Automobile Industry Market India: ऑटो सेक्टर में बढ़ा भारत का दबदबा, जापान को पीछे छोड़ बना तीसरा बड़ा मार्केट
Automobile industry market India भारत में गाड़ियों की डिमांड में तेजी देखी जा रही है। हाल में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट रहा। देश में कारों की इतनी खरीद-बिक्री रही कि इसने जापान को भी पीछे छोड़ दिया है।

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारत में तेजी से बढ़ते ऑटो सेक्टर (Auto Sector) की चमक अब विश्व स्तर पर दिखने लगी है। निक्केई एशिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पिछले साल गाड़ियों की बिक्री में जापान को पीछे छोड़ दिया है और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार बन गया है। इस लिस्ट में सबसे ऊपर चीन है, जबकि दूसरे स्थान पर अमेरिका है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
निक्केई एशिया के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा गाड़ियां चीन में बिकी हैं। चीन में कुल 26.27 मिलियन वाहनों की बिक्री हुई है। वहीं, दूसरे नंबर पर आने वाला अमेरिका 15.4 मिलियन वाहनों की बिक्री के साथ है। शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर भारत में नए वाहनों की कुल बिक्री लगभग 4.25 मिलियन यूनिट रही, जबकि जापान में बेची गई गाड़ियों की संख्या 4.2 मिलियन यूनिट है।
कोविड के बावजूद बढ़ी बिक्री
निक्केई एशिया ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत के ऑटो बाजार में उतार-चढ़ाव आया है। अगर सालाना रिपोर्ट को देखें तो 2018 में मोटे तौर पर लगभग 4.4 मिलियन वाहन बेचे गए, जो 2019 में 4 मिलियन यूनिट से भी कम हो गया था। 2020 में लॉकडाउन के बाद वाहन बिक्री 30 लाख यूनिट तक पहुंच गई थी। वहीं, 2021 में स्थिति में थोड़ा सुधार आया और बिक्री 4 मिलियन यूनिट तक पहुंची। हालांकि, इसके बाद से सेमीकंडक्टर चिप की कमी शुरू हो गई थी।
बीते साल की बात करें तो सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के अनुसार, जनवरी और नवंबर 2022 के बीच भारत में कुल 4.13 मिलियन नए वाहनों की डिलीवरी हुई। वहीं, सालभर में लगभग 4.25 मिलियन यूनिट की बिक्री हुई है।
इन गाड़ियों की रही डिमांड
निक्केई एशिया ने कहा कि पिछले साल भारत में बिकने वाली ज्यादातर गाड़ियां हाइब्रिड थीं और इसके बाद गैसोलीन से चलने वाली गाड़ियों को सबसे ज्यादा पसंद किया गया। वहीं, इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा।
ब्रिटिश शोध फर्म यूरोमॉनिटर के अनुसार, 2021 में केवल 8.5 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास एक यात्री वाहन था, लेकिन अब इसमें तेजी से इजाफा देखा जा रहा है।
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