Hyundai दे रही लोकलाइजेशन पर जोर, Creta EV के लिए देश में ही बनाई गए बैटरी पैक
साउथ कोरियाई वाहन निर्माता Hyundai की ओर से भारतीय बाजार में कई वाहनों को बिक्री के लिए उपलब्ध करवाया जाता है। कंपनी की योजना भारत में ही लोकलाइजेशन को बढ़ाते हुए पार्ट्स और EV के लिए बैटरी बनाने की है। कंपनी ने इस लक्ष्य को कितने फीसदी तक हासिल किया है। किस गाड़ी में Made In India बैटरी पैक का उपयोग किया गया है। आइए जानते हैं।
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। भारत में कई सेगमेंट में वाहनों को ऑफर करने वाली निर्माता Hyundai की ओर से नए कीर्तिमान को हासिल किया गया है। कंपनी की ओर से आत्मनिर्भर भारत के लिए किस तरह के कीर्तिमान को हासिल किया गया है। हम आपको इस खबर में बता रहे हैं।
Hyundai ने हासिल किया मुकाम
हुंडई मोटर इंडिया की ओर से नए कीर्तिमान को हासिल किया गया है। कंपनी ने Make In India के तहत 92 फीसदी तक स्थानीयकरण को हासिल कर लिया है। इसके साथ ही कंपनी की ओर से चेन्नई में विनिर्माण फेसिलिटी के अंदर नई बैटरी पैक की स्थानीय असेंबली को भी शुरू किया गया है।
करोड़ों रुपये की हुई बचत
कंपनी की ओर से स्वदेशीकरण करने के प्रयासों से 2019 से अब तक 672 मिलियन अमेरिकी डॉलर (5,678 करोड़ रुपये से अधिक) की विदेशी मुद्रा बचत हुई है और 1,400 से अधिक लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।
Hyundai Creta EV में लगी बैटरी
हुंडई क्रेटा के इलेक्ट्रिक वर्जन को जनवरी 2025 में ही लॉन्च किया गया है। इस गाड़ी में भी जो बैटरी पैक लगाया गया है वह भी भारत में बनाया गया है।
अधिकारियों ने कही यह बात
एचएमआईएल के पूर्णकालिक निदेशक गोपालकृष्णन चतपुरम शिवरामकृष्णन ने कहा कि स्वदेशीकरण के प्रयास भारत सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक-इन-इंडिया' पहलों के साथ गहराई से तालमेल रखते हैं और हमारी स्थानीयकरण रणनीति घरेलू स्तर पर विश्व स्तरीय तकनीक विकसित करने के लिए भारत के समृद्ध संसाधनों, कुशल कार्यबल और उन्नत इंजीनियरिंग कौशल का लगातार लाभ उठाने का प्रयास करती है। एचएमआईएल और मोबिस इंडिया लिमिटेड के बैटरी-पैक असेंबली प्लांट का चालू होना हमारे स्थानीयकरण और ईवी रोडमैप में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। हुंडई क्रेटा इलेक्ट्रिक भारत में निर्मित पहली हुंडई ईवी बन गई है जो इसी प्लांट में असेंबल की गई बैटरी-पैक से लैस है।
कितनी है क्षमता
कंपनी से मिली जानकारी के मुताबिक पहले चरण में इस प्लांट में हर साल 75 हजार बैटरी पैक बनाए जा सकते हैं। जिसमें एनएमसी और एलएफपी के साथ ही अन्य तकनीक वाली बैटरी को बनाया जा सकता है।
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