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    बिजली-सी रफ्तार और एक्सीडेंट के खतरे के बावजूद फॉर्मूला वन कारों में क्यों नहीं होते एयर बैग

    By Ayushi ChaturvediEdited By: Ayushi Chaturvedi
    Updated: Wed, 15 Feb 2023 04:37 PM (IST)

    कार खरीदते समय लोग लुक और डिजाइन के साथ -साथ फीचर्स पर भी अधिक ध्यान देते हैं। फॉर्मूला वन कार की रफ्तार 300 से 400 किमी प्रति घंटे के बीच होती है फिर भी इन कारों में सीट बेल्ट नहीं होती? क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं।(जागरण फोटो)

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    एक्सीडेंट के खतरे के बावजूद फॉर्मूला वन कारों में क्यों नहीं होता सीट बेल्ट

    नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। रोड पर चलते हुए आपने अक्सर सामान्य कारें ही देखी होंगी। दूसरी तरफ देश में कई लग्जरी और स्पोर्ट्स कार भी उपलब्ध हैं, जिन्हें खाली सड़क होने पर 200 से अधिक की स्पीड पर चलाया जा सकता है।

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    फॉर्मूला वन कार की रफ्तार 300 से 400 किमी प्रति घंटे के बीच होती है। स्पीड तेज होने के कारण एक्सीडेंट का खतरा अधिक होता है, इसके बावजूद इसमें एयरबैग्स नहीं होते हैं। क्या आप जानते हैं इसके पीछे कारण क्या है? चलिए इसके बारे में बताते हैं।

    क्यों नहीं होता F1 कारों में एयरबैग

    जब भी ड्राइवर फॉर्मूला वन कार को चलाते हैं तो वो इसमें वो बैठते सोने की मुद्रा में हैं। इसके अलावा सुरक्षा के लिए सिर पर हेलमेट लगाने के साथ ही कंधे पर सुरक्षा के लिए बेल्ट का इस्तेमाल भी किया जाता है। वहीं सामान्य कारों में 2 या 3-पॉइंट सीट बेल्ट का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इसमें 5 से 6 प्वाइंट सीट बेल्ट का इस्तेमाल किया जाता है। इस कारण कार चलाने वाला शख्स सीट से पूरी तरह से चिपका रहता है।

    अगर किसी कारण हादसा हो भी जाता है तो ड्राइवर सामने वाले बोनट या स्टेयरिंग से नहीं टकरा सकता। इसलिए F1 कारों में एयरबैग नहीं होता है।

    6 प्वाइंट सीट बेल्ट क्या होता है?

    पहले के समय में कारों में केवल 2- पॉइंट सीट बेल्ट का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन ड्राइवर को सीट से बांधे रखने के लिए इतना ही काफी नहीं है। वहीं आजकल आने वाली सभी गाड़ियों में 3-पॉइंट सीट बेल्ट का इस्तेमाल किया जाता है। जहां भी कार में सीट बेल्ट बंधी होती है, उसे ही प्वाइंट कहा जाता है। इसी तरह से अगर किसी कार में 6 पॉइंट की सीट बेल्ट है तो इसका मतलब ये होता है कि ये बेल्ट 6 जगहों पर गाड़ी से बंधी है।

    F1 कारों की कीमत

    F1 कारों की शुरुआती कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये होती है। लोगों की सुरक्षा को देखते हुए सरकार कारों में सीट बेल्ट को अनिवार्य कर दिया है, ताकि हर कोई सुरक्षा के साथ सफर कर सके और लोगों की जान बच सकें। रेसिंग के दौरान इन गाड़ियों की स्पीड इतनी तेज होती है कि कई बार ड्राइवर को ही लोगों की आवाज सुनाई नहीं देती है।

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