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    अगले पांच साल में दुनिया में नंबर वन हो जाएगा भारत का ऑटोमोबाइल बाजार, अमेरिका और चीन को कर देगा पीछे

    Updated: Tue, 10 Dec 2024 07:30 PM (IST)

    केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 78 लाख करोड़ की लागत के साथ अमेरिका पहले स्थान पर और 47 लाख करोड़ के साथ चीन का आटोमोबाइल बाजार दूसरे नंबर पर है। भारत में लाजिस्टिक लागत 16 प्रतिशत है और चीन में यह आठ प्रतिशत है अमेरिका और यूरोपीय देशों में यह 12 प्रतिशत है। सरकार ने लाजिस्टिक लागत को कम करने का फैसला किया है।

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    दुनिया में नंबर वन हो जाएगा भारत का आटोमोबाइल बाजार।

    नई दिल्ली, पीटीआई। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को भरोसा जताया कि भारत का आटोमोबाइल उद्योग अगले पांच वर्षों में दुनिया में नंबर एक स्थान पर पहुंच जाएगा। इस दौरान उन्होंने भारत में लाजिस्टिक्स लागत को दो सालों के अंदर नौ प्रतिशत तक कम करने के अपने मंत्रालय के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को रेखांकित किया। अमेजन संभव शिखर सम्मेलन में बोलते हुए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने भारत के आटोमोबाइल उद्योग की वृद्धि का उल्लेख किया।

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    पहले नंबर पर अमेरिका तो दूसरे पर चीन

    गडकरी ने कहा, मेरे पदभार संभालने के बाद से सात लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 22 लाख करोड़ रुपये हो गया है। 78 लाख करोड़ की लागत के साथ अमेरिका पहले स्थान पर और 47 लाख करोड़ के साथ चीन का आटोमोबाइल बाजार दूसरे नंबर पर है। मंत्री ने कहा कि भारत में प्रतिष्ठित वैश्विक आटोमोबाइल ब्रांडों की उपस्थिति देश की क्षमता का संकेत देती है। उन्होंने दो सालों के अंदर भारत में लाजिस्टिक्स लागत को एक अंक तक कम करने के अपने मंत्रालय के लक्ष्य को स्पष्ट किया।

    भारत में लाजिस्टिक लागत 16 प्रतिशत

    नितिन गडकरी ने आगे कहा कि भारत में लाजिस्टिक लागत 16 प्रतिशत है और चीन में यह आठ प्रतिशत है, अमेरिका और यूरोपीय देशों में यह 12 प्रतिशत है। सरकार ने लाजिस्टिक लागत को कम करने का फैसला किया है। हमारा लक्ष्य है कि दो साल के भीतर, हम लाजिस्टिक लागत को नौ प्रतिशत तक ले आएंगे। इस दौरान गडकरी ने उन विशिष्ट परियोजनाओं के बारे में भी बताया, जो प्रमुख शहरों के बीच यात्रा के समय को काफी कम कर देंगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली से देहरादून की यात्रा में अभी नौ घंटे लगत हैं, लेकिन अगले साल की शुरुआत से यह दूरी तय करने में केवल दो घंटे लगेंगे। इसी तरह, दिल्ली-मुंबई और चेन्नई-बेंगलुरु के बीच यात्रा के समय में भी काफी कमी आने की उम्मीद है।

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