रोड सेफ्टी को लेकर Maruti सख्त, दिल्ली में खुला 12वां ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट सेंटर
मैनुअल टेस्टिंग विधि में आवेदकों का पास प्रतिशत 2018 में 84 प्रतिशत था। एडीटीटी की शुरुआत और टेस्टिंग के मानकीकरण के तुरंत बाद पास प्रतिशत तेजी से गिरकर लगभग 34 प्रतिशत रह गया जो धीरे-धीरे सुधरकर अब 64 प्रतिशत हो गया है। (जागरण फोटो)

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। देश में रोजाना हजारों की संख्या में मौत केवल सड़क हादसों से होती है। सरकार इस पर अंकुश लगाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इस क्रम में मारुति सुजुकी इंडिया भी रोड सेफ्टी को लेकर कई तरह के कंपेन चलाती रहती है। मारुति सुजुकी इंडिया रोड सेफ्टी लेकर काफी सक्रिय है। जिसमें सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए ड्राइवर प्रशिक्षण संस्थान और पूरी तरह से ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक स्थापित करना शामिल है।
ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट पर तेजी से चल रहा काम
मारुति ने दिल्ली सरकार के साल मिलकर दिसंबर 2017 से ही ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर काम कर रही है, जहां ऑटोमैटिक तरीके से ड्राइविंग टेस्ट किया जाता है। मारुति का मानना है कि अगर ट्रेन ड्राइव रोड पर गाड़ी चलाते हैं तो सड़क हादसे में काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
दिल्ली में खुला 12वां ऑटोमैटिक ड्राइविंग सेंटर
दिसंबर 2017 में हस्ताक्षरित परिवहन विभाग, एनसीटी दिल्ली के साथ समझौता ज्ञापन (एमओए) के हिस्से के रूप में मारुति ने अब दिल्ली में सभी 12 ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक को ऑटोमैटिक कर दिया है। इस ट्रैक की मदद से फर्जी डीएल बनाने वाली शिकायतों पर भी अंकुश लगेगा। पहल के हिस्से के रूप में, लाडो सराय में मारुति सुजुकी के ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक का उद्घाटन शुक्रवार को दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव परिवहन आशीष कुंद्रा ने किया।
कंपनी का बयान
ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट सेंटर को लेकर राहुल भारती, एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, कॉर्पोरेट अफेयर्स मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने कहा कि मारुति सुजुकी पिछले दो दशकों से सड़क सुरक्षा के सभी 5 स्तंभो- इंजीनियरिंग, शिक्षा, मूल्याकंन, प्रवर्तन और आपातकालीन देखभाल पर कड़ी मेहनत कर रही है। मूल्याकंन के लिए तकनीक का उपयोग करते हुए मारुति सुजुकी द्वारा परिवहन विभाग, एनसीटी ऑफ दिल्ली की भागीदारी में ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक (एडीटीटी) की स्थापना कंपनी की अपनी तरह की एक पहल है।
10 मिनट में पूरा हो जाएगा ड्राइविंग टेस्ट
इन एडीटीटी में, ड्राइविंग लाइसेंस उम्मीदवारों का बिना मानव हस्तक्षेप के वीडियो एनालिटिक्स टेक्नोलॉजी द्वारा उनके ड्राइविंग कौशल का परीक्षण लिया जाता है, और ये सारी प्रक्रिया केवल 10 मिनट के अंदर पूरी हो जाती है। ड्राइविंग लाइसेंस टेस्टिंग में दिल्ली अब 100 प्रतिशत कम्प्यूटराइज्ड है।
अचानक ड्राइविंग टेस्ट पास करने वाले आवेदकों में आई गिरावट
लाइसेंसिंग में ऑटोमेशन के प्रभाव के बारे में बताते हुए राहुल भारती ने कहा कि यह देखना बड़ा दिलचस्प है कि मैनुअल टेस्टिंग विधि में, आवेदकों का पास प्रतिशत 2018 में 84 प्रतिशत था। एडीटीटी की शुरुआत और टेस्टिंग के मानकीकरण के तुरंत बाद, पास प्रतिशत तेजी से गिरकर लगभग 34 प्रतिशत रह गया, जो धीरे-धीरे सुधरकर अब 64 प्रतिशत हो गया है। इससे पता चलता है कि अब उम्मीदवार अपने ड्राइविंग टेस्ट के लिए बेहतर तैयारी के साथ आ रहे हैं।
इससे यह भी पता चलता है कि लाइसेंस केवल कुशल उम्मीदवारों को ही दिया जाता है, ताकि सड़कों को ज्यादा सुरक्षित बनाया जा सके।
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