भारत में पहली बार यहां उड़ा था प्लेन; छोटे से शहर ने रचा था इतिहास, उड़ान देखने पहुंचे थे एक लाख लोग
भारत में पहला हवाई जहाज 18 फरवरी 1911 को इलाहाबाद (प्रयागराज) में उड़ा था। यह हम्बर्ट बायप्लेन था जिसने 6 मील की दूरी 13 मिनट में तय की। पायलट हेनरी पिकक्वेट ने 6500 पत्रों के साथ उड़ान भरी जो पहली एयरमेल उड़ान थी। इसे ब्रिटिश और कॉलोनियल एयरप्लेन कंपनी ने प्रदर्शनी के लिए भेजा था। उस समय इसकी गति लगभग 64 से 72 किमी/घंटा थी।
ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपको पता है कि भारत में पहला हवाई जहाद कहां पर उतरा था? उस हवाई जहाज ने कहां से उड़ान भरी थी? उसमें कितने लोग सवार थे? वह किस तरह का विमान था और उस विमान ने उड़ान भरत ही विश्व रिकॉर्ड भी बना लिया था। अपको नहीं पता, कोई बात नहीं। हम यहां पर आपको उसी विमान के बारे में सबकुछ बता रहे हैं। आइए इसके बारे में विस्तार में जानते हैं।
हवाई जहाज सिर्फ 6 मील उड़ा
भारत में सबसे पहले जो हवाई जहाज उड़ा था, वह एक हम्बर्ट बायप्लेन था, जो भारत में आने और उड़ने वाला पहला विमान था। इस हवाई जहाज ने केवल 6 मील यानी 9.6 किलोमीटर की उड़ान भरी थी। इसकी स्पीड इतनी धीमी थी कि इसे दौड़कर भी पछाड़ा जा सकता था।
भारत के इस शहर में भरी थी पहली उड़ान
भारत में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर में पहली बार एक हवाई जहांज ने उड़ान भरी थी और यहां पर पहली बार लैंडिंग की थी। इस शहर का नाम इलाहाबद (अब प्रयागराज) है। यह ऐतिहासिक घटना 18 फरवरी, 1911 को हुई। हवाई जहाज ने यह उड़ान इलाहाबाद से भरी और 13 मिनट में 6 मील (9.6 किलोमीटर) की दूरी तय करके नैनी में लैंड हुई। यह विमान एक हम्बर्ट बायप्लेन था, जो भारत में आने और उड़ने वाला पहला विमान था।
स्पीड इतनी कि धावक छोड़ देता पीछे
उस समय के शुरुआती हवाई जहाजों के लिए, इसकी औसत गति लगभग 40 से 45 मील प्रति घंटा (64 से 72 किमी/घंटा) थी। यह हवाई जहाज ट्रोल पर चलता था और बस से भी धीमा था। जमीन पर एक तेज धावक भी इसे पीछे छोड़ सकता था। इसमें केवल उड़ने की क्षमता थी। इस उड़ान ने भारत की पहली वाणिज्यिक एयरमेल सेवा की शुरुआत की, जो एक बड़ी उपलब्धि का प्रतीक थी।
पायलट और ऐतिहासिक मेल उड़ान
इस हवाई जहाज के पायलट हेनरी पिकक्वेट थे। इन्होंने हम्बर्ट बायप्लेन को उड़ाया और 6,500 पत्र लेकर गए। यह ग्लोबल लेवल पर पहली एयरमेल उड़ान के रूप में एक विश्व रिकॉर्ड था। इस हवाई जहाज का सफर इलाहाबाद के पोलो ग्राउंड से शुरू हुआ और नैनी जंक्शन पर समाप्त हुआ।
हवाई जहाज भारत कैसे पहुंचा?
ब्रिटिश और कॉलोनियल एयरप्लेन कंपनी ने इस विमान को 1911 में उत्तर प्रदेश प्रदर्शनी और प्रयागराज में कुंभ मेले में प्रदर्शित करने के लिए भारत भेजा था। इसे समुद्र के रास्ते 100 से ज्यादा पार्सल में पहुंचा था, जिन्हें ब्रिटिश इंजीनियरों ने कई दिनों की कड़ी मेहनत से जोड़ा, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक उमड़े थे।
भीड़ ने देखा इतिहास
जब हवाई जहाज ने प्रयागराज में आखिरकार उड़ान भरी, तो करीब एक लाख लोगों इसे देखने के लिए इकट्ठा हुए। उस समय इलाहाबाद एक महत्वपूर्ण ब्रिटिश प्रशासनिक और सैन्य केंद्र था। इस कार्यक्रम का आयोजन ब्रिटिश और कॉलोनियल एयरप्लेन कंपनी द्वारा किया गया था, जिसमें ब्रिटिश डाक अधिकारियों, विशेष रूप से कर्नल वाई. विंडहैम की योजना और अनुमति शामिल थी।
हावाई जहाज के फीचर्स
हम्बर्ट बायप्लेन दो सीटों वाला था, लेकिन उस दिन केवल पायलट ने उड़ान भरी थी। दरअसल इसका उद्देश्य यात्रियों के बजाय मेल को ले जाना था। 50 हॉर्सपावर के पिस्टन इंजन से चलने वाले इस विमान के फ्यूल टैंक में 30 से 50 लीटर विमानन-ग्रेड पेट्रोल था, जो 13 मिनट की यात्रा के लिए पर्याप्त था।
भारत की पहली चार्टर्ड और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें
भारत की पहली चार्टर्ड यात्री उड़ान 15 अक्टूबर, 1932 को हुई थी, जब जे.आर.डी. टाटा ने टाटा एयरलाइंस की पहली यात्रा कराची से मुंबई तक की थी। इसी समय, भारत की पहली हवाई पट्टी बनाई गई, जो टेक-ऑफ और लैंडिंग के लिए एक उचित रनवे थी। देश की पहली अंतर्राष्ट्रीय उड़ान 8 जून, 1948 को हुई, जिसमें एयर इंडिया ने मुंबई से लंदन तक 35 यात्रियों को सफलपूर्वक लेकर गई थी।
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