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    Mauni Amavasya 2025: 28 या 29 जनवरी कब है मौनी अमावस्या? इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान से होगा करोड़ों वर्षों के पापों का नाश

    Updated: Thu, 23 Jan 2025 03:52 PM (IST)

    29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में करोड़ो भक्त आस्था की डुबकी लगाएंगे। इस दिन मौन रहकर स्नान करने की विशेष महत्व माना जाता है। वहीं दाउदनगर अनुमंडल में लोग सोनभद्र अदरी-पुनपुन संगम-ओबरा मदाड़-पुनपुन संगम भरारी गोह सूर्य तालाब कुआं या नल जल से स्नान कर सकते हैं। मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी संगम में स्नान से करोड़ो वर्षों के पाप का नाश होता है।

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    मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी संगम में स्नान का विशेष महत्व

    संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद)। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुआ महाकुंभ (Mahakumbh 2025) आगामी 26 फरवरी तक चलेगा। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन आखिरी शाही स्नान के साथ ही महाकुंभ का समापन होगा। 144 वर्ष बाद इस तरह का संयोग बना है। वहीं 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन शाही स्नान होगा।

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    करोड़ों जन्म के पापों का होगा नाश

    मौनी अमावस्या 29 जनवरी, दिन बुधवार को मनाई जाएगी, इस दिन प्रयागराज महाकुंभ मेले में शाही स्नान होगा। आचार्य लालमोहन शास्त्री ने बताया कि माघ मास की मौनी अमावस्या को महाकुंभ का महत्वपूर्ण और सर्वश्रेष्ठ अमृत स्नान माना जाता है। पावन बेला में प्रयागराज त्रिवेणी में स्नान करने से करोड़ों जन्म के पापों का नाश हो जाता है।

    आचार्य लालमोहन शास्त्री।

    इन जगहों पर करें स्नान

    आचार्य लालमोहन शास्त्री ने बताया कि नदियों के संगम में स्नान करने से सुखद फल मिलता है। मौनी अमावस्या के दिन मौन होकर स्नान करना चाहिए, इससे मन को शांति मिलती है।

    उन्होंने बताया कि दाउदनगर अनुमंडल में सोनभद्र, अदरी-पुनपुन संगम-ओबरा, मदाड़-पुनपुन संगम भरारी गोह, सूर्य तालाब, कुआं या नल जल से स्थान करें।

    आचार्य लालमोहन शास्त्री ने बताया कि प्रतिष्ठान पुर (झूंसी) प्रयागराज के राजाधीराज पुरुरवा ऐल महाराज देव स्थित विश्व प्रसिद्ध सूर्यकुंड और सूर्य मंदिर की आधारशीला त्रेता युग के अंत में रखी गई थी।

    दाउदनगर अनुमंडल के प्रीतिकूट (पीरू) में जन्म लेने बाले संस्कृत भाषा के प्रख्यात महाकवि बाणभट्ट ने संस्कृत भाषा गद्य में शाकुंतलम और हर्षचरितम लिखकर संस्कृत साहित्यकार का सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया।

    महाकुंभ में अमृत स्नान महत्वपूर्ण

    वे सातवीं शताब्दी में कन्नौज के महाराज हर्ष वर्धन के दरबारी कवि थे। राजा हर्षवर्धन और बाणभट्ट के निर्देशन में त्रिवेणी संगम पर संत, महात्माओं, नागाओं ने सत्य सनातन धर्म के समागम स्वरूप को मेले का रूप दिया था। आचार्य ने बताया कि इस वर्ष महाकुंभ का अमृत स्नान महत्वपूर्ण है। सत्य सनातन ही एक धर्म है।

    मौनी अमावस्या पर बन रहे खास योग

    मौनी अमावस्या पर श्रवण नक्षत्र के साथ सिद्धि व व्रज योग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पितरों के तर्पण व श्राद्ध करने पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    दान का महत्व

    मौनी अमावस्या पर दान का भी विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को खाने-पीने की सामग्री और गर्म कपड़ों का दान करें।

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