Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र में इन मंत्रों का जाप करने से खुश होंगी मां दुर्गा, बरसेगी असीम कृपा
Chaitra Navratri 2025 सनातन धर्म में चैत्र नवरात्र का बड़ा महत्व है। इस दौरान जगत जननी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान जो लोग सच्चे भाव से पूजा-पाठ करते हैं उन्हें समृद्धि की प्राप्ति होती है। ज्योतिष मर्मज्ञ पंडित श्रीराम पांडेय ने बताया कि नवरात्र के दौरान हमें किन मंत्रों का जाप करना चाहिए।

जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। अनुष्ठान और साधना के लिए नवरात्र श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है। नवरात्र में विभिन्न पूजन पद्धतियों के साथ गायत्री का लघु अनुष्ठान विशिष्ट फलदायक होता है।
नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा के नौ रूप हैं शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंधमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
इन नौ रातों में तीन देवी पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ रुपों की पूजा होती है, जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। नवदुर्गा के नौ स्वरूप नारी सशक्ति की जीवनचक्र को दर्शाते हैं।
अमृत मुहूर्त कलश स्थापना के लिए शुभ
ज्योतिष मर्मज्ञ पंडित श्रीराम पांडेय ने बताया कि अमृत मुहूर्त कलश स्थापना के लिए शुभ माना जाता है। दिन सुबह 8.14 से लेकर 10.11 बजे के बीच कलश स्थापना कर लेना होगा।
अमृत मुहूर्त में कलश स्थापना करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। वैसे दोपहर 2.14 बजे तक कलश स्थापना किया जा सकता है।
ज्योतिष मर्मज्ञ पंडित श्रीराम पांडेय।
उन्होंने बताया कि नवरात्रि की पूजा प्रतिपदा से आरंभ होती है परंतु यदि कोई साधक प्रतिपदा से पूजन न कर सके तो वह सप्तमी से आरंभ कर सकता है। इसमें भी संभव न हो सके, तो अष्टमी तिथि से आरंभ कर सकता है। यह भी संभव न हो सके तो नवमी तिथि में एक दिन का पूजन अवश्य करना चाहिए।
पंडित जी ने बताया कि इस अवधि में गायत्री मंत्र का जाप अनुष्ठान के दौरान जरूर करना चाहिए। इसके अलावा नवर्णों मंत्र का जाप एवं कुंजिका स्रोत का पाठ करना चाहिए। यह माता रानी की पूजा में बेहद ही शुभ माना जाता है।
कुमारी पूजन माना जाता है अनुष्ठान का प्राण
कुमारी पूजन नवरात्रि अनुष्ठान का प्राण माना गया है। प्रतिपदा से नवमी तक विभिन्न अवस्था की कुमारियों को माता भगवती का स्वरूप मानकर वृद्धिक्रम संख्या से भोजन कराना चाहिए।
वस्त्रालंकार, गंध-पुष्प से उनकी पूजा करके, उन्हें श्रद्धापूर्वक भोजन कराना चाहिए। 2 से 10 वर्ष की कुमारी कन्या की पूजा होती है। भगवान व्यास ने राजा जनमेजय से कहा था कि कलियुग में नवदुर्गा का पूजन श्रेष्ठ और सर्वसिद्धिदायक है।
पूजा को लेकर भक्तिमय हुआ माहौल
पूजा को लेकर माहौल भक्तिमय हो गया है। हर जगह सफाई हो रही है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक भगवा झंडा लगने लगा है। पूरा शहर भगवामय हो गया है। पूजा सामग्री के दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ देखी गई। श्रद्धा और विश्वास के साथ श्रद्धालु पूजा में लीन हो गए हैं।
हाथी से हो रहा आगमन
पंडित श्रीराम पांडेय ने बताया कि इस बार माता का आगमन हाथी पर हो रहा है। हाथी पर माता का आगमन कृषि कार्य के लिए बेहतर माना जाता है। वर्षा अधिक होती है। माता रानी का गमन भैसा से हो रहा है जो शोक का प्रतीक है। इसका फल है कि शोक, रोग एवं आपत्ति आ सकता है।
चैती नवरात्र की तिथि और माता का पूजन
30 मार्च
31 मार्च
1 अप्रैल
2 अप्रैल- चौथे कुष्मांडा व पंचमी स्कंदमाता
3 अप्रैल
4 अप्रैल
5 अप्रैल
6 अप्रैल
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