लोगों में बढ़ रही है कार की सेफ्टी को लेकर जागरूकता, जानें कैसे मिलती है गाड़ी को रेटिंग
Car Safety कारों में एयरबैग सेफ्टी बेल्ट बैक सेंसर स्पीड अलर्ट समेत तमाम फीचर्स होते हैं और इन फीचर्स को कार का क्रैश टेस्ट कर किया जाता है जिसके बाद सेफ्टी रेटिंग दी जाती है। रेटिंग वाहन निर्माता कंपनियों को एक सुरक्षित कार बनाने के लिए प्रेरित करेगा। (जागरण फोटो)
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारतीय बाजार में एक से बढ़कर गाड़ियां लॉन्च होती है जो फीचर्स से लेकर लुक में काफी शानदार है। लेकिन पहले और अब के समय में खास अंतर आ चुका है। अब लोग कार लुक और फीचर्स के बजाए सबसे पहले सेफ्टी को देख कर लेते हैं। सेफ्टी लोगों के लिए पहली प्राथमिकता हो चुकी है। कार के सेफ्टी को जाचने के लिए NCAP द्वारा लगभग सभी कंपनियों की कारों का क्रैश टेस्ट किया जाता है।
इंसानी ढांचे वाले डमी का इस्तेमाल होता है
इस टेस्ट के लिए कार में सवारी के तौर पर इंसानी ढांचे वाले डमी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद कार की टक्कर एक हार्ड ऑब्जेक्ट से कराई जाती है। कार की बैक सीट पर बच्चे की डमी होती है। ये चाइल्ड सेफ्टी सीट पर फिक्स की जाती है। इसमें ये देखा जाता है कि क्रैश टेस्ट के बाद कार के एयरबैग ने काम किया या नहीं? डमी कितनी डैमेज हुई? और कार के सेफ्टी फीचर ने कितना काम किया ? इन सब के आधार पर कार को रेटिंग दी जाती है।
भारत कार की सेफ्टी खुद ही करेगा
देश में चलने वाली गाड़ियां कितनी सेफ है इसके लिए भारत में कोई सेफ्टी मेजरमेंट नहीं है। हालाकिं ग्लोबल एनकैप, यूरो एनकैप द्वारा प्रमाणित सेफ्टी रेटिंग को देखकर आज भी लोग कार को खरीदते हैं। कंपनियां अपनी नई कार की असेसमेंट कराती है यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए लेकिन इसके लिए कंपनी को कार विदेशों में भेजना पड़ता है। लेकिन अब भारत सरकार इस समस्या का समाधान लेकर आने वाली है , भारत कार की सेफ्टी खुद ही करेगा और अपनी कार को सेफ्टी रेटिंग दे सकेगा। इसको भारत एनकैप नाम दिया जाएगा।
क्या होता है Bharat NCAP
आपको बता दे भारत एनकैप एक कंज्यूमर सेंट्रिक प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा। इस प्लेटफॉर्म के बदौलत नए वाहनों के निर्माण के बाद भारत में क्रैश टेस्टिंग और उनके प्रदर्शन के आधार पर स्टार-रेटिंग दी जाएगी। इसके फायदे ये होगा की इस रेटिंग के जरिए लोग अपनी कार सुरक्षा के लिहाज से खरीद सकेंगे। भारत में स्टार रेटिंग वाहन निर्माता कंपनियों को एक सुरक्षित कार बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
वहीं बड़े और बच्चों के लिए दोनों के लिए अलग- अलग कार में फीचर्स होते हैं। कारों में एयरबैग, सेफ्टी बेल्ट, बैक सेंसर, स्पीड अलर्ट समेत तमाम फीचर्स होते हैं और इन फीचर्स को कार का क्रैश टेस्ट कर किया जाता है, जिसके बाद सेफ्टी रेटिंग दी जाती है।
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