उर्स को लेकर अमझरशरीफ में उमड़ी भीड़
विज्ञान भले ही आज नए अनुसंधानों में अपना परचम लहरा रहा हो किंतु रूहानी व आध्यात्मिक ताक
विज्ञान भले ही आज नए अनुसंधानों में अपना परचम लहरा रहा हो किंतु रूहानी व आध्यात्मिक ताकतें होने की चर्चा होती रहती है। कई जगहों पर इसका उदाहरण व करिश्मा चमत्कार देखने को मिलती है। इसका प्रमाण हसपुरा प्रखंड के अमझरशरीफ में सूफी संत मो.सैयदना कादरी दादा के मजार पर देखा जा सकता है। जहां सदियों से देश-विदेश के बीमार महिला व पुरुष आकर इनके दुआएं लेकर ठीक होते हैं। प्रत्येक वर्ष उर्स के मौके पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। 21 नवंबर को यहां उर्स है। दो दिन से दादा के रखे सामान को दर्शन के लिए बिहार व दूसरे राज्य से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है। यहां सैयदना से जुड़े कई आश्चर्यजनक कहानियां सुनी व कही जाती है। यहां एक पेज में एक पारा हाथ से लिखित कुरान शरीफ है जो कहीं दुनियां में नही है। यहां सांप से रक्षा करने वाला एक पेड़ अजनाश है जो भारत में कहीं नही लगती है। 300 पेज में लिखे जाने वाला कुरान मात्र 30 पेज में ही लिखा गया है। पैगम्बर साहब के कई समान है जो 500 वर्ष पूर्व मो.पैगंबर साहब के आदेश से शांति का पैगाम फैलाने के लिए लाए गए थे। जब सैयदना दादा अपने पिता से अजनाश की छड़ी लिए भारत आए तो भ्रमण के दौरान अजमेरशरीफ,दिल्ली, कोचहासाशरीफ, हसपुरा थाना के नरहन(अब टाल)पहुंचे। लेकिन अजनाश की छड़ी कहीं नही हरा हुआ। वे जब अमजा जंगल (अब अमझर शरीफ) गए तो वहां सौभाग्यवश छड़ी हरी हो गई। हालांकि इस जंगल मे सामना एक अजगर सांप से हुई। जिसे उन्होंने मोहब्बत का नाम देकर नाक मर अपनी अंगूठी पहनाकर छोड़ दिया। आज भी वह सांप मजार के आस पास दिखाई पड़ जाता है। माना जाता है कि अजनाश जहां होती है वहा सांप नहीं आता है और अगर किसी को सांप काट ले तो भी लोग मरते नहीं। कोलकाता के एक प्रदर्शनी में जब इसे रखा गया तो देखकर लोग दंग रह गए। अरब देश के बगदाद से आए संत सैयदना दादा पैगम्बर के 40 शिष्यों में एक थे। जिन्होंने 94 वर्ष तक साधना की। कहा जाता है कि जो भी इंसान सच्चे मन से मन्नते मांगते हैं उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।