Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    52 मंद‍िरों की शृंखला वाले उमगा पहाड़ से करिए नए साल की शुरुआत, प्रकृत‍ि की द‍िखेगी मनोरम छटा

    By Shiv Deep Thakur Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Sun, 28 Dec 2025 05:23 PM (IST)

    मदनपुर, औरंगाबाद का उमगा पहाड़ नए साल पर पिकनिक और धार्मिक महत्व का केंद्र है। यह ऐतिहासिक स्थल 52 मंदिरों की श्रृंखला, सूर्य मंदिर और प्राचीन मूर्तिय ...और पढ़ें

    Hero Image

    मदनपुर प्रखंड के उमगा पहाड़ स्थित सूर्य मंदिर। जागरण

    संवाद सूत्र, मदनपुर (औरंगाबाद)। मदनपुर प्रखंड के उमगा पहाड़ पर पिकनिक मनाने दूर से सैलानी आते हैं। एक जनवरी को पहाड़ पर पर्यटकों का हुजूम उमड़ पड़ता है। 

    सुबह से लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण से यह पहाड़ महत्वपूर्ण है। पहाड़ की मनोरम छटा सैलानियों को पसंद आती है।

    धार्मिक धरोहर के साथ यह पहाड़ आस्था का केंद्र है। उमगा पहाड़ पर पाषाण कला की उत्कृष्टता का अहसास कराता लगभग 150 फीट की ऊंचाई पर स्थित सूर्य मंदिर धरती की ऐतिहासिकता और साक्ष्य समेटे गौरव गाथा को परिलक्षित करता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मंदिर में सुबह से पूजा करने के लिए लोग उमड़ पड़ते हैं। कला एवं शिल्प कला के दृष्टिकोण से मंदिर अद्वितीय है। मंदिर के सामने गरुड़ स्तंभ प्राचीन जगन्नाथ मंदिर की प्रमाणिकता प्रस्तुत करता है।

    उमगा पर्वत पर दूर-दूर से आते हैं पर्यटक

    उमगा पर्वत व आसपास के क्षेत्र प्राचीन एवं पुरातात्विक हैं। यहां अनेक देवी देवताओं की प्रतिमा बिखरी है जो इस बात का गवाह है कि पर्वत शृंखलाओं पर 52 मंदिरों की शृंखला है।

    सूर्य मंदिर में गणेश, सूर्य और काल भैरव की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के अंदर गर्भगृह मे दसभुजी गणेश, सिद्धेश्वर महादेव वक्रतुंड गणपति एवं प्रवेश द्वार के बायीं ओर लक्ष्मण एवं दाहिने द्वार पर राम सीता का प्रतिमा है। परशुराम व रंभा, मेनका की प्रतिमा है।

    मंदिर के सामने भाग के ऊपरी दीवार पर गणपति, अग्नि देवता एवं चार हनुमान की प्रतिमा देखने को है। मंदिर के उत्तर दिशा में ग्राह का प्रतीक है जो यह प्राचीन काल में भगवान विष्णु मंदिर होने का प्रमाणित करता है।

    इसके ऊपर सहस्त्र लिंगी महादेव का मंदिर है, जहां दर्शन से सहस्त्र लिंग पूजन करने का फल मिलता है। पहाड़ पर एक जलकुंड है, जिसमें सालों भर पानी रहता है।

    बताया जाता है कि पहाड़ स्थित जलकुंड के अंदर सात शिवलिंग है। इसी के पास दाहिने तरफ सिद्धिदाता गणपति की प्रतिमा है, जो दुखहरिणी माई के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष सैलानियों की संख्या बढ़ेगी।