Vijay Rupani का लकी नंबर बना अनलकी, पहली कार से लेकर स्कूटर तक का नंबर रहा 1206
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपानी के लिए 1206 नंबर लकी था जो स्कूटर से लेकर कार तक उनके सभी वाहनों पर होता था। दुखद रूप से 12 जून को एयर इंडिया विमान हादसे में उनका निधन हो गया। अंकशास्त्र के अनुसार 1206 का योग 9 होता है जो मंगल का अंक है और शक्ति का प्रतीक है लेकिन दुर्घटना का संकेत भी देता है।

ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपानी के लिए 1206 कोई साधारण नंबर नहीं था। यह उनके के लिए सबसे सबसे लकी था, जो उनके जीवन के लिए काफी जरूरी था। उनकी सभी गाड़ियों स्कूटर से लेकर कार तक के नंबर प्लेट पर 1206 लिखा हुआ था। इतना ही नहीं, जब उन्होंने अपनी पहली कार खरीदी थी तो भी उसका प्लेट नंबर 1206 ही था। दोस्तों और करीबियों के मुताबिक, यह नंबर उनकी जिंदगी का लगी चार्म था, लेकिन नियति ने इस नंबर को एक दुखद मोड़ दे दिया। उनका लकी नंबर 12 जून (12/06) उनकी अंतिम यात्रा का आखिरी दिन बन गया, जब वे एयर इंडिया के विमान हादसे में दुनिया छोड़ गए।
लकी नंबर बना अनलकी
- गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी जिनका कल यानी 12/06/2025 को अहमदाबाद से लंदन एयर इंडिया की फ्लाइट से जा रहे थे, जो हादसे का शिकार हो गई है। जिसमें उनका निधन हो गया। बताया जा रहा है कि 12 बजे एयरपोर्ट परिसर में प्रवेश किया और उनकी सीट नंबर भी 12 ही थी। ऐसे में गुरुवार को उनका सबसे लगी नंबर अनलकी साबित हो गया। विजय रुपाणी की मौत के बाद से ही उनके घर में सन्नाटा छा गया है।
- ज्योतिषशास्त्र की ही तरह अंकशास्त्र के मुताबिक, 1206 का योग (1+2+0+6=9) होता है, 9 नंबर मंगल का होता है। यह नंबर सकारात्मक रूप से व्यक्ति को शक्ति, साहस और निर्णय लेने की ऊर्जा देता है। वहीं, यह नकारात्मक रूप से ये अंक आग, दुर्घटना या जीवन मृत्यु का संकेत देता है। हालांकि इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
कैसा रहा विजय रूपानी का जीवन?
- 2 अगस्त 1956 को म्यांमार के यांगून में एक जैन परिवार में जन्मे विजय रूपानी सात भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। 1960 में म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता के कारण उनका परिवार राजकोट, गुजरात आ गया। रूपानी ने सौराष्ट्र विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से की थी। 1976 में आपातकाल के दौरान वे विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए और जेल भी गए।
- उन्होंने 1987 में राजकोट नगर निगम में पार्षद के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और 1996-97 में राजकोट के मेयर बने। 2006 से 2012 तक वे राज्यसभा सांसद रहे और 2014-16 तक परिवहन, श्रम, और जल आपूर्ति जैसे विभागों में राज्य कैबिनेट मंत्री रहे। अगस्त 2016 से सितंबर 2021 तक वे गुजरात के 16वें मुख्यमंत्री रहे, और उनके कार्यकाल में औद्योगिक विकास और सामाजिक समानता पर विशेष ध्यान दिया गया।
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