिल होकर दावेदारी पेश की है जबकि 2020 में यह सीट माकपा के खाते में गई थी। लोजपा से जीते राजकुमार सिंह के जदयू में शामिल होने से बोगो सिंह असहज थे। अब सभी दलों की निगाहें हाईकमान के फैसले पर टिकी हैं।
रूपेश कुमार, बेगूसराय। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मटिहानी सीट को लेकर महागठबंधन में विवाद उत्पन्न हो गया है। चार बार विधायक रह चुके नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की सदस्यता ग्रहण करने का दावा करते हुए इस सीट से अपनी दावेदारी पेश की है।
दूसरी ओर, मटिहानी सीट 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के तहत मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के खाते में गई थी। उस चुनाव में लोजपा के उम्मीदवार वर्तमान में जदयू विधायक राजकुमार सिंह ने जदयू उम्मीदवार नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह को मात्र 333 वोट से हराया था।
वहीं, माकपा के राजेंद्र सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। वे राजकुमार सिंह से मात्र 765 वोट से हारे थे। इस आधार पर माकपा इस बार भी इस सीट पर अपनी दावेदारी को मजबूती से पेश कर रही है।
पिछले चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के टिकट पर विजयी हुए राजकुमार सिंह के जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल होने से बोगो सिंह असहज महसूस कर रहे थे, क्योंकि राजकुमार सिंह ने ही उन्हें हराया था। राजकुमार के जदयू में शामिल होने के बाद से बोगो सिंह का रुख बदल गया था।
2024 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने एनडीए उम्मीदवार के खिलाफ खुलकर विरोध किया था और महागठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में बयान दिए थे। अब पटना में तेजस्वी यादव के साथ मुलाकात और राजद में शामिल होने के दावे के बाद मटिहानी विधानसभा सीट पर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है।
बोगो सिंह ने कहा कि पटना में पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मिलने के बाद पूरी निष्ठा से पार्टी के कार्यों में लग गए हैं।
वहीं, इस संबंध में राजद के जिलाध्यक्ष मोहित यादव ने कहा कि उन्हें हाईकमान से किसी प्रकार की सूचना नहीं मिली है। राजद के कार्यकर्ता सभी विधानसभा क्षेत्र में हैं उनकी दावेदारी तो सातों सीट पर है, अब तक बेगूसराय के सातों विधानसभा के उम्मीदवार के रूप में 128 लोगों ने आवेदन किया है। अंतिम फैसला पार्टी के हाईकमान पर है।
इधर, मटिहानी विधानसभा सीट पर माकपा ने भी दावा ठोक दिया है। पार्टी के जिला सचिव रत्नेश झा ने कहा कि माकपा महागठबंधन के अंग के रूप में इस बार भी मटिहानी से चुनाव लड़ेगी। हालांकि उम्मीदवार का नाम अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता इस बार माकपा को समर्थन देगी।
वहीं लोजपा रामविलास से इंदिरा देवी लगातार जनता से संपर्क कर रही है। लोजपा के जिलाध्यक्ष प्रेम कुमार पासवान ने कहा कि मटिहानी सीट पर उनकी दावेदारी ज्यादा है पिछले बार लोजपा यहां से विजयी हुई थी। हालांकि पार्टी सुप्रीमो का आदेश का पालन किया जाएगा।
वहीं, जदयू विधायक राजकुमार सिंह ने 29 अगस्त को मटिहानी में एनडीए कार्यकर्ता मिलन समारोह की तैयारी कर रहे हैं। पूरे जिले का सबसे हॉट सीट माने जाने वाला यह विधानसभा में राजनीतिक विश्लेषक अपने गुणा-गणित में जुटे हुए हैं, लेकिन अंतिम फैसला सभी ने अपने हाईकमान पर ही छोड़ दिया है।
एक नजर में मटिहानी विधानसभा:
मटिहानी विधानसभा सीट का इतिहास भी हमेशा से रोचक रहा है। 1977 में बनी इस सीट पर अब तक CPI, कांग्रेस, जदयू, लोजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है।
सीपीआई के राजेंद्र राजन ने लगातार तीन चुनाव (1990, 1995, 2000) जीते, जबकि कांग्रेस के प्रमोद कुमार शर्मा ने 1980 और 1985 में जीत हासिल की।
2005 में निर्दलीय उम्मीदवार बोगो सिंह ने दोनों चुनाव जीतकर राजनीतिक हलचल मचाई। इसके बाद वे जदयू से 2010 और 2015 में विजयी हुए। 2020 में लोजपा के राजकुमार सिंह ने जीत दर्ज की, जो बाद में जदयू में शामिल हो गए।
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