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    दशहरा से पहले सरकारी कर्मचारियों को तोहफा, 70 करोड़ की सैलरी से मेले में आएगी रौनक

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 06:49 PM (IST)

    दुर्गापूजा के अवसर पर सरकार ने कर्मचारियों को त्योहार के खर्चों के लिए लगभग 70 करोड़ रुपये का वेतन जारी किया है जिसमें शिक्षकों को 60 करोड़ रुपये मिले हैं। इस फैसले से दशहरा मेला में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है क्योंकि कर्मचारी मिठाई कपड़े और अन्य सामानों पर खर्च करेंगे। तकनीकी कारणों से कुछ शिक्षकों को अभी तक वेतन नहीं मिल पाया है।

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    वेतन के 70 करोड़ से बूम करेगा दशहरा मेला

    जागरण संवाददाता, बांका। दुर्गापूजा मेला में खर्च के लिए सरकार ने महीना पूरा होने से पहले करीब 70 करोड़ रुपये अपने कर्मियों के बैंक खाते में जारी कर दिया है। यह वेतन 25 सितंबर से 29 सितंबर तक सरकारी कर्मियों के बैंक खाते में पहुंचा है।

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    वेतनभोगी कर्मियों में सर्वाधिक 60 करोड़ रुपया केवल शिक्षकों के बैंक खाते में गया है। वेतन की इस राशि का अधिकांश हिस्सा दशहरा मेला को बूम करेगा। यानी 50 करोड़ से अधिक की राशि मेला में मिठाई, कपड़े और बकरे की खरीद पर खर्च होगी।

    दरअसल, विभाग ने दशहरा को देखते हुए सरकारी कर्मियों को सितंबर महीने का वेतन अक्टूबर की बजाय 25 सितंबर के बाद ही जारी करने का आदेश दिया था। सरकारी कर्मियों में सर्वाधिक संख्या शिक्षकों की है।

    11 हजार शिक्षकों को सितंबर को वेतन भुगतान कर दिया गया है। यह वेतन 35 हजार महीने से लेकर डेढ़ लाख रुपये महीने तक का है। 10 हजार शिक्षकों को 40 से 50 हजार रुपया वेतन मिला है।

    शिक्षकों के वेतन की यह राशि विभिन्न माध्यमों से बाजार पहुंचा। डीपीओ स्थापना संजय कुमार यादव ने बताया कि सितंबर के वेतन भुगतान के लिए एक सप्ताह से काम किया जा रहा था।

    विभाग ने केवल प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षकों को छोड़कर सभी का बिल वेतन भुगतान के लिए शनिवार तक कोषागार भेज दिया था। इसमें अधिकांश का भुगतान हो जाने की खबर है।

    बिना वेतन प्रधान शिक्षकों का दशहरा

    शिक्षा विभाग ने बीपीएससी से परीक्षा आयोजित कर जुलाई से विद्यालयों में प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापकों की तैनाती की है। विभाग ने दुर्गापूजा देखते हुए इन्हें भी पहला वेतन देने का आदेश जारी किया था, मगर तकनीकी कारणों से इनका वेतन भुगतान संभव नहीं हो सका। इसकी संख्या करीब सात सौ के आसपास है।

    दरअसल, जुलाई में योगदान करने वाले सभी प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक पहले शिक्षक थे। विभाग उनका प्राण नंबर बना चुका था। वे बिहार के विभिन्न जिलों में तैनात थे।

    उनके वेतन भुगतान के लिए अब उनके प्राण नंबर को जिला से जोड़ना था। यह काम पूरा नहीं होने से उनका वेतन नहीं जा सका है। इसके अलावा भी विभिन्न तकनीकी कारणों से कुछ शिक्षकों को वेतन नहीं मिल सका है।

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