BUDGET 2023: क्या है व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी? अब पुरानी गाड़ियां हो जाएंगी कबाड़
भारत के अलग - अलग शहरों में गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट होगा। इस समय पर गाड़ियों का टेस्ट करना अनिर्वाय है। इस पॉलिसी के तहत 20 साल पुरानी कार और 15 साल से अधिक पुरानी कमर्शियल गाड़ियों का इस्तेमाल लोग नहीं कर पाएंगे।(जागरण फोटो)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को अपने केंद्रीय बजट 2023 के भाषण में बताया कि साल 2022 के बजट के अनुसार, सभी पुरानी गाड़ियों और एंबुलेंस को स्क्रैप पॉलिसी के तहत कबाड़ कर दिया जाएगा। पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप करने पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि स्क्रैप करना हमारी अर्थव्यवस्था को हरित बनाने में एक सबसे महत्वपूर्ण भाग है। चलिए आपको बताते हैं क्या है व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी?
क्या है व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी?
व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी उन लोगों के लिए जरूरी है, जिनके पास अपनी कार है। इस पॉलिसी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 में लॉन्च किया था। वहीं केंद्रीय बजट 2021-22 में इस पॉलिसी को घोषित किया गया था और अब राज्यों द्वारा इसका तेजी से पालन किया जाना शुरू हो गया है। इस पॉलिसी के तहत 20 साल पुरानी कार और 15 साल से अधिक पुरानी कमर्शियल गाड़ियों का इस्तेमाल लोग नहीं कर पाएंगे। अगर कोई व्यक्ति ऐसी कारों को लेकर रोड पर चल रहा हैं तो उसे जुर्माना भी देना होगा।
इस पॉलिसी को इसलिए लागू किया गया है ताकि प्रदूषण का स्तर कम हो सके और ऑटोमोटिव खरीदारी को बढ़ावा मिल सके। इन कारों का फिटनेस टेस्ट होगा जिसके माध्यम से पता चलेगा कि ये कारें रोड पर चलने के लायक है या नहीं।
कैसा होगा फिटनेस टेस्ट
भारत के अलग - अलग शहरों में गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट होगा। इस समय पर गाड़ियों का टेस्ट करना अनिर्वाय है। अगर आपकी कार टेस्ट को पास नहीं कर पाती है तो उन गाड़ियों को सड़क पर चलने की मंजूरी नहीं मिलती है और आपको अपनी कार रजिस्टर्ड स्क्रैप फैसिलिटी में जमा करानी होगी। इसके लिए देश में 60-70 रजिस्ट्रेशन सेंटर उपलब्ध है।
क्या है स्क्रैपेज पॉलिसी का फायदा
ये तो हम सभी जानते हैं देश में प्रदूषण का स्तर काफी तेजी से बढ़ते जा रहा है। जिसको लेकर सरकार काफी सख्त और सतर्क है। एक रिपोर्ट की मानें तो नई गाड़ियों के मुकाबले पुरानी गाड़ियां अधिर प्रदूषण करती है। स्क्रैपेज पॉलिसी के कारण प्रदूषण का स्तर कम होगा। वहीं फ्यूल एफिशिएंसी की भी बात करें तो पुरानी गाड़ियों में नई गाड़ियों के मुकाबले अधिक फ्यूल खर्च होता है। इसका ये साफ मतलब है कि फ्यूल की भी बचत होगी।
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