सिन्दुरिया और कैथल वैश्य की शुरू हुई खोज
दाउदनगर (औरंगाबाद), जागरण प्रतिनिधि : वैश्य जाति की सिन्दुरिया, कथवनिया/कैथल वैश्य उपजाति की खोज अनुमंडल में प्रारंभ की गयी है। शनिवार शाम अनुमंडल कार्यालय स्थित एसडीओ कक्ष में बिहार राज्य अति पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष रवीन्द्र कुमार तांती ने बैठक की। एसडीओ कमल नयन, सभी प्रखंड के बीडीओ, सीओ एवं कल्याण पदाधिकारी उपस्थित रहे। तांती ने बताया कि कथवनिया/कैथल वैश्य एनेक्चर 2 की सूची में शामिल हैं। इन दोनों उपजातियों के बीच रिश्ते नाते होते हैं और दोनों ही एक ही हैं जबकि सिन्दुरिया उपजाति एनेक्चर 1 में शामिल है। इसे एनेक्चर 1 की तमाम सुविधाएं उपलब्ध है। ये तीनों उपजाति एक ही सामाजिक स्तर की हैं। कैथल व कथवनिया दोनों अब एनेक्चर 1 की सुविधा मांग रही हैं। आयोग के पास ऐसे कई आवेदन प्राप्त हुए हैं। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब इन दो जातियों के दस्तावेजों में पूर्वज सिन्दुरिया उपजाति के हैं। माना जा रहा है कि जिस तरह कहार जाति के लोगों ने चन्द्रवंशी शब्द लिखना शुरू किया उसी तरह सिन्दुरिया भी खुद को कैथल या कथवनिया वैश्य कहने में सम्मानित महसूस करते हैं। इनका मुख्य पेशा देहाती क्षेत्रों में श्रृंगार का सामान फेरी करते हुए बेचना है। यह वर्ग बहुत गरीब है और इसका कोई जनप्रतिनिधि नहीं है। सरकारी नौकरी में इनकी संख्या नगण्य है। शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से काफी पिछड़े वर्ग की हकमारी नहीं हो ऐसी कोशिश सरकार की है। श्री तांती ने बताया कि इन उपजातियों से सम्बद्ध लोग अपना आवेदन लिखकर सभी अंचल अधिकारियों के पास दें ताकि इन्हें सरकार का लाभ प्राप्त कराया जा सके।
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