UP Lok Sabha Election: यूपी के इन चार लोकसभा सीटों के अखाड़े में उतरे नए पहलवान, यहां रोचक मुकाबले की पूरी उम्मीद
पुराने धुरंधरों के सामने इस बार नए सूरमा अपनी ताकत आजमाने मैदान में उतरे हैं। राजनीति में भले ही ये नए हैं लेकिन पार्टी के परंपरागत वोट और युवा वर्ग के समर्थन से उस्तादों को पछाड़ने का दावा कर रहे हैं। प्रयागराज-कौशांबी और प्रतापगढ़ क्षेत्र की चार संसदीय सीटों पर प्रमुख 12 में से ऐसे 10 प्रत्याशी हैं जो पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।
कौशांबी, प्रयागराज और प्रतापगढ़ की चार लोकसभा सीटों पर पांचवें और छठे चरण में क्रमशः 20 और 25 मई को मतदान होना है। चुनावी अखाड़ा सजा हुआ है। सियासत के महाबलियों के नामों की घोषणा भी हो चुकी है। सरपंच के रूप में जनता भी इन योद्धाओं के दांवपेच पर बारीकी से निगाह गड़ाए हुए है। चुनावी शोर के बीच रोचक मुकाबले की पूरी उम्मीद है।
इसकी वजह यह है कि पुराने धुरंधरों के सामने इस बार नए सूरमा अपनी ताकत आजमाने मैदान में उतरे हैं। राजनीति में भले ही ये नए हैं, लेकिन पार्टी के परंपरागत वोट और युवा वर्ग के समर्थन से उस्तादों को पछाड़ने का दावा कर रहे हैं। प्रयागराज-कौशांबी और प्रतापगढ़ क्षेत्र की चार संसदीय सीटों पर प्रमुख 12 में से ऐसे 10 प्रत्याशी हैं, जो पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। श्याम मिश्रा की रिपोर्ट...
प्रतापगढ़: युवा प्रथमेश के लिए नई सीख होगा यह रण
प्रतापगढ़ लोकसभा के भाजपा प्रत्याशी सांसद संगम लाल गुप्ता लोकसभा चुनाव में दूसरी बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 2019 के चुनाव में वह पहली बार सांसद बने थे। 2017 में पहली बार सदर विधानसभा से विधायक चुने गए। 52 वर्षीय संगम की समाज में पकड़ है। पूर्व एमएलसी आइएनडीआइए के सपा प्रत्याशी डा. एसपी सिंह पटेल पहली बार लोकसभा के चुनाव मैदान में हैं। डा पटेल पूर्व एमएलसी हैं। शिक्षकों के मुद्दों पर सक्रिय रहते हैं।
वनस्पति विज्ञान से एमएससी पास सपा प्रत्याशी डा पटेल प्रतापगढ़ में वोटों का गणित लगा रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरे 33 वर्षीय प्रथमेश मिश्र सेनानी लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए व डा राम मनोहर लोहिया अवध विवि से एलएलबी करने के बाद से सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहे हैं।
प्रथमेश पहली बार चुनाव मैदान में हैं लेकिन उन्होंने बचपन से घर में चुनाव का माहौल देखा है। राजनीति उनकी नसों में है। मौजूदा समय में प्रथमेश के पिता शिव कुमार मिश्र सेनानी और मां सिंधुजा मिश्र सेनानी भाजपा के सक्रिय सदस्य हैं। फिलहाल उनकी नजर बसपा के वोटों के साथ ब्राह्मण वोट बैंक पर भी है।
- कुल मतदाता 24,92,446
- पुरुष मतदाता 13,20,147
- महिला मतदाता 11,72,178
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इलाहाबाद: नए दिग्गजों पर विरासत बचाने की चुनौती
दो प्रधानमंत्री देने वाली संसदीय सीट इलाहाबाद से इस बार देश की सबसे बड़ी पंचायत में कौन जाएगा। इसे लेकर सियासी गलियारों में चर्चा गर्म है। यहां से हाईकोर्ट में अधिवक्ता नीरज त्रिपाठी सक्रिय राजनीति की शुरूआत सीधे भाजपा से लोकसभा उम्मीदवार के तौर पर कर रहे हैं। नीरज राजनीति में भले ही सक्रिय भूमिका में न रहे हों, लेकिन पिता केशरीनाथ त्रिपाठी के कई चुनावों में उन्होंने पर्दे के पीछे से काम किया है। घर में होने वाली पार्टी की रणनीतिक बैठकों को करीब से देखा और समझा है। लिहाजा राजनीति उनके रग-रग में समाई है।
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नीरज जिस इलाहबाद सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं वहां की शहर दक्षिणी विधानसभा सीट से पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी पांच बार विधायक रहे हैं। इंडी गठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार उज्ज्वल रमण सिंह क्षेत्र में कोई नया नाम नहीं है।
लोकसभा के चुनावी मैदान में भले पहली बार उतरे हों लेकिन विधानसभा में दो बार करछना का प्रतिनिधित्व किया है। वह क्षेत्र के मुद्दों की नब्ज पकड़ना ठीक से जानते हैं। सपा के संस्थापक सदस्यों में रहे रेवती रमण सिंह के पुत्र उज्ज्वल इसी माह साइकिल से उतरकर हाथ का साथ पकड़ा है।
कांग्रेस को भी यहां एक अनुभवी और दमदार उम्मीदवार की तलाश थी। उज्ज्वल के पिता व आठ बार के विधायक रेवती रमण सिंह इसी सीट से दो बार सांसद और राज्य सभा सदस्य भी रहें हैं। बसपा से रमेश सिंह पटेल कुर्मी बिरादरी के नेता हैं। लंबे अरसे से राजनीति में सक्रिय रमेश पटेल का यह पहला लोकसभा चुनाव है। बसपा के कैडर वोट और कुर्मी बिरादरी के वोटों के सहारे मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का माद्दा रखते हैं।
