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    Nitin Gadkari ने बताया देश का फ्यूचर ट्रांसपोर्ट प्लान; हाइपरलूप, इलेक्ट्रिक बस, रोपवे से बदलेगा भारत का सफर

    Updated: Wed, 09 Jul 2025 02:30 PM (IST)

    केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि भारत का परिवहन क्षेत्र एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है। शहरों में इलेक्ट्रिक रैपिड ट्रांसपोर्ट और हाइपरलूप सिस्टम लाए जाएंगे। दिल्ली और बेंगलुरु में मेट्रिनो पॉड टैक्सी जैसे पायलट प्रोजेक्ट शुरू होंगे। दुर्गम इलाकों में रोपवे और केबल कार का निर्माण होगा। 25000 किलोमीटर दो-लेन राजमार्गों को चार लेन में बदला जाएगा।

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    Nitin Gadkari का मेगा मोबिलिटी प्लान के बारे में जानिए।

    ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रिय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि भारत का परिवहन क्षेत्र एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है। उनका विजन केवल महानगरों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें दूरदराज और दुर्गम ग्रामीण क्षेत्र भी शामिल है। उनका उद्देश्य देश में यात्रा को अधिक कुशल, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल बनाना है। आइए जानते हैं कि नितिन गडकरी ने भारत के परिवहन भविष्य को लेकर क्या-क्या कहां?

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    अत्याधुनिक परिवहन तकनीकों पर जोर

    • गडकरी के प्लान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शहरों में इलेक्ट्रिक रैपिड ट्रांसपोर्ट और हाइपरलूप जैसे सिस्टम को लेकर आना है। दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों के लिए मेट्रिनो पॉड टैक्सी और पिलर-बेस्ड मास रैपिड ट्रांसपोर्ट जैसे पायलट प्रोजेक्ट पाइपलाइन में पहले से ही हैं।
    • इसके साथ ही दुर्गम इलाकों के लिए रोपवे, केबल कार और फ्यूनिकुलर रेलवे का निर्माण किया जा रहा है। कुल 360 स्थानों पर ऐसे प्रोजेक्ट्स की योजना है, जिनमें केदारनाथ भी शामिल है। इसमें से 60 प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुका है। वह फ्यूनिकुलर रेलवे सिस्टम भी लाने की योजना बना रहे है, जो एलिवेटर और रेलवे तकनीक का मिश्रण है, जिससे पहाड़ी या ऊबड़-खाबड़ इलाकों में लोगों और सामान को आसानी से ऊपर-नीचे ले जाया जा सकता है। इन परियोजनाओं की लागत 200 करोड़ रुपये से 5,000 करोड़ रुपये तक है

    सड़कों को बढ़ाने पर काम

    भारत में सड़कों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है। इसके तहत 25,000 किलोमीटर दो-लेन राजमार्गों को चार लेन में अपग्रेड किया जाएगा। नितिन गडकरी साफ कहा है कि उनका लक्ष्य प्रतिदिन 100 किलोमीटर सड़कों का निर्माण करना है। 2013-14 में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 91,287 किलोमीटर थी, जो अब बढ़कर 1,46,204 किलोमीटर हो गई है, लगभग 60% की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय हाई-स्पीड कॉरिडोर की लंबाई भी 2014 में 93 किलोमीटर से बढ़कर अब 2,474 किलोमीटर हो गई है। सरकार सड़क निर्माण में प्रीकास्ट कंस्ट्रक्शन, तीन-फीट रोड बैरियर और ड्रोन तथा कैमरा मॉनिटरिंग सिस्टम जैसे एआई-बेस्ड चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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