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    एक बार फिर लगेगा वाहन सेक्टर को बड़ा झटका, नए नियमों से कीमत में होगी बढ़त, मारुति सुजुकी ने दी चेतावनी

    By BhavanaEdited By:
    Updated: Thu, 12 Aug 2021 07:36 AM (IST)

    पिछले हफ्ते ऑटोमेकर्स के शीर्ष निकाय सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और अप्रैल 2022 में लागू होने वाले नियमों के अनुपालन में एक साल की देरी के लिए अनुरोध किया।

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    इन सख्त कानून के तहत वाहनों की लागत बढ़ेगी।

    नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारत में बीते वर्ष वाहन सेक्टर में हुए कुछ बदलाव से मांग और कीमत दोनों पर प्रभाव पड़ा था। वहीं अब 2022 अप्रैल से लागू होने वाले नए नियमों को ध्यान में रखते हुए मारुति सुजुकी ने चेतावनी दी है, कि सख्त उत्सर्जन मानदंड जो अगले साल अप्रैल से देश में लागू होने वाले हैं, वाहनों की बिक्री को प्रभावित कर सकते हैं। इन सख्त कानून के तहत वाहनों की लागत बढ़ेगी। जिसका असर कीमत पर देखा जाएगा। और पहले से ही संघर्ष कर रहे ऑटो उद्योग को एक ओर झटका लगेगा।

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    पिछले हफ्ते, ऑटोमेकर्स के शीर्ष निकाय सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) ने परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और अगले अप्रैल में लागू होने वाले नियमों के अनुपालन में एक साल की देरी के लिए अनुरोध किया। हालांकि कंपनी के अध्यक्ष आरसी भार्गव का मानना ​​है कि नए उत्सर्जन नियम तब तक लागू नहीं होने चाहिए, जब तक कारों की मांग में बढ़त नहीं हो जाती। उन्होंने कहा कि नए मानक संभावित रूप से भारत में कार की पहुंच को 2% तक कम कर देंगे, जहां वर्तमान में यह प्रति 1,000 लोगों पर 30 है। 

    कंपनी के अध्यक्ष आरसी भार्गव ने एक इंटरव्यू में कहा कि "कीमतों में वृद्धि के कारण उद्योग में कोई वृद्धि होने के बजाय मांग में गिरावट आएगी। वर्तमान में वाहन उद्योग पहले से ही कोविड के कारण गिरावट का सामना कर रहा है, और अब नए नियमों के लागू होने से वाहनों की लागत और कीमत में इजाफा किया जाएगा।"  उन्होंने कहा कि "ऑटो उद्योग में गिरावट न केवल कार निर्माताओं को बल्कि यह पूरी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाती है।"

    वाहन निर्माताओं ने मौजूदा उत्सर्जन मानकों को अपनाने के लिए 900 अरब रुपये खर्च किए, जिससे नाइट्रस ऑक्साइड गैसों में 68 फीसदी की कमी आई। वहीं महामारी के बीच वित्तीय अनिश्चितता को देखते हुए नई तकनीकों में अधिक संसाधन लगाना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।