- कुल मतदाता 18,40,000
- पुरुष मतदाता 9,78,980
- महिला मतदाता 8,49,341
फूलपुर: चेहरा पुराना लेकिन मैदान नया
देश को पहला प्रधानमंत्री देने वाली फूलपुर लोक सभा सीट पर भाजपा, सपा गठबंधन और बसपा ने नए चेहरों को मौका दिया है। तीनों पहली बार लोकसभा के रण में हैं। भाजपा ने यहां मौजूदा सांसद केसरी देवी पटेल का टिकट काटकर अपने विधायक प्रवीण पटेल को उम्मीदवार बनाया है। प्रवीण पटेल फूलपुर विधानसभा सीट से तीसरी बार विधायक हैं।
क्षेत्र के मुद्दों से भलीभांति परिचित हैं, फिलहाल प्रवीण अपनों को साथ जोड़कर चलने की जद्दोजहद कर रहे हैं। सपा गठबंधन ने यहां अमरनाथ मौर्य पर भरोसा जताया है। धूमनगंज निवासी अमरनाथ मौर्य छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हैं। जनता दल से सक्रिय राजनीति की शुरुआत करने वाले अमरनाथ ने 1995 में बसपा की सदस्यता ग्रहण की।
2016 में भाजपा और 2022 में सपा में अम शामिल हो गए। 2002 में शहर पश्चिमी से माफिया अतीक अहमद के खिलाफ बसपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। अमरनाथ के सामने मुस्लिम और यादव मतों को एक करना चुनौती है।
1995 में ग्राम प्रधान पद पर निर्वाचित जगन्ननाथ पाल को बसपा ने उम्मीदवार बनाया है। यहां तीनों प्रमुख उम्मीदवार ओबीसी होने के साथ ही अपनी बिरादरी के वोटों को खींचने की सामर्थ्य रखते हैं। ऐसे में चुनाव बहुत ही दिलचस्प हो गया है। पटेल, मौर्य और पाल बिरादरी के वोटरों में बंटवारा होने से बाकी जाति के वोटर निर्णायक भूमिका में आ जाएंगे।
- कुल मतदाता 20,28,006
- पुरुष मतदाता 11,11,564
- महिला मतदाता 9,35,293
कौशांबी: पुष्पेंद्र को परिपक्व बनाएगी कांटे की टक्कर
कौशांबी (अनुसूचित जाति) संसदीय सीट पर लड़ाई दिलचस्प हो गई है। कैराना की इकरा हसन के बाद कौशांबी के पुष्पेंद्र सरोज दूसरे सपा उम्मीदवार हैं, जो सीधे लंदन से उत्तर प्रदेश की सियासी रणभूमि में उतरे हैं। लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी से स्नातक पुष्पेंद्र का राजनीति से कोई सरोकार तो नहीं लेकिन पांच बार के विधायक और उप्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री पिता इंद्रजीत सरोज से सियासी ककहरा सीखा है।
अकाउंटिंग एंड मैनेजमेंट में बीएससी करने के लिए लंदन जाने से पहले देहरादून के वेल्हम बॉयज स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। मिलनसार और लोगों के बीच हर परिस्थिति में अपने को संयोजित कर लेने वाले पुष्पेंद्र जातीय समीकरण, उच्च शिक्षा और युवा के दम पर प्रतिस्पर्धी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने दो बार से लगातार सांसद रहे विनोद सोनकर पर तीसरी बार भी भरोसा जताया है।
इससे पहले विनोद सोनकर वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा के चुनाव में लगातार दो बार जीतकर देश की सबसे बड़ी पंचायत पहुंचे थे। बसपा प्रत्याशी शुभ नारायण गौतम चुनावी मैदान में पहली बार जरूर उतरे हैं, लेकिन राजनीति से इनका पुराना नाता रहा है। मूलरूप से देवरिया के रहने वाले गौतम छात्र राजनीति की उपज हैं।
वर्तमान में प्रयागराज के गोविंदपुर में रहते हैं। यह पुलिस विभाग में क्षेत्राधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। भाजपा तीसरी बार इस सीट पर नजर गड़ाए है तो सपा गठबंधन पिछली हार का हिसाब बराबर करने की जुगत में दिखाई दे रही है। सपा और बसपा के सामने अपनों को जोड़कर साथ चलने की सबसे बड़ी चुनौती है।
- कुल मतदाता 19,04,466
- पुरुष मतदाता 10,09,841
- महिला मतदाता 8,94,459
ये हवा कुछ कहती है...
कौशांबी से तीन बार के सांसद रहे शैलेंद्र इस बार चुनाव मैदान में नहीं है, लेकिन जनता में उनकी मांग थी। 2019 के चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे थे। कुंडा विधायक रघुराज रघुराज प्रताप सिंह प्रताप सिंह "राजा भइया" के बेहद करीबी शैलेंद्र के नाम से पर्चा खरीदा गया था। लोगों को उम्मीद थी कि आखिरी क्षणों में पर्चा भरा जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। रघुराज ने इस बार कोई प्रत्याशी नहीं उतार है।
कौशांबी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली दो विधानसभा कुंडा और बाबागंज (सुरक्षित) में रघुराज प्रताप सिंह का खासा प्रभाव है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार जनसत्तादल लोकतांत्रिक ने प्रतापगढ़ लोकसभा से पूर्व सांसद अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी और कौशांबी लोकसभा सीट से पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार को प्रत्याशी बनाया था। अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी चौथे और शैलेंद्र कुमार तीसरे स्थान पर रहे थे।