क्या वाकई मजबूत होती है 5-स्टार सेफ्टी वाली कार, कैसे मिलती है ये रेटिंग?
5 Star Safety Rating वर्तमान में लोग कार खरीदने के दौरान उसके सेफ्टी फीचर्स पर काफी जोर देते हैं। उसमें कितने सेफ्टी फीचर्स और सेफ्टी रेटिंग मिली है। इसे ध्यान में रखते हुए हम यहां पर आपको बता रहे हैं कि गाड़ियों को सेफ्टी रेटिंग कैसे दी जाती है। साथ ही बता रहे हैं कि क्रैश टेस्ट करने वाले संस्थान टेस्टिंग के दौरान किन बातों का ध्यान रखते हैं।

ऑटो डेस्क, नई दिल्ली। हाल के समय में जो भी नई कार खरीदने की प्लानिंग करता है, तो वह अपने कुछ पैरामीटर को सेट करता है। इसमें उसका बजट, कार की डिजाइन और माइलेज शामिल होती है। इसके साथ ही वह यह भी देखता है कि जो वो कार खरीदने जा रहा है उसमें कितने सेफ्टी फीचर्स मिल रही है और क्या वह 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग के साथ आती है। हाल के समय में तकरीबन सभी लोग 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग वाली कार खरीदना चाहते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि गाड़ियों को यह रेटिंग कैसे मिलती है और इन रेटिंग्स का असल में क्या मतलब होता है?
हम यहां पर आपको बता रहे हैं कि आखिरकार गाड़ियों को 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग किस प्रक्रिया के तहत दी जाती है और एक को इन रेटिंग का क्या फायदा होता है?
कार की सेफ्टी रेटिंग क्या है?
किसी कार को मिली सेफ्टी रेटिंग यह बताती है कि उसे टेस्टिंग प्रोसेस के दौरान कितनी सुरक्षा मिली है। यह रेटिंग कार की संरचना, एयरबैग, ब्रेकिंग सिस्टम और अन्य सेफ्टी फीचर्स के आधार पर तय किया जाता है। दुनियाभर में कई संस्थाएं है, जो गाड़ियों की सेफ्टी को चेक करती है जैसे- Global NCAP (National Car Assessment Program) और Euro NCAP, Bharat NCAP, Australian NCAP है, जो सुरक्षा के आधार पर उन्हें रेटिंग देती है। यह रेटिंग कार की सेफ्टी को बेहतर तरीके से समझने में मदद करती है।
5-स्टार सेफ्टी रेटिंग का मतलब क्या है?
5-स्टार सेफ्टी रेटिंग वाली गाड़ियों को सबसे सुरक्षित माना जाता है। इसका सीधा मतलब होता है कि उस कार को सेफ्टी टेस्ट में बेहतरीन परफॉर्मेंस किया है। इनमें बेहतर एयरबैग सिस्टम, मजबूत बॉडी संरचना और मजबूत चेसिस दी जाती है, जो हादसे के समय ड्राइवर और पैसेंजर को बेहतर सुरक्षा देने में मदद करते हैं।
कारों की रेटिंग कैसे की जाती है?
कारों को सेफ्टी रेटिंग, ऊपर बताई गई टेस्टिंग एजेंसियों के जरिए कई पहलुओं के बारे में की जाती है। इनमें ये टेस्ट शामिल होते हैं-
- फ्रंट क्रैश टेस्ट: इसमें कार को एक दीवार से टकराया जाता है। इसमें यह देखा जाता है कार के सामने की संरचना टक्कर के दौरान कितना सुरक्षित है और उसमें सफर कर रहे लोग कितने सुरक्षित रहेंगे।
- साइड इम्पैक्ट टेस्ट: इसमें कार को साइड में टकराया जाता है। इसमें यह पता लगाया जाता है कि साइड से टक्कर होने पर पैसेंजर्स कितने सेफ रहेंगे।
- रॉड से टक्कर: इसके दौरान कार को एक बड़े स्टील के रॉड से टकराया जाता है। इस दौरान भी कार के ढांचे की मजबूती को चेक किया जाता है।
- बैलेंस टेस्ट: इसे कार की बैलेंसिंग और रोलओवर को समझने के लिए किया जाता है। इसमें यह देखा जाता है कि वह सड़क पर हादसे के दौरान आसानी से पटल तो नहीं जाएगी।
क्या 5-स्टार रेटिंग का मतलब यह है कि कार में सभी सुरक्षा फीचर्स हैं?
5-स्टार सेफ्टी रेटिंग के साथ आने वाली गाड़ियां बहुत सुरक्षित होती है, लेकिन जरूरी नहीं कि इनमें सभी सेफ्टी फीचर्स मिलते हों। जैसे कि, कई 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग वाली गाड़ियों में बेसिक सेफ्टी फीचर्स जैसे- एयरबैग्स, ABS और EBD होते हैं। वहीं, उन्ही के टॉप वेरिएंट में ADAS और कई नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
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