Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कम्‍प्‍यूटराइज्‍ड तरीके से होता है ड्राइविंग टेस्ट, जानें ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट सेंटर कैसे करता है काम

    By Atul YadavEdited By: Atul Yadav
    Updated: Sat, 20 May 2023 08:00 PM (IST)

    दिल्ली सरकार और मारुति सुजुकी एक समझौता के तहत दिसंबर 2017 में एक पहल शुरू की थी इस पहल के जरिए ऐसा ड्राइविंग टेस्ट बनाए गया है जहां कैमरे और कंप्यूटर की मदद से आवेदकों का टेस्ट लिया जाता है। (जागरण फोटो)

    Hero Image
    जानें ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट सेंटर कैसे करता है काम

    नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक का नाम पिछले कुछ सालों से तेजी से चर्चा में है। इस टेस्ट ट्रैक से ऑटोमेटिक तरीके से ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों का टेस्ट लिया जाता है, जहां ह्यूमन का कोई इंटरफेयर नहीं होता है। ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक कैसे काम करता है और इससे रोड सेफ्टी में क्या सुधार होने वाले हैं इन तमाम सवालों का जवाब आपको इस खबर के माध्यम से देने जा रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली में सबसे पहले शुरू हुआ था पहल

    दरअसल भारत में अभी भी बहुत सारी जगहों पर मैनुअल तरीके से ड्राइविंग टेस्ट होता है, जहां बहुत से ऐसे आवेदक होते हैं, जिन्हें गाड़ी चलाने भी नहीं आता है फिर भी उन्हें डीएल मिल जाता है। इसी पर रोक लगाने के लिए और सड़क सुरक्षा को और भी मजबूत बनाने के लिए दिल्ली सरकार और मारुति सुजुकी एक समझौता के तहत दिसंबर 2017 में एक पहल शुरू की थी इस पहल के जरिए ऐसा ड्राइविंग टेस्ट बनाए गया है , जहां कैमरे और कंप्यूटर की मदद से आवेदकों का टेस्ट लिया जाता है और 7 दिन के भीतर पास हुई आवेदकों का डीएल मिल जाता है।

    फर्जी डीएल पर लगेगा अंकुश?

    ऑटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट से जो सबसे बड़ा फायदा है वह यह है कि अब फर्जी तरीके से कोई भी आवेदन अपना DL नहीं प्राप्त कर सकता है। उसको अपना डीएल बनवाने के लिए सबसे पहले टू व्हीलर या फोर व्हीलर को सीखना पड़ेगा। देश में कई जगह पर ड्राइविंग लर्निंग स्कूल खोले गए हैं, जहां पर आवेदक सीख सकते हैं उसके बाद डीएल के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

    फुली एडवांस होते हैं ट्रैक

    इस ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर कई एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें एक्सेस कंट्रोल एंट्री एग्जिट, फुल्ली आटोमेटिक टेस्ट ट्रैक, वीडियो एनालिटिक्स टेक्नोलॉजी, एग्जिट कॉरिडोर ईच टेस्ट ट्रैक, आदि शामिल है।

    कैमरे से रिकॉर्ड होता है पूरा टेस्ट

    इस सेंटर पर आवेदकों को 10 मिनट का समय दिया जाता है। ये ट्रैक पूरे 2 हिस्सों में डिवाइड है, जहां एक छोटा सा हिस्सा दोपहिया आवेदकों के लिए है, वहीं दूसरा बड़ा हिस्सा चार पहिया वाहन के लिए आवेदन करने वालों के लिए है। टेस्टिंग के दौरान ट्रैफिक सिग्नल , मोड, रिवर्ड मोड आदि ट्रैक पड़ता है, जहां आवेदकों को अपनी ड्राइविंग कौशल का प्रदर्शन करने का मैका मिलता है।

    10 मिनट के अंदर आ जाएगा रिजल्ट

    इन एडीटीटी में, ड्राइविंग लाइसेंस उम्मीदवारों का बिना मानव हस्‍तक्षेप के वीडियो एनालिटिक्‍स टेक्‍नोलॉजी द्वारा उनके ड्राइविंग कौशल का परीक्षण लिया जाता है, और ये सारी प्रक्रिया केवल 10 मिनट के अंदर पूरी हो जाती है। ड्राइविंग लाइसेंस टेस्टिंग में दिल्‍ली अब 100 प्रतिशत कम्‍प्‍यूटराइज्‍ड है

    पास होने की प्रतिशत में तेजी से आई थी गिरावट

    पहले आवेदक बिना तैयारी के आ जाते थे, जिससे उन्हें फेल होने की संभावनाएं अधिक थी। साल 20218 में 84 फीसद लोग पास हुई थे, ऑटोमैटिक टेस्टिंग ट्रैक के शुरू होते ही पास प्रतिशत तेजी से गिरकर लगभग 34 प्रतिशत रह गया, जो धीरे-धीरे सुधरकर अब 64 प्रतिशत हो गया है। इससे पता चलता है कि अब उम्‍मीदवार अपने ड्राइविंग टेस्‍ट के लिए बेहतर तैयारी के साथ आ रहे हैं।