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    छोटी कारों से ज्यादा क्यों पसंद की जा रही है बड़ी कार, ऐसे समझिए

    By Ankit DubeyEdited By:
    Updated: Thu, 28 Jun 2018 07:49 AM (IST)

    दिल्ली-मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में सबसे ज्यादा इन दिनों लोग हैचबैक से ज्यादा एसयूवी को पसंद कर रहे हैं। इसके पीछे के कई कारण मौजूद हैं

    छोटी कारों से ज्यादा क्यों पसंद की जा रही है बड़ी कार, ऐसे समझिए

    नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। मानसून के समय अगर कोई कार खरीदार गाड़ी खरीदने ज्यादा है तो सबसे पहले उसके दिमाग में एक बात रहती है कि कार थोड़ी ऊंची और बड़ी होनी चाहिए जो बजट में भी हो। दिल्ली-मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में सबसे ज्यादा इन दिनों लोग हैचबैक से ज्यादा एसयूवी को पसंद कर रहे हैं। इसके पीछे के कई कारण मौजूद हैं। वर्ष 2017-18 के दौरान एसयूवी का बाजार बीते वर्ष के मुकाबले 21 फीसद बढ़ा है। वहीं, कुल पैसेंजर कारों का बाजार 8 फीसद और कारों (हैचबैक और सेडान) का 5 फीसद बढ़ा है।

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    सेडान और हैचबैक कारों का बाजार एसयूवी के मुकाबले हमेशा से ही बढ़ा रहा है। सियाम के मुताबिक वर्ष 2017-18 में सेडान और हैचबैक की 21,73,950 यूनिट्स और UVs (MPVs, वैन्स और SUVs) की 9,21,780 यूनिट्स की बिक्री हुई है। इनमें सेडान और हैचबैक को सबसे ज्यादा इसलिए खरीदा जाता है क्योंकि ये 5 लाख रुपये से कम कीमत में भी आती हैं। वहीं, एसयूवी की कीमत 5 लाख रुपये से बाद ही शुरू होती है और भारत में सस्ती कारें सबसे ज्यादा खरीदी जाती हैं। वैसे आज हम आपको अपनी इस खबर में यह बताने जा रहे हैं कि कैसे इन दिनों कार खरीदार छोटी कारों से ज्यादा बड़ी कार (SUV) खरीदना पसंद कर रहे हैं।

    क्या हैं SUV से फायदे?

    हाई ग्राउंड क्लियरेंस - बाजार में लोग एसयूवी को इसलिए भी ज्यादा खरीदना पसंद करते हैं क्योंकि इनमें ज्यादा ग्राउंड क्लियरेंस होता है। हैचबैक और सेडान में इतना ग्राउंड क्लियरेंस नहीं मिलता।

    पानी में चलने की क्षमता - मानसून आ रहा है और बारिश के मौसम में पानी से हमेशा सड़कों पर बने गड्ढें भर जाते हैं तो ऐसे में हैचबैक और सेडान कारें के लिए उन गड्ढों को पार करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में एसयूवी इन्हीं गड्ढों को आसानी से पार कर लेती हैं। ज्यादातर एसयूवी में एयर इनटेक्स की लोकेशन और एग्जॉस्ट को ऊंचे लेवल पर रखा जाता है जिससे इंजन तक पानी ना पहुंच सके। इनमें सबसे ज्यादा एसयूवी 300mm गहरे पानी में आसानी से चल सकती हैं।

    ऊंची ड्राइविंग पॉजिशन - ज्यादातर एसयूवी की ड्राइविंग पॉजिशन सेडान और हैचबैक के मुकाबले ऊंची रहती है। इससे ड्राइवर को ट्रैफिक का अच्छा व्यू मिलता है और लेन बदलने का फैसला आसानी से ले सकते हैं।

    कहीं भी जाना आसान - ऑफरोडिंग के लिए ज्यादा तर लोग पिक-अप एसयूवी का इस्तेमाल करते हैं, ताकि आसानी से किसी भी तरह की रोड पर चला जा सके। इसमें ज्यादा तर फोर-व्हील ड्राइव सिस्टम वाली एसयूवी को खरीदना पसंद करते हैं। बता दें भारत में करीब 90 फीसद से ज्यादा खरीदार टू-व्हील ड्राइव वेरिएंट्स खरीदना पसंद करते हैं, जो कि स्पोर्ट-यूटिलिटी व्हीकल के स्पोर्ट पार्ट को जस्टीफाई नहीं करता।

    क्या हैं एसयूवी के नुकसान?

    ज्यादा तेल की खपत - भारत में इन दिनों पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हर रोज उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है। ऐसे में लोग ज्यादा माइलेज देने वाली कार ही खरीदना पसंद करते हैं, लेकिन एसयूवी का माइलेज हमेशा पेट्रोल और सेडान कारों के मुकाबले कम ही होता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इनमें इंजन पावर की क्षमता और इनका वजन ज्यादा होता है।

    साइज बनती है परेशानी - कई 7-सीटर और बड़ी एसयूवी दिल्ली-मुंबई जैसे मेट्रो शहरों के लिए काफी बड़ी साबित होती हैं। कई लोगों को तो इन्हें पार्किंग में लगाने के लिए काफी मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। इसी वजह से लोग ज्यादा बड़ी एसयूवी लेने के बजाए कॉम्पैक्ट एसयूवी और सब-4 मीटर एसयूवी को खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं।

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