Electric Vehicles के प्रोत्साहन के लिए सरकार लाएगी नई नीति, 2024-25 में फेम-3 शुरू कर सकती है सरकार
सरकार नई नीति लाकर ईवी मैन्यूफैक्चरिंग की सबसे बड़ी अमेरिकन कंपनी टेस्ला व वियतनाम की ईवी कंपनी विनफास्ट को भारत में निवेश के लिए लाना चाहती है। इस दिशा में भारी उद्योग मंत्रालय व उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) मिलकर नीति तैयार कर रहा है। घरेलू कंपनियों को भी समान अवसर व लाभ दिए जाएंगे। आइए पूरी खबर के बारे में जान लेते हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इलेक्ट्रिक वाहनों से चौतरफा फायदा को देखते हुए सरकार इनके लिए अलग से मैन्यूफैक्चरिंग नीति लाने जा रही है। यह नीति इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रोत्साहन के लिए पहले से चल रही फास्टर एडाप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल(FAME) और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम से अलग होगी।
नई नीति से EVs को मिलेगा बढ़ावा
सरकार नई नीति लाकर ईवी मैन्यूफैक्चरिंग की सबसे बड़ी अमेरिकन कंपनी टेस्ला व वियतनाम की ईवी कंपनी विनफास्ट को भारत में निवेश के लिए लाना चाहती है। इस दिशा में भारी उद्योग मंत्रालय व उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) मिलकर नीति तैयार कर रहा है।
ईवी प्रोत्साहन के लिए पहले से चली आ रही नीति के समर्थन से वर्ष 2023 में ईवी की कुल बिक्री में वर्ष 2022 के मुकाबले 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कुल ऑटोमोबाइल्स बिक्री में वर्ष 2021 में ईवी की हिस्सेदारी सिर्फ 1.02 प्रतिशत थी जो वर्ष 2023 में बढ़कर 6.38 प्रतिशत हो गई। सरकार वर्ष 2030 तक इस हिस्सेदारी को 30 प्रतिशत से अधिक ले जाना चाहती है।
एंट्री मारेंगी Tesla जैसी EV कंपनियां
टेस्ला जैसी ईवी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के भारत में निवेश करने से ईवी सेक्टर में वहीं माहौल बनेगा, जो मोबाइल फोन निर्माण में एपल के भारत में आने से बना है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक जो भी नीति बनेगी उससे सिर्फ विदेशी ईवी मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को लाभ नहीं मिलेगा।
घरेलू कंपनियों को भी समान अवसर व लाभ दिए जाएंगे। टेस्ला भारत में पहले एक निश्चित संख्या में बनी-बनाई इलेक्ट्रिक कार लाकर बेचना चाहती है और उसके एक-दो साल बाद भारत में मैन्यूफैक्चरिंग शुरू करना चाहती है। इसलिए टेस्ला सरकार से इलेक्ट्रिक कार के आयात शुल्क में भारी छूट चाहती है।
सूत्रों के मुताबिक ईवी की प्रस्तावित नीति में सिर्फ टेस्ला को कोई छूट नहीं मिलेगी। सभी कंपनियों के लिए एक समान नीति होगी। घरेलू कंपनियां किसी भी रूप में प्रभावित नहीं हो, इस दिशा में काम किया जा रहा है। सरकार भारत को ईवी के मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करना चाहती है।
ऐसे में बनी-बनाई इलेक्ट्रिक कार के आयात की छूट से मैन्यूफैक्चरिंग प्रभावित हो सकता है। इसलिए टेस्ला से बैंक गारंटी ली जा सकती है कि एक निश्चित समय के बाद भारत में मैन्यूफैक्चरिंग शुरू नहीं करने पर उससे आयात शुल्क का लाभ वापस ले लिया जाएगा या कुछ इस प्रकार का प्रविधान किय जा सकता है।
2024-25 में फेम-3 शुरू कर सकती है सरकार
सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और तेज करने के लिए नए वित्त वर्ष 2024-25 में फेम-3 शुरू कर सकती है। फेम-2 की अवधि इस साल मार्च में खत्म हो रही है और इसके साथ ही इलेक्ट्रिक दोपहिया व बसों की बिक्री पर मिलने वाली सरकारी सब्सिडी समाप्त हो जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक नए वित्त वर्ष में सरकार फेम-3 के लिए 10,000 करोड़ रुपए का आवंटन कर सकती है। फेम-3 में दोपहिया वाहन व बस के साथ ट्रक व अन्य कमर्शियल वाहनों की बिक्री पर भी सब्सिडी दी जा सकती है।
इसकी मुख्य वजह है कि इलेक्ट्रिक कमर्शियल वाहनों के इस्तेमाल में बढ़ोतरी से प्रदूषण कम होगा और डीजल की खपत कम होने से बाद में पेट्रोलियम पदार्थों के आयात में भी कमी आएगी। इलेक्ट्रिक कार चार्जिंग की सहूलियत बढ़ जाने पर काफी कम लागत में लंबी दूरी का सफर तय कर पाएंगे।
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