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'जेलों में कितने हैं विदेशी कैदी', हाई कोर्ट ने पूछा- ट्रांसजेंडरों के लिए अलग बैरक क्यों नहीं? पंजाब-चंडीगढ़ दें जवाब

Punjab Latest News पंजाब-चंडीगढ़ को नोटिस जारी करते हुए हरियाणा-पंजाब हाई कोर्ट (Punjab Haryana High Court) ने ट्रांसजेडरों के लिए अलग बैरक न होना शौचालय न होना इत्यादि को लेकर अदालत ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने मौजूदा समय में कितने विदेशी कैदी हैं। इसकी भी जानकारी देने के निर्देश जारी किए हैं

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Published: Thu, 09 May 2024 08:49 AM (IST)Updated: Thu, 09 May 2024 08:49 AM (IST)
हाई कोर्ट ने पूछा- ट्रांसजेंडरों के लिए अलग बैरक क्यों नहीं? पंजाब-चंडीगढ़ दें जवाब

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ से उन विदेशी कैदियों की जानकारी मांगी है जिनकी सजा पूरी हो चुकी है और जेल में बंद है। हाई कोर्ट ने यह आदेश विदेशी कैदियों के मानवाधिकारों को लेकर लिए गए संज्ञान पर सुनवाई के दौरान दिया।

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हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ को महीने में एक बार विदेशी कैदियों से उनके स्वजनों से काल या वीडियो कॉल की सुविधा को लेकर नीति बनाने पर जवाब मांगा था। कोर्ट के आदेश पर दोनों राज्यों की तरफ से कैदियों द्वारा काल और संबंधित शुल्कों के भुगतान पर सवाल उठाए गए।

हरियाणा की स्थिति पंजाब से बेहतर: हाई कोर्ट

कोर्ट ने दोनों राज्यों को कहा कि इस पहलू पर फिर से विचार करना होगा क्योंकि जेल में विदेशी नागरिकों के पास पैसे नहीं होंगे। हरियाणा के जेल महानिरीक्षक जगजीत सिंह के हलफनामे का हवाला देते हुए खंडपीठ ने कहा कि हरियाणा की स्थिति पंजाब से बेहतर है।

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हरियाणा की 20 जेलों में ऑडियो और वीडियो जेल कैदी कॉलिंग सिस्टम लगाया गया है। साल 2022 में एक सेवा प्रदाता के साथ पांच साल के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। पंजाब की ओर से उप महानिरीक्षक (कारागार) सुरिंदर सिंह द्वारा दिए गए हलफनामे के अनुसार जेलों में आइएसडी सुविधा प्रदान करने की मंजूरी के लिए पंजाब के जेल विभाग के सचिव को एक पत्र लिखा था।

पंजाब-हरियाणा, चंडीगढ़ दायर करें हलफनामा

कोर्ट ने कहा कि हमारे द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं के बारे में पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ द्वारा बेहतर हलफनामे दायर किए जाने चाहिए। हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया बीते दिनों लुधियाना सेंट्रल जेल के दौरे पर थे।

इस दौरान उन्हें वहां केन्या का नागरिक मिला, उसने बताया कि वह गिरफ्तारी के बाद अब तक अपने स्वजनों से बात नहीं कर पाया है। जस्टिस संधावालिया ने मामले का संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के तौर पर सुनने का निर्णय लिया था।

हाई कोर्ट ने कहा कि विदेशी जो जेल में हैं उनके भी मानवाधिकार हैं। उन्हें भी उनके स्वजनों से संपर्क करने का अधिकार है। ऐसे में इस प्रकार की व्यवस्था की जरूरत है कि कम से कम महीने में एक बार उनको इसका अवसर दिया जाए।

ट्रांसजेंडर कैदियों के अलग बैरक न होने पर जताई हैरानी

जेलों में ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए अलग बैरक व थानों में अलग लॉकअप नहीं होने पर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने हैरानी जताते हुए पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

इसके साथ ही जेलों में इनके लिए अलग शौचालय को लेकर भी तीनों को विस्तृत जवाब दाखिल करना होगा। याचिका दाखिल करते हुए एडवोकेट सनप्रीत सिंह ने हाई कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने 2019 में ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन एक्ट पास किया था और 2020 में इससे जुड़े नियम अधिसूचित किए थे।

ट्रांसजेंडर कैदी के साथ किया था 12 ने दुष्कर्म

10 जनवरी, 2022 को केंद्र सरकार ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों व डीजी जेल को पत्र लिखा था और ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए अलग सुविधाओं की व्यवस्था करने को कहा था। याची ने कहा कि में जेलों ट्रांसजेंडर कैदियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अलग बैरक होने चाहिए।

इसके साथ ही थाने व चौकियों में ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए अलग लाकअप की सुविधा होनी चाहिए। ट्रांसजेंडरों को जेलों में पुरुष कैदियों के साथ नहीं रखा जा सकता। याचिका में एक ट्रांसजेंडर कैदी के मामले जिक्र किया गया जिसके साथ जेल में 12 कैदियों ने दुष्कर्म किया था।

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