किसी को पसंद आ रही है कानून-व्यवस्था, तो कोई भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नाराज; जानें क्या कह रही कानपुर की जनता
UP Politics तापमान भले 40 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया हो लेकिन गर्मी चुनाव की ही दिख रही। खलिहानों चाय-पान की दुकानों यहां तक कि सफर में भी लोग सरकार बनाने का खाका खींचते दिखाई देते हैं। कहीं सरकार के काम की बात हो रही है तो कहीं अयोध्या के नव्य-भव्य श्रीराम मंदिर की। ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़िए कानपुर की जनता के मन का हाल।
दिवाकर मिश्र, कानपुर। तापमान भले 40 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया हो, लेकिन गर्मी चुनाव की ही दिख रही। खलिहानों, चाय-पान की दुकानों, यहां तक कि सफर में भी लोग सरकार बनाने का खाका खींचते दिखाई देते हैं। कहीं सरकार के काम की बात हो रही है तो कहीं अयोध्या के नव्य-भव्य श्रीराम मंदिर की। आवास योजना में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे हैं जिस पर एक तबका नाराज है तो दूसरा कानून व्यवस्था और विकास को बड़ा काम मानता है। दिवाकर मिश्र की रिपोर्ट...
कानपुर के रामादेवी चौराहे पर दोपहर करीब एक बजे चिलचिलाती धूप के बीच बांदा, बिंदकी और फतेहपुर जाने वाले लोग अपनी-अपनी बसों का इंतजार कर रहे हैं। करीब 20 मिनट बाद घंटाघर से इलेक्ट्रिक बस आती है। यह बिंदकी तक जाएगी। लगभग आधी सीटें भरी हैं। स्मार्ट सिटी की ओर से बनाए गए यात्री शेड पर बस रुकते ही बाकी सीटें भी तुरंत भर गईं।
जनता ने कही ये बात
जोनिहां के रामस्वरूप शुक्ला पसीना पोंछते चढ़े थे, पर बस के अंदर एसी में सुकून मिला तो सीट पर मानो पसर से गए। बोले- ‘बड़ी गर्मी है भाई।’ और सवारियां आईं और सीटें भर गईं। कई लोग खड़े भी हो गए। खचाखच भर चुकी बस करीब 10 मिनट बाद चल पड़ी। सवारियों के बीच खड़ीं बिंदकी की सुशीला ने कंडक्टर को टोका... ‘बइठैं क न मिली’? कंडक्टर ने कोई जवाब नहीं दिया तो खुद बोल पड़ीं- ‘सीट चहे न मिलैं, य गर्मी म बस के अंदर ठंडी हवा से बड़ी आराम हवै’।
सीट पर बैठे रामस्वरूप बोले- ‘सरकार बड़ी व्यवस्था करे है, जूड़े-जूड़े अबहीं एक घंटा म पहुंचि जइहौ’। सुशीला मुस्कुराकर रह गईं। फिर कुछ सोचकर बोलीं- ‘सवारी तो पहिलेव मिल जाती रहैं। सरकार महंगाई बहुत करे है। तेल अउर दाल के दाम देखौ कहां पहुंचि गे हैं’। महरहा के रहने वाले व्यापारी मनीष तिवारी भी यह सब सुन रहे थे। अब उनसे रहा न गया। तमतमा कर मनीष बोल पड़े- ‘कमाई भी तौ बढ़ी है। पहिले मजदूरी सौ रुपिया रहै, अब चार सौ मिलि रहे। गेहूं होय चहै चना, सबके दाम अच्छे मिलि रहे किसानन का। पहिले राति म गांव जाय म डर लागत रहै। अब पुलिस एतनी सख्त होइगे है कि मजाल है कि कउनो गुंडागर्दी करि सकै’। बस कानपुर-प्रयागराज हाईवे पर दौड़ रही है। कंडक्टर टिकट बना रहा है तो कुछ देर शांति रही।
चौडगरा तक जाने के लिए बैठे साई गांव में रहने वाले कारोबारी उमेश गुप्ता से पूछा- ‘कितनी देर में पहुंच जाएंगे। इस पर जवाब मिला- ‘ज्यादा से ज्यादा एक घंटा। चमचमाता हाईवे देख रहे हैं न, छह लेन का हो गया है अब। जाम नहीं लगता और समय कम लगता है सफर में। थोड़ी-थोड़ी देर में ई बस मिल जाती हैं, एसी का मजा भी मिलता है, इसलिए अपनी कार से नहीं आते। ज्यादा से ज्यादा एक घंटा लगता है रामादेवी पहुंचने में’।
सरकार के काम से कितनी खुश है जनता
बिंदकी के एक गांव जा रहे रज्जन ये बातें सुनकर शुरू हो गए। उन्हें टोका... अब उनका निशाना था सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार पर। उन्होंने गांवों से लगाकर सरकारी दफ्तरों की अव्यवस्थाओं पर अपने गुस्से का इजहार कुछ इस तरह से किया। बोले- ‘हाईवे देखा रहे हौ। कबहूं गांवन म जाओ। जिनका सरकारी घर मिलैं क चही उनका नहीं मिलि रहा। परधान जेहका चहत है वहिका घर दइ रहा। सेकेटरी कहत है कि ऊपर तक पइसा जात है। अधिकारी से शिकायत करौ तो सीधे मुंह बात नहीं करत। कहत है सबूत लाव। अरे ईमानदारी से जांच करा लेव तो सब सामने आ जाय। नेता तो कुछ करतै नहीं। वोट तौ देबे, लेकिन ओहका, जो य भ्रष्टाचार का खतम करी’।
बात सुनकर पास में ही बैठे प्रकाश सिंह ने उनकी हां में हां मिलाई। बोले- ‘गरीब आदमी हर जगह परेशान है। कउनौ काम होय, अधिकारी बहुत दउड़ावत हैं’। बस रफ्तार से आगे बढ़ रही है और एसी की ठंडक के बीच भी माहौल में चुनावी गर्मी तारी हो रही है। अब चर्चा के केंद्र में रामलला आ गए हैं।
राम मंदिर पर जनता ने रखी अपनी बात
कानपुर के किदवई नगर से बेटी की ससुराल बिंदकी जा रहे बउवन तिवारी बोले, ‘राम मंदिर भी बना है। इतने वर्षों से रामलला टेंट में थे और अब शानदार मंदिर में विराजमान हैं। सैकड़ों वर्ष की आकांक्षा पूरी हो गई’। सबने उनकी हां में हां मिलाई और कुछ देर के लिए शांति छा गई। कारोबार के सिलसिले में बिंदकी जा रहे आनंद मिश्रा बोले- ‘व्यापारियों के लिए बहुत कुछ हुआ है। टैक्स की असमान व्यवस्था में और सुधार हो जाए तो सब ठीक हो जाए’। इन्हीं सब चर्चाओं के बीच बस बिंदकी के करीब पहुंच गई। अब सब उतरने की जुगत में लग गए हैं। सवाल किया कि वोट तो देंगे न, एक स्वर में जवाब आया हां वो तो जरूरी है...।
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