Updated: Sat, 09 Aug 2025 05:49 PM (IST)
बांका में शिक्षक अंकित कुमार डिजिटल शिक्षा के माध्यम से ग्रामीण बच्चों को सशक्त बना रहे हैं। वे विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा बनाए गए वीडियो लेक्चर को ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध करा रहे हैं जिससे 9वीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों को लाभ हो रहा है। बीपीएससी से चयनित अंकित ने सरकारी स्कूलों में ई-कंटेंट पहुंचाकर शिक्षा में नवाचार किया है।
राहुल कुमार, बांका। पढ़ाई का डिजिटलाइजेशन दुनिया के साथ अपने देश में भी तेजी से बढ़ रहा है। अब बांका के सुदूर गांवों में बैठे बच्चे भी बिन गुरु विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्मों से पढ़ाई कर आगे बढ़ रहे हैं। यूएचएस लश्करी रजौन के कम्प्यूटर शिक्षक अंकित कुमार सरकारी विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों के लिए ई-कंटेंट बनाने का नवाचार कर रहे हैं।
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पिछले छह महीने में वे पांच दर्जन से अधिक विषयों पर विशेषज्ञ शिक्षकों के माध्यम से वीडियो लेक्चर तैयार करवाकर बच्चों तक पहुंचा चुके हैं। जिला प्रशासन के फेसबुक पेज के अलावा उन्नयन ई-कंटेंट के फेसबुक पेज और यू-ट्यूब चैनल से वे इसे बच्चों तक पहुंचा रहे हैं। इसमें अधिकांश लेक्चर 9वीं से लेकर 12वीं तक की कक्षाओं का है।
दो साल पहले BPSC में हुआ है चयन
इसकी पढ़ाई पहले बांका जैसे कस्बाई शहर में भी मुश्किल होती थी। अधिकांश सरकारी विद्यालय इस वीडियो लेक्चर को अपने उन्नयन क्लास में दिखाकर बच्चों का लाभान्वित करा रहे हैं। कोई भी बच्चा इस पेज पर आकर पढ़ाई कर सकता है।
अंकित बस दो साल पहले ही बीपीएससी से चयनित होकर 11-12वीं कक्षा के विद्यालय अध्यापक बने हैं। उनका विषय कम्प्यूटर साइंस है। शिक्षक बनने से पहले अंकित गुड़गांव के स्पाइसजेट एयरलाइंस में साफ्टवेयर डेवलपर की नौकरी कर रहे थे। वे मूल से रूप से रजौन किफायतपुर के रहने वाले हैं। नवंबर 2023 में अपने जिला में शिक्षक की नौकरी मिलने पर वे बांका लौट आए और जमदाहा उच्च विद्यालय में योगदान किया।
कम उपस्थिति देखकर आया आइडिया
विद्यालय की इंटर कक्षाओं में बच्चों की कम उपस्थिति देखकर वे शुरु में परेशान रहे। मगर कुछ करने की जिद में शिक्षक अंकित को नया प्लेटफार्म मिल गया। पिछले जिलाधिकारी के प्रयास से आरएमके स्कूल कैंपस में वीडियो लेक्चर तैयार करने का लैब भी तैयार हुआ। अंकित ने विद्यालय से अतिरिक्त फ्लस, कैमरा, एक्शन का काम संभाला।
सरकारी विद्यालयों में परंपरागत तरीके से पढ़ाने वाले शिक्षकों को प्रोत्साहित कर कैमरा के सामने पढ़ाने को तैयार किया। वीडियो की ई-साग्रमी से लेकर इसकी एडिटिंग का सारा काम खुद संभाला। बस कुछ दिनों की मेहनत में ही वीडियो मोबाइल से बच्चों तक पहुंचने लगा। अपने बीच के शिक्षकों को डिजिटल प्लेटफार्म पर पढ़ाते देख बच्चों में भी खूब उत्सुकता बढ़ी।
काफी कम समय में ही यह वीडियो गांव-गांव के बच्चों तक पहुंच रहा है। अंकित कहते हैं कि शिक्षा का डिजिटलाइजेशन तेजी से हो रहा है। कक्षा से बाहर भी हर शिक्षक को अपना बेहतर देने का प्रयास करना चाहिए। वे भी इसे पूरा करने का प्रयास करते हैं। इससे उन्हें आत्मसंतुष्टि मिलती है। इस अभियान को लगातार आगे बढ़ाना है।
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