'बिहार के लोग जहां रहते हैं, वहां बहार आ जाती है', औरंगाबाद में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने और क्या कहा
Spiritual guru Sri Sri Ravishankar औरंगाबाद के बारुण प्रखंड के मुंंशी बिगहा में आयोजित ग्रामोत्सव में आज आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने बिहार के लोगों की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग जहां भी जाते हैं वहां घुल-मिल जाते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के लोग हमारे जीवन का अहम हिस्सा होते हैं।
सनोज पांडेय, औरंगाबाद। औरंगाबाद के बारुण प्रखंड के मुंंशी बिगहा में आयोजित ग्रामोत्सव में शुक्रवार को गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने बिहार के साथ बिहारियों के मेधा की जमकर तारीफ की।
उन्होंने कहा कि देश में जहां भी बिहार के लोग रहते हैं, वहां बहार आ जाता है। देश के हर कोने में बिहार के लोग मिलते हैं। वे ईमानदारी से सभी जगह काम करते हैं। अगर दूसरे प्रदेश में बिहार के लोग न रहें तो वहां काम नहीं होगा। बिहार के लोग हमारे जीवन का हिस्सा होते हैं।
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि मेरे घर के किचन से लेकर सुरक्षा तक की जिम्मेदारी बिहार के लोगों पर है। 12 वर्षों बाद मैं औरंगाबाद आया हूं। जब आया था, तब कुंभ लगा था, अब आया तो महाकुंभ था। महाकुंभ से अधिक भीड़ यहां दिखाई दे रही है। बिहार की धरती से आध्यात्म जुड़ा है।
उन्होंने कहा कि बाहर कैसे घुल-मिलकर रहा जाता है, यह बिहार के लोगों से दूसरे प्रदेश के लोगों को सीखने की जरूरत है।
इस दौरान पूर्व सांसद सुशील कुमार सिंह, पूर्व विधायक सत्यनारायण यादव, भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य गोपाल शरण सिंह, नगर परिषद के मुख्य पार्षद उदय गुप्ता, रेडक्रॉस चेयरमैन सतीश कुमार सिंह एवं भाजपा नेता उदय यादव उपस्थित थे।
युवाओं के लिए खोला जाएगा कौशल केंद्र
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने कहा कि बिहार के युवाओं को रोजगार देने के लिए यहां कौशल केंद्र खोला जाएगा। प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। अगर रुपये की जरूरत होगी तो उन्हें दिया जाएगा। भारत युवाओं का देश है। यहां के युवा ऊर्जावान हैं उन्हें सिर्फ सही मंच देने की जरूरत है।
आध्यात्म का जिक्र करते हुए श्री श्री रविशंकर ने कहा कि इस मार्ग पर चलने से परिवार के साथ देश का कल्याण होता है। गांवों में गुरु का होना आवश्यक है। गांव में गुरु रहेंगे तो जीवन आध्यात्म से जुड़ा रहेगा। उपस्थित भीड़ से गुरुदेव ने कहा कि हम आपसे दक्षिणा मांगेंगे तो आप दीजिएगा, तो भीड़ से आवाज आई हां।
औरंगाबाद के ग्रामोत्सव कार्यक्रम में भक्तों की लगी भीड़।
गुरुदेव ने सभी से दक्षिणा में उनके जीवन का कष्ट मांगा। उन्होंने कहा कि आप हमें अपना कष्ट दे दें। इस दौरान संगीता दीदी, नीतीन कुमार, एसडीओ संतन कुमार सिंह, एसडीपीओ संजय कुमार पांडेय, डॉ. नागेंद्र शर्मा, जयनंदन शर्मा, बैजनाथ कुमार भी उपस्थिति थे।
श्री श्री रवि शंकर ने कहा कि जिस तरह देश के चलाने के लिए राजा की जरूरत होती है, उसी तरह मंदिर में दीप एवं घर में गृहिणी का होना जरूरी है। जब तक आप जाति से ऊपर नहीं उठेंगे, विकास नहीं होगा।
इस दौरान श्री सीमेंट के यूनिट हेड वरिष्ठ महाप्रबंधक अतुल कुमार शर्मा, एचआर हेड भरत सिंह राठौर, मुन्ना शर्मा, सुनील सिंह, अश्विनी सिंह, विवेकानंद मिशन स्कूल के निदेशक प्रो. शंभूशरण सिंह, मनीष वत्स, लार्ड बुद्धा पब्लिक स्कूल के निदेशक डॉ. धनंजय कुमार, बीएल इंडो के निदेशक सूरजमन शर्मा, ओबरा व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष कृष्णाकांत शर्मा भी उपस्थित रहे।
रणवीर सेना और भाकपा माले में समझौता कराया
दो दशक पहले तक बिहार में जातीय तनाव एवं हो रहे नरसंहार का जिक्र करते हुए गुरुदेव ने कहा कि पहले आने में डर लगता था। वर्ष 2006 के बाद बिहार का माहौल बदल गया है। अब तो यहां हर जगह विकास के काम दिखाई दे रहे हैं।
नरसंहार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने वर्ष 2006 में हरिद्वार में प्रतिबंधित संगठन रणवीर सेना एवं भाकपा माले के बीच समझौता कराया था। दोनों को हरिद्वार में एक साथ बुलाया था। तब दोनों में किसी को पता नहीं था। दोनों एक-दूसरे के सामने हुए तो आक्रोशित हो गए।
फिर मैंने दोनों संगठन के नेताओं से बात की और समझौता कराया, तबसे आज तक बिहार में नरसंहार नहीं हुआ। जातीय विद्वेष समाप्त होने पर राज्य का विकास होगा।
आध्यात्म को बिहार से मिला अष्टावक्र गीता
गुरुदेव ने कहा कि बिहार आध्यात्म की धरती रही है। यहां महात्मा बुद्ध को ज्ञान मिला था। नालंदा विश्वविद्यालय की ख्याति दूर तक थी। बिहार से ही आध्यात्म को अष्टावक्र गीता मिला। यह दुनिया का दुर्लभ ग्रंथ है। यहां के युवकों में चाणक्य छिपे हैं, जिसे बाहर निकालने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि धर्म का मूल उद्देश्य युवाओं को सही मार्ग प्रदान करना है। गुरुदेव ने कहा कि मगध जैसा साम्राज्य दुनिया में नहीं हुआ।
महापर्व छठ और ठेकुआ लोकप्रिय
कुछ वर्ष पहले तक महापर्व छठ बिहार तक सिमटा था। अब यह विश्व क्षितिज पर छा गया है। अमेरिका से लेकर ब्रिटेन में छठ होता है। देश के हर कोने में छठ मनाया जाता है। कर्नाटक के बेंगलुरु में भी मैं अपने आश्रम में छठ पूजा की व्यवस्था करता हूं। छठ का प्रसाद ठेकुआ लोकप्रिय है। बिहारी जहां भी रहते हैं गर्व से छठ पूजा करते हैं।
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