क्या होते हैं RTO के Form 28, 29, 30 और 35; कब और क्यों पड़ती है इनकी जरूरत
क्या आपको पता है कि RTO Form 28 29 30 और 35 क्या होते हैं और इनकी जरूरत कब होती है। अगर आपका जवाब है नहीं तो यहां जान लीजिए। हम आपको इनके बारे में विस्तार से बताएंगे। (फाइल फोटो)।

नई दिल्ली ऑटो डेस्क। यदि आप एक वाहन मालिक हैं तो आपने 28, 29, 30 और 35 आरटीओ फॉर्म के बारे में जरूर सुना होगा। आज के इस लेख में हम आपको इस बारे में ही बताने जा रहे हैं। हम जानेंगे कि ये फॉर्म क्या हैं, इनका उपयोग कैसे किया जाता है और आपको उनसे परिचित होने की आवश्यकता क्यों है।
Form 28
जब हमें अपने वाहन के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेने की जरूरत होती है तो फॉर्म 28 की जरूरत पड़ती है। ये परिवहन कार्यालय (आरटीओ) द्वारा जारी किया गया एक दस्तावेज है जो एनओसी प्रमाणित करता है। इसका मतलब है कि आपके वाहन पर कोई बकाया देनदारी नहीं हैं। इसमें बकाया ऋण और जुर्माने की जांच की जाती है। नए खरीदार को वाहन के स्वामित्व और पंजीकरण के हस्तांतरण के लिए फॉर्म 28 की जरूरत पड़ती है।
फॉर्म 28 भरने के लिए आपको वाहन का पंजीकरण नंबर, विक्रेता का नाम और पता व एनओसी के लिए आवेदन करने का कारण बताना होगा। प्रपत्र को वाहन के पंजीकृत मालिक द्वारा हस्ताक्षरित करके आवश्यक दस्तावेजों के साथ आरटीओ को प्रस्तुत किया जाता है।
Form 29
जब हम कोई पुराना वाहन खरीदते हैं तो उस समय फॉर्म 29 की आवश्यकता पड़ती है। विक्रेता से खरीदार को वाहन के स्वामित्व को स्थानांतरित करने के लिए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय(आरटीओ) द्वारा फॉर्म 29 जारी किया जाता है। यह दस्तावेज वाहन के खरीदार और विक्रेता के बीच एक समझौता होता है और स्वामित्व के हस्तांतरण के प्रमाण के रूप में कार्य करता है।
फॉर्म 29 भरने के लिए आपको कुछ प्रमुख विवरण जैसे कि खरीदार और विक्रेता का नाम और पता, वाहन पंजीकरण संख्या, इंजन और चेसिस नंबर व वाहन की बिक्री मूल्य भरने की जरूरत होती है। खरीदार और विक्रेता दोनों को फॉर्म पर हस्ताक्षर करना होगा और इसे आवश्यक दस्तावेजों के साथ आरटीओ को जमा करना होगा।
Form 30
फॉर्म 30 का इस्तेमाल वाहन के स्वामित्व के हस्तांतरण के लिए किया जाता है। विक्रेता से खरीदार को वाहन के स्वामित्व को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) द्वारा इस फॉर्म की आवश्यकता होती है।
इस फॉर्म में भरे जाने वाले विवरण में विक्रेता और खरीदार का नाम और पता, वाहन पंजीकरण संख्या, इंजन नंबर, चेसिस नंबर और स्वामित्व के हस्तांतरण की तिथि शामिल होती है। इसके अतिरिक्त प्रपत्र को विक्रेता और खरीदार दोनों द्वारा हस्ताक्षरित करने की आवश्यकता होती है।
Form 35
फॉर्म 35 का उपयोग वाहन से बंधक हटाने के लिए किया जाता है। इसकी आवश्यकता तब होती है जब कोई वाहन मालिक अपने वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र (आरसी) के खिलाफ लिए गए ऋण को चुकाने के बाद उससे बंधक हटाना चाहता है।
फॉर्म क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) द्वारा जारी किया जाता है और इसे उस आरटीओ में जमा करने की आवश्यकता होती है, जहां वाहन मूल रूप से पंजीकृत था।
इसे भरने के लिए वाहन मालिक को अपना नाम, पता, संपर्क जानकारी और वाहन पंजीकरण संख्या जैसे विवरण प्रदान करने होते हैं। साथ ही उन्हें ऋणदाता, ऋण राशि और ऋण चुकौती की तारीख के बारे में भी जानकारी देनी होती है। प्रपत्र पर वाहन स्वामी और ऋणदाता दोनों के हस्ताक्षर होने चाहिए।
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