मोटर वाहन के लिए क्यों जरूरी है थर्ड पार्टी बीमा? जानें क्या है इसका फायदा
बीमा नियामक IRDAI ने थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में 16 जून से बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है
नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। एक अप्रैल से हर साल थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस में बढ़ोतरी होती ही है। ऐसे में बीमा नियामक IRDAI (इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने इसे इस साल से बढ़ाने का फैसला कर लिया है। वित्त वर्ष 2019-20 की नई दरें 16 जून से लागू होंगी। इरडा ने इसमें 21 प्रतिशत तक की वृद्धि की है। इस फैसले के बाद कार की थर्ड पार्टी बीमा पॉलिसी रिन्यू कराते वक्त 12.5% तक अधिक प्रीमियम भरना होगा। हालांकि, यह केवल हर साल प्रीमियम भरने वाले लोगों पर ही लागू होने वाला है। मसलन एक से अधिक साल के लिए बीमा पॉलिसी लेने वालों पर इसका कोई असर नहीं होगा। इसके अलावा यह प्रीमियम उन लोगों को देना होगा जिन्होंने अपने वाहन 1 सितंबर 2018 से पहले खरीदे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके बाद खरीदे गए सभी नए वाहन एक साल से अधिक अवधि के थर्ड पार्टी बीमा पॉलिसी के साथ खरीदे गए हैं।
मोटर वाहन के लिए क्यों है जरूरी?
आपको बता दें यह पॉलिसी बीमा कराने वाले को नहीं, बल्कि जो तीसरा पक्ष दुर्घटना से प्रभावित होता है, उसे कवरेज देती है। कई बार ऐसा होता है मोटर वाहन चलाते समय किसी दुर्घटना में सामने वाले की मृत्यु होने या उसके घायल होने का पता चलता है और आपके पास उसके इलाज के लिए इतने पैसे नहीं होते। तो सरकार ने इस स्थिति में उस इंसान के लिए इस थर्ड पार्टी बीमा का प्रावधान रखा है, जिसे हर मोटर वाहन के लिए कानूनी तौर पर अनिवार्य कर दिया गया है। इस थर्ड पार्टी बीमा के तहत दुर्घटना में प्रभावित सामने वाले पक्ष को मुआवजा दिया जाएगा। इसलिए हर साधारण बीमा कंपनी को इस बारे में प्रावधान करना होता है।
भारत में जब वाहन खरीदा जाता है, उसी समय वाहन डीलर बीमा कवेरज की गणना करके कीमत में जोड़ देता है। इस बीमा कवरेज में थर्ड पार्टी कवरेज का हिसाब भी होता है। थर्ड पार्टी कवरेज कुल बीमा का एक छोटा सा हिस्सा होता है। थर्ड पार्टी कवरेज का प्रीमियम बीमा नियामक इरडा की तरफ से गठित शुल्क सलाहकार समिति के सुझावों के आधार पर तय किया जाता है। वैसे इस कवरेज में प्रभावित पक्ष के लिए मुआवजे का निर्धारण उसकी आमदनी को देखते हुए ही किया जाता है।
LDV है जीरो फिर भी कराना होगा थर्ड पार्टी बीमा:
आपको बता दें अगर आपके मोटर वाहन की लास्ट डेप्रिशिएशन वैल्यू (LDV) अगर जीरो भी बची है तब भी आपको अपने मोटर वाहन का थर्ड पार्टी बीमा करवाना होगा। इससे तीसरे पक्ष को दुर्घटना से प्रभावित होने पर मुआवजा दिया जाता है।
कैसे करें थर्ड पार्टी बीमा का क्लैम:
मोटर वाहन के मालिक के खिलाफ थर्ड-पार्टी क्लेम पीड़ित या उसका एजेंट, जिस प्रॉपर्टी को नुकसान हुआ है उसका मालिक या मृतक का कानूनी प्रतिनिधि दायर कर सकता है।
- पुलिस में करें शिकायत: दुर्घटना के मामले में वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबर, ड्राइवर के लाइसेंस नंबर और अगर कोई प्रत्यक्षदर्शी हों तो उनके नाम और संपर्क की जानकारियों के साथ एक FIR पुलिस के पास दायर की जानी चाहिए।
- क्लेम्स ट्राइब्यूनल: दुर्घटना जिस इलाके में हुई है या जहां दावा किया गया हो कि उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्राइब्यूनल में एक केस दायर करना होगा।
- इन दस्तावेजों का होना जरूरी: दुर्घटना में जो नुकसान हुआ है उसके सबूत के तौर पर FIR की एक कॉपी और खर्चों के मूल दस्तावेज पेश करने होंगे।
- कवर अमाउंट: दुर्घटना से घायल होने या मृत्यु की स्थिति में थर्ड-पार्टी कवर की लिमिट नहीं बताई जाती है। कोर्ट के रकम पर फैसला करने के बाद ही पूरा मुआवजा बीमा कंपनी देती है।
इन बातों का रखें खास ध्यान:
- दुर्घटना से ग्रस्त पीड़ित को साबित करना होगा कि वाहन के मालिक की ओर से हुई लापरवाही की वजह से वह उससे और बीमा कंपनी से मुआवजे की मांग कर रहा है।
- नुकसान के मुआवजे का दावा एक बार से ज्यादा नहीं किया जा सकता। इस वजह से पीड़ित को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कोर्ट की ओर से तय किए गए मुआवजे में किसी कमी की भरपाई बीमा कंपनी करेगी।
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