बहुत दिलचस्प है भारत में Nissan की एंट्री का किस्सा, अब तक कैसा रहा इसका सफर
क्या आपने कभी सोचा है कि निसान नाम का मतलब क्या होता है? क्या आप इसके बारे में जानते हैं ये कब आई कैसे इसने कैसे धीरे-धीरे भारत में अपनी जगह बनाई। चलिए आपको इन सभी सवालों का जवाब देते हैं। (जागरण फोटो)

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। Nissan की गाड़ियां जब अमेरिका की सड़कों पर राज करने लगीं तो इससे उत्साहित होकर कंपनी ने दुनिया के अन्य देशों में भी अपने पांव फैलाने शुरू किए। शुरुआत में ब्रांड को खूब कामयाबी मिली, लेकिन बाजार में उपलब्ध विकल्पों के बीच कहीं न कहीं निसान पिछड़ने लगी। इस समय दुनिया का हर बड़ा वाहन निर्माता एसयूवी सेगमेंट में अपना कारोबार बढ़ा रहा है, जबकि निसान अपने एसयूवी ऑपरेशन को बहुत स्पीड नहीं दे पाई। ताजा उदाहरण Kicks SUV का है।
'निसान' नाम का मतलब
क्या आपने कभी सोचा है कि 'निसान' नाम का मतलब क्या होता है? चलिए आपको बताते हैं। 'नि' का अर्थ है सूर्य और 'सन' का अर्थ है उत्पाद या जन्म। निसान को भारतीय बाजार के साथ दुनियाभर में बेहतरीन कार को बनाने के लिए जाना जाता है। निसान मोटर्स इंडिया, निसान मोटर कंपनी लिमिटेड, जापान की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
भारतीय बाजार में निसान ने अपना कारोबार 2005 में शुरू किया था। बाजार में अच्छी पहचान बनाने के लिए कंपनी ने भारत में अपने 2 ब्रांड लाने की योजना बनाई थी। पहला निसान इंडिया था और दूसरा इसका छोटा सब-ब्रांड था, जिसे बाद में निसान ने डैटसन के साथ मिला दिया था।
निसान एक्स-ट्रेल
निसान इंडिया का पहला मॉडल निसान एक्स-ट्रेल था। एक्स-ट्रेल की अच्छी बिक्री के बाद, कंपनी ने 2007 में निसान Teana और वास्तव में ये कार काफी स्पोर्टी लुक से साथ आई थी, निसान 370Z को 2010 में लाया गया था। सीबीयू यूनिट के बाद, 3 कारें जो बाजार में आईं, पूरी तरह से अलग थीं।
SUV सेगमेंट में एंट्री
Nissan ने अपने SUV का विस्तार करते हुए भारतीय बाजार में 2020 में Kicks को लॉन्च किया था। कंपनी ने इसमें नया 1.5-लीटर टर्बो पेट्रोल इंजन पेश किया।
फिलहाल, अब रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि कंपनी ने भारत में एसयूवी की बुकिंग बंद कर दी है। इसके साथ ही आधिकारिक वेबसाइट पर भी इसकी बुकिंग बंद कर दी गई है। अनुमान ये लगाया जा रहा है कि आने वाले आरडीई मानदंडों के कारण किक्स बंद हो सकती है।
RDE Norms का कितना असर
BS6 उत्सर्जन मानदंड के तहत अब वाहनों में ऑनबोर्ड सेल्फ-डायग्नोस्टिक डिवाइस होना आवश्यक है, जो रीयल-टाइम ड्राइविंग उत्सर्जन स्तरों पर नजर रखेगा। आरडीई डिवाइस कैटेलिटिक कनवर्टर और ऑक्सीजन सेंसर जैसे पार्ट्स पर लगातार नजर रखेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे उत्सर्जन मानकों को पूरा कर रहे हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।