कार लीजिंग ज्यादा किफायती या फिर नई कार पर लोन ? समझें पूरा गणित
कार लीजिंग स्कीम में ऑटोमोबाइल कंपनी आपको एक निश्चित अवधि और कुछ किलोमीटर के लिए कार किराए पर देती हैं ...और पढ़ें

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारतीय बाजार में कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियां जैसे Hyundai, Mahindra & Mahindra, Skoda और Fiat अपने ग्राहकों को कार लीजिंग सर्विस भी मुहैया करा रही हैं। कार लीजिंग स्कीम में ऑटोमोबाइल कंपनी आपको एक निश्चित अवधि और कुछ किलोमीटर के लिए कार किराए पर देती हैं। हालांकि, इसमें कार लोन जैसा झंझट नहीं होता कि ज्यादा डाउन पेमेंट करनी पड़ेगी और फिर लंबी अवधि तक लोन चलेगा। इसमें सबसे ज्यादा ध्यान देनी वाली बात यह है कि कार लीजिंग के दौरान आपको किसी तरह की कोई डाउनपेमेंट नहीं करनी होती, ना ही पूरे मेंटेनेंस, इंश्योरेंस और रजिस्ट्रेशन कॉस्ट की टेंशन लेनी होती है।
कार कंपनियां अक्सर कार को दो साल या फिर 5 साल के लिए लीज पर देती हैं। इसमें कार की पूरी कीमत चुकाने के बजाए ग्राहक कार सिर्फ कार को इस्तेमाल करने की रकम चुकाएंगे, जो कि पूर्व-निर्धारित कार्यकाल और किलोमीटर पर आधारित है।
जैसा कि ऑटो इंडस्ट्री में इन दिनों बिक्री में गिरावट का माहौल देखने को मिल रहा है। हाल ही में जारी सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इंडस्ट्री ने अप्रैल से जून 2019 की अवधि में कुल 7,215,513 वाहनों का निर्माण किया है, जिसमें पैसेंजर व्हीकल्स, कमर्शियल व्हीकल्स, थ्री व्हीलर्स, टू-व्हीलर्स और फोर व्हीलर्स शामिल हैं। इससे बीते वित्त वर्ष अप्रैल से जून 2018 की अवधि में यह आंकड़ा 8,064,744 का रहा था, जो कि 10.53 फीसद की गिरावट साफ देखी जा सकती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार, "लीज मार्केट वर्तमान में 1,500 करोड़ रुपये का है और 15-20 CAGR में बढ़ रहा है। लग्जरी कार कंपनियों के अनुसार वर्तमान में व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट लीज सेगमेंट में उनकी कुल बिक्री लगभग 15 फीसद शामिल है।"
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लीजिंग का पूरा गणित आसान शब्दों में समझें
कार लीजिंग हमेशा कंपनी से कंपनी पर निर्भर करता है। Hyundai की आधिकारिक वेबसाइट www.hyundai.com के मुताबिक Hyundai Grand i10 1.2 Era बेस पेट्रोल वेरिएंट 8,936 रुपये (GST के साथ) में लीज पर उपलब्ध है, जो कि 60 महीनों या 5 साल के लिए है। अगर यही मॉडल आप खरीदते हो तो ऑन-रोड कीमत 5.51 लाख रुपये की पड़ती है, जिसमें अगर आप 1 लाख रुपये की डाउन पेमेंट करते हैं तो आपकी 5 साल या 60 महीनों के लिए मासिक किस्त 9,599 रुपये महीना बनेगी, जो कि 10 फीसद ब्याज के साथ है।
वहीं, अगर 5 साल बाद आप अपनी कार को बेचते हैं तो इसकी रीसेल वैल्यू में 30 फीसद की गिरावट (Depreciation) आ जाएगी। यानी इसकी रीसेल वैल्यू करीब 3.86 लाख रुपये हो जाएगी। इस गणना से आपको करीब 1.50 लाख रुपये का फायदा होगा। लेकिन, इसमें आपको 5 साल तक की मेंटेनेंस खुद से ही करानी होगी, जो कि लीजिंग में उपलब्ध नहीं है।
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ऐसे ही आप Hyundai की SUV Creta का 1.4 डीजल E+ पांच साल के लिए 17,642 रुपये (GST के साथ) में लीज पर लेते हैं। इसकी ऑन-रोड कीमत 11.39 लाख रुपये पड़ती है और इस कार पर 3 लाख रुपये का डाउन पेमेंट करते हैं तो 5 साल के लिए आपको हर महीने 10 फीसद ब्याज दर के हिसाब से 17,845 रुपये चुकाने पड़ेंगे।
लीज पर लेने का फायदा
- कार लीज पर लेने से फायदा और नुकसान दोनों ही हैं। इसमें फायदा यह है कि यदि आपके पास भुगतान करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है, तो यह विकल्प आपके लिए मददगार होगा।
- इसके अलावा यहां एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि लीजिंग विकल्प में किराया भी कार लोन की EMI से कम होता है।
- ग्राहक किसी भी परेशानी के बिना लीज के कार्यकाल के आधार पर दो से तीन साल के बाद एक नए मॉडल में भी अपग्रेड कर सकते हैं।
लीज पर लेने का नुकसान
- हालांकि, नुकसान यह है कि यदि आप समय से पहले लीज समाप्त करते हैं या रोकते हैं तो आपके ऊपर हैवी पेनैल्टी लगाई जाती है।
- इसके अलावा दो से तीन साल की तरह छोटी अवधि के लिए मासिक किराया महंगा काफी महंगा है।
- इसके अलावा एक बार लीजिंग कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद आपके पास वह वाहन नहीं होता है और यदि आप कार किराए पर लेने का विकल्प चुनते हैं तो आपको कंपनी जितने किलोमीटर की सीमा बताएगी, उतने ही किलोमीटर चलाने की अनुमति होगी।
- यदि आप निर्धारित किलोमीटर से ज्यादा चला लेते हैं, तो आपको कार के मॉडल के आधार पर अतिरिक्त किलोमीटर चलाने के लिए उच्च शुल्क का भुगतान करना होगा।

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