झारखंड की इस सीट पर टिकी लोगों की निगाहें, त्रिकोणीय मुकाबला की संभावना; इन उम्मीदवारों के बीच होगी कड़ी टक्कर
झारखंड की खूंटी लोक सभा सीट पर आगामी 13 मई को मतदान होना है और इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बनी हुई है। चुनावी समर में जहां एक ओर भाजपा के कद्दावर नेता व खूंटी के सीटिंग सांसद सह केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी से कालीचरण मुंडा लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। झारखंड पार्टी ने अर्पणा हंस को प्रत्याशी बनाया है।
जागरण संवाददाता, सिमडेगा। झारखंड की खूंटी लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें हैं। आगामी 13 मई को यहां मतदान होना है।
चुनावी समर में जहां एक ओर भाजपा के कद्दावर नेता व खूंटी के सीटिंग सांसद सह केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा हैं, तो दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी से कालीचरण मुंडा लगातार तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं।
2014 में एनोस एक्का थे चुनाव मैदान में
इस बीच झारखंड पार्टी ने अर्पणा हंस को प्रत्याशी बनाकर चुनाव को दिलचस्प बना दिया है। माना जा रहा इस लोकसभा का चुनाव भी रोचक होगा।
विदित हो कि 2014 के लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी से उम्मीदवार के रूप में एनोस एक्का खुद मैदान में थे। वे 176937 वोट लाकर दूसरे स्थान पर जगह बनाई थी।
कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था। उस वक्त भाजपा उम्मीदवार कड़िया मुंडा ने 36.49 प्रतिशत वोट लाकर आठवीं व अंतिम बार संसद पहुंचे।
2014 के लोकसभा चुनाव का बदल गया था दृश्य
2014 के लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी को करीब 24 प्रतिशत तो कांग्रेस को 19.93 प्रतिशत वोट मिले थे। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में दृश्य में एकदम बदल गया। भाजपा एवं कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला।
भाजपा को इस चुनाव में 45.97 प्रतिशत तो कांग्रेस को 45.80 प्रतिशत वोट मिले। भाजपा उम्मीदवार सह पूर्वमुख्यमंत्री ने कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को मात्र 1445 वोट के अंतर से हराकर जीत दर्ज की।
इस चुनाव में भाजपा सिमडेगा, कोलेबिरा, तोरपा के साथ उस खूंटी विधानसभा में भी पिछड़ गई थी। जहां से नीलकंठ सिंह मुंडा विधायक एवं मंत्री भी थे।
यहां बची थी भाजपा की लाज
तबतमाड़ एवं खरसांवा में मिली अच्छी लीड ने भाजपा की लाज बचाई थी। अब एकबार फिर से खूंटी लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा व कांग्रेस प्रत्याशीकालीचरण मुंडा आमने-सामने हैं।
झारखंड पार्टी से अपर्णा हंस ने भी मुकाबले कोत्रिकोणीय बना दिया है। झापा के केंद्रीय अध्यक्ष सह पूर्व मंत्री एनोस एक्का भी पूरे दमखम के साथ चुनावी अभियान में जुटे हुए हैं।
किस उम्मीदवार को आर्शीवाद देगी जनता?
अब देखना होगा कि जनता किस प्रत्याशी को अपना आशीर्वाद देती हैं। चूंकि सिमडेगा,खूंटी में मुद्दे तो कई हैं।जंगलएवं पहाड़ से घिरे क्षेत्र में गरीबी,पलायन,मानव तस्करी आदि समस्याएं विद्यमान हैं, लेकिन चुनाव में इसकी चर्चा कम ही हो रही है। इन समस्याओं पर धुर्वीकरणका प्रभाव हावी है। भाजपा को जहां हिंदू-वोटरों व मोदी के काम पर भरोसा है।
कांग्रेस इन मुद्दों को लेकर हमलावार
वहीं कांग्रेस संविधान, ईडी की जांच-कार्रवाई, रोजगार आदि के मुद्दे को लेकर हमलावर है। हालांकि वह अपने पारंपरिक वोटरों को गोलबंद करने में जुटी है। इसके साथ ही सभी का ध्यान ओबीसी वोटरों पर भी ध्यान हैं।
चूंकि आरक्षण के मुद्दे को लेकर भीओबीसी समाज का आक्रोश हाल के दिनों में देखने को मिला हैं। पार्टियां उनके इस आक्रोश को मतों में बदलने की कवायद का प्रयास कर रही है।
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