कार का AC कितने टन का होता है? गर्मियों में केबिन को कैसे रखता है कूल-कूल
Car AC Cooling Guide हाल के समय में आने वाली सभी कारों में AC फीचर मिलता है। यह कार के केबिन को गर्मी में ठंडा और ठंडी में गर्म रखने का काम करता है। यह सिस्टम रेफ्रिजरेंट कंप्रेसर और इवेपोरेटर जैसे हिस्सों की मदद से काम करता है। जिसे देखते हुए हम यहां पर आपको बता रहे हैं कि कार का एयर कंडीशनर कितने टन का होता है?

ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। हाल के समय में कारों में एयर कंडीशनिंग सिस्टम एक जरूरी फीचर हो गया है। वर्तमान में आने वाली सभी गाड़ियों में यह फीचर दिया जाता है, जो गर्मी और सर्दी दोनों मौसमों में आरामदायक ड्राइविंग अनुभव देता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गर्मी के मौसम में आपकी कार को ठंडा रखने वाला AC कितने टन का होता है और यह कैसे काम करता है? हम यहां पर आपको इन सवालों का जवाब विस्तार में दे रहे हैं।
AC में टन का मतलब क्या है?
एयर कंडीशनर की कैपेसिटी को मापने के लिए टन शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। एसी में टन का मतलब है कि वह कैपेसिटी जिसमें 24 घंटे में 2,204 पाउंड बर्फ पूरी तरह पिघल जाए। इसे एनर्जी के रूप में देखें तो टन लगभग 3.52 किलोवाट के बराबर होता है। घर में इस्तेमाल होने वाली एसी में 12,000 ब्रिटिश थर्मल यूनिट (BTU) को 1 टन माना जाता है; यानी 1.5 टन का एसी 18,000 BTU और 2 टन का एसी 24,000 BTU की कैपेसिटी रखता है।
कार में AC की कैपेसिटी
कारों में AC की कैपेसिटी वाहन के आकार और प्रकार पर निर्भर करती है:
- हैचबैक और सेडान: इनमें सिंगल कूलिंग प्वाइंट सिस्टम होता है, जिसकी कैपेसिटी 1 से 1.2 टन तक होती है।
- कॉम्पैक्ट SUV: इनमें भी सिंगल कूलिंग प्वाइंट सिस्टम दिया जाता है, लेकिन इसकी कैपेसिटी 1.3 से 1.4 टन तक हो सकती है।
- बड़ी SUV और MPV: इनमें डुअल कूलिंग प्वाइंट सिस्टम मिलता है, जिसकी कैपेसिटी 1.4 से 1.5 टन तक होती है।
कार का AC कैसे काम करता है?
कार में मिलने वाला एसी दो मोड में काम करता है, जो कूलिंग और हीटिंग है।
1. कूलिंग मोड
- रेफ्रिजरेंट का कंप्रेसर: कंप्रेसर रेफ्रिजरेंट गैस को हाई प्रेशर और तापमान पर कंप्रेस करता है।
- कंडेनसर में ठंडा करना: यह गर्म हवा को कंडेनसर में प्रवेश करती है, जहां पर यह ठंडी होकर लिक्विड में बदल जाती है।
- एक्सपेंशन वाल्व से गुजरना: यह लिक्विड रेफ्रिजरेंट एक्सपेंशन वाल्व से होकर गुजरता है, जिससे इसका दबाव कम हो जाता है।
- इवेपोरेटर में वाष्पीकरण: कम प्रेशर वाला रेफ्रिजरेंट इवेपोरेटर में प्रवेश करता है, जहां पर यह वाष्पीकृत होकर केबिन की गर्मी को अवशोषित करता है, जिसकी वजह से केबिन ठंडा होता रहता है।
2. हीटिंग मोड
- इंजन की गर्मी का इस्तेमाल: इंजन से निकलने वाली गर्मी को कूलेंट में ट्रांसफर किया जाता है।
- हीटर कोर में प्रवाह: गर्मी कूलेंट हीटर कोर से होकर गुजरता है, जिससे हवा गर्म होती है।
- केबिन में गर्म हवा का प्रवाह: यह गर्म हवा ही वेंट्स के जरिए केबिन में जाती है, जिससे कार का तापमान बढ़ता रहता है।
कार का एसी सिस्टम थोड़ा तकनीकी जरूर होता है, लेकिन इसका काम बहुत आसान और कारगर होता है। इसमें कई हिस्से मिलकर काम करते हैं, ताकि आपको गर्मी में ठंडा और ठंडी में गर्म हवा मिलती है।
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