आपात स्थिति में भी अचानक ब्रेक नहीं चलेगा, सुप्रीम कोर्ट ने बताया लापरवाही का मतलब
Supreme Court sudden braking सुप्रीम कोर्ट की ओर से हाल में ही एक फैसला सुनाया गया है जिसमें हाइवे पर अचानक ब्रेक लगाने को लापरवाही बताया गया है। कोर्ट ने किस मामले की सुनवाई करते हुए क्या कहा है। मामला कब का है। कोर्ट का पूरा फैसला क्या है। आइए जानते हैं।

ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। देश में रोजाना बड़ी संख्या में सड़क हादसे होते हैं। जिनमें कई लोगों की मौत हो जाती है और कई लोग घायल हो जाते हैं। इसमें कई बार गलती किसकी होती है यह समझ नहीं आता। ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। किस मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए क्या फैसला दिया है। हम आपको इस खबर में बता रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि अगर कोई कार हाइवे पर चलते हुए अचानक ब्रेक लगाती है और उस स्थिति में कोई दुर्घटना होती है तो उसे लापरवाही (Supreme Court sudden braking) माना जा सकता है।
किस मामले में दिया फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एक इंजीनियरिंग के छात्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला (Driving negligence ruling) सुनाया है। मामला साल 2017 का है जब कोयंबटूर में हादसे के बाद छात्र का पैर काटना पड़ा। इसके बाद छात्र ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
क्या था मामला
सात जनवरी 2017 को कोयंबटूर में एक इंजीनियरिंग का छात्र बाइक पर जा रहा था। उसकी बाइक आगे चल रही एक गाड़ी से टकरा गई थी। ऐसा तब हुआ जब आगे चल रही गाड़ी चलते हुए अचानक से रुक गई थी।
गाड़ी के रुकने के बाद पीछे आ रही बाइक कार के पिछले हिस्से से टकराई और बाइक के पीछे आ रही बस ने बाइक सवार को टक्कर मार दी थी।
कार चालक ने किया था दावा
हादसे के बाद कार चालक ने दावा किया था कि उसकी पत्नी गर्भवती थी और कार में बैठे हुए अचानक उसे उल्टी जैसा महसूस हो रहा था, जिस कारण कार चालक ने कार को रोका था। हांलाकि सुप्रीम कोर्ट ने कार चालक के दावे को खारिज करते हुए कहा यह स्पष्टीकरण उचित नहीं है।
कोर्ट ने बाइक सवार की गलती भी मानी
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बाइक सवार की गलती को भी माना। कोर्ट ने बाइक सवार और अपीलकर्ता की गलती मानते हुए कहा कि हमारे विचार में यह बात सही है कि अपीलकर्ता ने आगे चल रही कार से सुरक्षित दूरी बनाए रखने में निश्चित तौर पर लापरवाही बरती। इसके अलावा अपीलकर्ता ने बिना वैध लाइसेंस मोटरसाइकिल भी चलाई।
मुआवजा देने का आदेश
कोर्ट ने मामले में 1.14 करोड़ रुपये के मुआवजे का आदेश दिया। लेकिन इसमें अपीलकर्ता की सहभागी लापरवाही के कारण मुआवजे की रकम को 20 फीसदी तक कम कर दिया। साथ ही कोर्ट ने बाकी राशि को कार और बस की बीमा कंपनियों को चार हफ्ते में भुगतान करने का आदेश दिया है।
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