Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar Land Survey: बिहार के इस जिले में मकड़ जाल की तरह भूमि विवाद का मामला, रैंकिंग में भी पिछड़ा

    By Jagran NewsEdited By: Sanjeev Kumar
    Updated: Tue, 15 Oct 2024 03:17 PM (IST)

    Bihar Jamin Survey अररिया जिला राज्य सरकार द्वारा जारी रैंकिंग में सबसे निचले पायदान पर है जो जमीन संबंधी मामलों को सुलझाने में काफी पीछे है। यहां भूमि विवादों के कारण अक्सर खूनी संघर्ष होते रहते हैं। थाना स्तर पर जनता दरबार के आयोजन के बावजूद मामले कम नहीं हो रहे हैं। अंचल कर्मचारियों की कारगुजारी और भूमाफिया की गतिविधियाँ भी समस्या को बढ़ावा देती हैं।

    Hero Image
    बिहार के अररिया में जमीन विवाद के सबसे अधिक मामले (जागरण)

    संवाद सूत्र, अररिया। Bihar Land Survey 2024: राज्य सरकार द्वारा जारी रैंकिंग में अररिया जिला सबसे निचले पायदान पर है। जमीन संबंधी मामले को सुलझाने में जिले के डीएम को यह रैंकिग दी गई है। यह स्थिति तब है जब मकड़ जाल की तरह उलझे व नासूर बन चुके भूमि विवादों से जिले की धरती लाल हो रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भूमि विवादों के कारण अक्सर खूनी संघर्ष होती रही है। जबकि प्रत्येक शनिवार को थाना स्तर पर जमीन विवाद को सुलझाने को लेकर जनता दरबार का भी आयोजन हो रहा है। बावजूद जमीन विवाद के मामले कम नहीं हो रहे हैं। हाल की घटनाओं पर गौर करें तो अररिया महलगांव थाना क्षेत्र के बागनगर पंचायत के पोखरिया गांव में (23 सितंबर) को जमीन पर अवैध रूप से कब्जा हटाने गई पुलिस पर भीड़ ने हमला कर दिया।

    घटना में दो पुलिस अधिकारी घायल हो गए, जबकि कई पुलिस वाले चोटिल हो गए। इसके अलावा हमेशा मारपीट की घटना अक्सर घटती रहती है। बता दें कि थाना से लेकर कोर्ट तक भूमि विवाद के मामले की भरमार है। थानों में दर्ज होने वाला 80 प्रतिशत मामले की जड़ में भूमि विवाद की वास्तविक कारण रहता है। डीएम एवं एसपी से समस्याओं को लेकर मिलने वाले अधिकतर लोग भूमि विवाद की निपटाने के लिए ही अपने मामले लेकर आते हैं।

    अंचल कर्मचारी भी फंसाते हैं पेंच 

    भूमि विवादों को बढ़ाने तथा हवा देने में अंचल कर्मचारियों की कारगुजारी भी अक्सर उजागर होते रहता है। कई बार कर्मचारी एक ही भूखंड का दो-दो व्यक्तियों का नाम से रसीद काट देते हैं। भूखंडों के दाखिल खारिज में खूब खेल होता है। रसीद काटने पर एक ही भूखंड पर दो-दो व्यक्ति दावा करने लगते हैं और मामला बढ़ने लगता है।

    भूखंडों पर है भूमाफिया की नजर 

    जिले में भूमि की बढ़ती कीमतें, कम समय में लाखों की कमाई का जरिया बन गया है। कीमतों की बढ़ने से भूमाफिया इस ओर आकर्षित हुए हैं। भूमाफिया भूमि के वास्तविक मालिक के दूर के रिश्तेदार, सगे-संबंधियों को थोड़ी लालच दे जमीन रजिस्ट्री करा भूखंडों पर विवाद खड़ा कर देते हैं। भूमि विवाद बढ़ने का मुख्य कारण दाम में बढ़ोतरी है।

    भूमि के अभिलेख दुरुस्त नहीं 

    जानकारों की मानें तो जिले में लैंड रिकार्डस दुरुस्त नहीं हैं और अंचलों में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से जमीन संबंधी विवाद लगातार बढ़ रहे हैं।

    अमीन व राजस्व कर्मचारियों की कमी 

    प्रशासन के पास न तो वांछित संख्या में अमीन हैं और न ही राजस्व कर्मचारी। एक-एक कर्मचारी पर एक दर्जन से ज्यादा गांवों का दायित्व है, वे अभिलेखों को सुधारें तो कैसे? इधर, संयुक्त परिवारों के विभाजन के बाद जमीन के बंटवारे भी लगातार सामने आ रहे हैं।

    वहीं, तुच्छ कारणों को लेकर एक ही परिवार के लोग जमीन को ले आपस में विवाद करते हैं। विडंबना है कि राजस्व प्रशासन को जमीन की टाइटिल तय करने की कानूनी शक्ति नहीं है और मामला जब दीवानी अदालत में जाता है तो दशकों तक लटका रह जाता है। लोग आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं। जमीन तो हर किसी को चाहिए और कुछ स्वार्थी तत्व भोलेभाले लोगों को जमीन पर कब्जा करने के लिए उकसा कर विवादों को जन्म देते हैं।

    भूमि राजस्व सुधार विभाग द्वारा जारी रैंकिंग में जिले का स्थान निराशाजनक है। एक दो माह में इसमें सुधार किया जाएगा। अनिल कुमार, जिलाधिकारी अररिया

    ये भी पढ़ें

    Bihar News: अब बालू तस्करों का बचना मुश्किल, सरकार ने कर दी टाइट व्यवस्था; तुरंत दबोचे जाएंगे अपराधी

    Jehanabad News: जहानाबाद में बड़ा हादसा, विदेशी पर्यटकों की बस और हाइवा के बीच भीषण टक्कर; मची चीख-पुकार