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घोर मंदी में ऑटो सेक्टर, बजट ही सहारा

ऑटो सेक्टर की सभी प्रमुख कंपनियों ने पिछले महीने के जो आंकड़ें पेश किए हैं उससे स्पष्ट है कि यह इंडस्ट्री गले तक मंदी की गिरफ्ट में है

By Ankit DubeyEdited By: Published: Tue, 02 Jul 2019 09:29 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2019 08:24 AM (IST)
घोर मंदी में ऑटो सेक्टर, बजट ही सहारा
घोर मंदी में ऑटो सेक्टर, बजट ही सहारा

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। जून महीना भी ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए कोई उम्मीद भरी खबर नहीं लाया। ऑटो सेक्टर की सभी प्रमुख कंपनियों ने पिछले महीने के जो आंकड़ें पेश किए हैं, उससे स्पष्ट है कि यह इंडस्ट्री गले तक मंदी की गिरफ्ट में है। देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी की घरेलू बिक्री में 17.2 फीसद और टाटा मोटर्स की पैसेंजर कारों की बिक्री में 27 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। हुंडई मोटर इंडिया की बिक्री में 3.2 फीसद, तो टोयोटा का बिक्री 19 फीसद गिरी है। जून में महिंद्रा एंड महिंद्रा की बिक्री में 9 फीसद तक की गिरावट दर्ज हुई है। कुल मिलाकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में पिछले 20 महीनों से सुस्ती का दौर जारी है। जून में सेक्टर को इन 20 महीनों की सबसे बड़ी गिरावटों में एक का सामना करना पड़ा है।

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सबसे चिंता की बात यह है कि आने वाले दिनों में भी कार इंडस्ट्री की यह मंदी टूटती नहीं दिख रही। ऐसे में ऑटो इंडस्ट्री की पूरी उम्मीद इसी सप्ताह शुक्रवार को पेश होने वाले आम बजट पर टिक गई है। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को उम्मीद है कि सरकार की तरफ से उन्हें कुछ राहत दी जा सकती है।

चुनौतियों में कमी नहीं

बाजार के जो हालात हैं, उनमें इस बात के संकेत नहीं दिख रहे हैं कि इस वक्त लोगों में नई कारों की खरीद को लेकर ज्यादा जोश पैदा हो। इसकी बड़ी वजह यह है कि आने वाले छह महीनों या इस पूरे वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास दर को लेकर जो अनुमान लगाए जा रहे हैं वे बहुत उत्साहजनक नहीं हैं। दूसरी वजह यह है कि नई रिपोर्ट के मुताबिक मानसून की स्थिति बहुत संतोषजनक नहीं है। देश के 30-40 फीसद हिस्से में सूखे जैसे हालात की आशंका है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों से और कृषि आधारित वर्ग से वाहनों की जो मांग आती है, उसके नदारद होने के आसार हैं।

महिंद्रा ट्रैक्टर्स की बिक्री जून में 18 फीसद घट गई है। यह कमी पिछले वर्ष जून के मुकाबले हुई है। जाहिर है कि जब किसान खेतों के लिए ट्रैक्टर ही नहीं खरीद रहा है तो फिर वह पैसेंजक कारों की खरीद किस तरह से करेगा। मारुति, हुंडई, टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों की कुल बिक्री में 30 फीसद तक हिस्सा ग्रामीण बाजारों का होता है।

आंकड़ों से पता चलता है कि ट्रैक्टर्स से लेकर दोपहिया वाहनों तक की बिक्री, सस्ती पैंसेंजर कारों से लेकर भारी वाहनों तक के बाजारों में सन्नाटा है। हिंदुजा समूह की अशोक लेलैंड के भारी वाहनों की बिक्री में 19 फीसद की गिरावट भी कुछ ऐसी ही कहानी कहती है। ऑटोमोबाइल की नजर अब शुक्रवार को पेश होने वाले आम बजट पर है। माना जा रहा है कि सरकार की तरफ से किसानों की स्थिति को सुधारने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में मांग को बढ़ाने पर खास ध्यान दिया जाएगा।

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