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    Vijay Mandal Minister: विजय मंडल को मंत्री बनाने की INSIDE STORY? बहुत दूर की सोच रहे नीतीश कुमार

    Updated: Wed, 26 Feb 2025 05:27 PM (IST)

    विजय कुमार मंडल सिकटी भाजपा विधायक राजनीति में एक सशक्त नाम हैं जिन्हें हर पार्टी ने जीत की गारंटी माना। वे पांच बार विधायक रहे और एक बार राज्यमंत्री भी। 2020 में भाजपा से जीत के बाद 2024 में मुख्य सचेतक बने। अपने पिता से मिली राजनीतिक विरासत के साथ उन्होंने विभिन्न दलों में रहते हुए लगातार जीत हासिल की जिससे क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता बनी रही।

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    बिहार के सीएम नीतीश कुमार और सिकटी से विधायक विजय कुमार मंडल। फाइल फोटो

    संवाद सूत्र, सिकटी (अररिया)। राजनीति के सफर में एक ऐसा नाम जिसने अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि में कभी पीछे मुड़ना नहीं सीखा। ऐसे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति जिसे हर पार्टी ने जीत की गारंटी माना। वो हैं सिकटी भाजपा विधायक विजय कुमार मंडल। बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश सरकार की कैबिनेट के विस्तार में विजय कुमार मंडल मंत्री बनाए गए। जिससे क्षेत्र की जनता में खुशी की लहर है। इससे पहले भी वे एक बार राज्यमंत्री रहे चुके हैं।

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    पांच बार विधायक रहे विजय कुमार मंडल को मंत्रिमंडल (Nitish Cabinet Expansion) में शामिल करके भाजपा समेत एनडीए गठबंधन सीमांचल इलाके में ओबीसी वोटरों को साधने की कोशिश में है। 2020 के विधानसभा चुनाव में सिकटी से भाजप से विजय कुमार मंडल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी राजद के शत्रुघ्न मंडल को हराया।

    वर्ष 2000 में राजद द्वारा निकट नहीं दिए जाने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। जीत के बाद राजद ने उन्हें बिहार सरकार में राज्यमंत्री बनाया। विजय कुमार मंडल ने 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से जीत हासिल की। 2024 में पार्टी ने इन्हें मुख्य सचेतक बनाया।

    पिता नंदकेश्वर मंडल से मिली राजनीतिक विरासत

    विधायक विजय कुमार मंडल को अपने पिता व क्षेत्र के कद्दावर नेता नंदकेश्वर मंडल से राजनीतिक विरासत मिली। पिता का राजनीतिक कैरियर कुछ खास नहीं रहा और वे कभी चुनाव नहीं जीत पाए, लेकिन बेटे ने जीत का ऐसा रिकॉर्ड बनाया कि कभी पीछे मुड़कर देखना नहीं सीखा। जिस भी पार्टी में रहें, उन्हें जीत की गारंटी माना जाने लगा।

    मैट्रिक पास रहने के बावजूद पहली बार विजय कुमार मंडल ने 1995 में आनंद मोहन की बिहार पिपुल्स पार्टी से 28 हजार मत लाकर भाजपा के दुर्गा दास राठौर को हराकर चुनाव जीता।

    पहली बार जीत के बाद उन्हें राजद में शामिल किया गया। लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दी। दूसरी बार 2000 में अररिया विधानसभा चुनाव से निर्दलीय उम्मीदवार बनकर कांग्रेस के मोईद्दूर रहमान को हराया।

    हालांकि, 2005 के विधानसभा चुनाव में विजय कुमार मंडल भाजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार सिंह से चुनाव हार गए, लेकिन विधायक प्रदीप कुमार सिंह के सांसद बनने के बाद खाली हुई सीट पर वर्ष 2009 के उपचुनाव में विजय कुमार मंडल ने जीत दर्ज की थी। इस उपचुनाव में 58 हजार वोट लाकर उन्होंने अररिया विधानसभा में सबको आश्चर्यचकित कर दिया।

    2010 में नए परिसीमन के बाद बना सिकटी विधानसभा

    • वर्ष 2010 में नए परिसीमन के बाद विजय कुमार मंडल ने लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा प्रत्याशी आनंदी प्रसाद यादव से करीब दस हजार मतों से हार गए। इसके बाद उन्होंने 2013 में लोजपा से नाता तोड़कर जदयू का दामन थामा।
    • अररिया लोकसभा चुनाव 2014 में जदयू प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर भी जनता के आशीर्वाद से उन्हें इस चुनाव में दो लाख 65 हजार वोट मिले।
    • 2015 के सिकटी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने विजय कुमार मंडल पर भरोसा जताते हुए कमल खिलाने की जिम्मेवारी सौंपी। उन्होंने जदयू के शत्रुघ्न मंडल को लगभग आठ हजार मतों से पराजित किया।
    • अपनी इस लंबी पारी में उन्हें कई बार उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा, लेकिनस मतदाताओं के बीच उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई।

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