Bihar Land : एक बार फिर चुनाव की पेंच में फंसा बिहार-झारखंड के बीच दियारा की जमीन का सीमांकन, ये है हाई कोर्ट का आदेश
Bihar Land News मनिहारी व पड़ोसी राज्य झारखंड के साहिबगंज जिले के बीच गंगा नदी के पार जिले के बैजनाथपुर व साहिबगंज के मखममलपुर मौजा की जमीन का सीमांकन इस बार भी साहिबगंज में एक जून को होने वाले अंतिम चरण के लोकसभा चुनाव की पेंच में फंस गया है। लोकसभा चुनाव के कारण इसकी तिथि 12 जून निर्धारित की गई है।
नीरज कुमार, कटिहार। मनिहारी व पड़ोसी राज्य झारखंड के साहिबगंज जिले के बीच गंगा नदी के पार जिले के बैजनाथपुर व साहिबगंज के मखममलपुर मौजा की जमीन का सीमांकन इस बार भी साहिबगंज में एक जून को होने वाले अंतिम चरण के लोकसभा चुनाव की पेंच में फंस गया है।
रांची हाई कोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद इस वर्ष 30 अप्रैल को पूरक शपथ पत्र दाखिल किए जाने का आदेश दिया था। लोकसभा चुनाव के कारण इसकी तिथि 12 जून निर्धारित की गई है।
सीमांकन को लेकर बीते बुधवार को मनिहारी एसडीओ के नेतृत्व में अंचलाधिकरी, डीसीएलआर व अंचल अमीन की टीम दियारा पहुंची, लेकिन साहिबगंज की ओर से कोई भी वरीय अधिकारी नहीं पहुंचे। कारण वहां एक जून को लोकसभा चुनाव होना बताया गया। सीमांकन के लिए गई स्थानीय प्रशासन की टीम बैरंग वापस लौट आई।
बताते चलें कि दियारा में 540 एकड़ विवादित जमीन को लेकर आपसी विवाद व झड़प की घटना होते रही है। इसके पूर्व भी तीन बार सीमांकन की कोशिश हाल के वर्षों में की गई। लेकिन सीमांकन का काम पूरा नहीं हो पाया।
किसानों को संरक्षण देने के नाम पर रंगदारी वसूलते हैं
इसकी वजह से फसल लगाने और कटाई कार्यो में सीमांकन नहीं होने से दोनों राज्यों के किसान अपनी-अपनी जमीन होने का दावा जताते हैं। ऐसे में कई बार हिसक झड़प की नौबत आ जाती है। दियारा में सक्रिय अपराधी गिरोह किसानों को संरक्षण देने के नाम पर रंगदारी वसूलते हैं।
आजादी के पूर्व के सीएस सर्वे और आरएस सर्वे की पेंच में जमीन सीमांकन का मामला कई वर्षों तक उलझा रहा। साहिबगंज के किसान आजादी के पूर्व के सीएस सर्वे के आधार पर जमीन का सीमांकन कराना चाहते थे, जबकि मनिहारी के किसान रिवाइज्ड आरएस सर्वे के आधार पर सीमांकन की मांग कर रहे थे। देखना है कि अंतिम चरण के चुनाव के बाद सीमांकन का काम हो पाता है या नहीं।
मनिहारी के बैजनाथपुर दियारा साहिबगंज के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के कारगिल दियारा की सीमा से लगती है। जमीन विवाद का मामला कोर्ट भी पहुंचा। वर्ष 2019 में कटिहार और साहिबगंज जिले के वरीय पदाधिकारियों की बैठक साहिबगंज में हुई।
बैठक में जमीन का सीमांकन रिवाइज्ड आरएस सर्वे के आधार पर कराने पर सहमति बनी। जनवरी, 2020 में दोनों जिलों के अधिकारियों की टीम द्वारा जीपीएस से आधुनिक तरीके से सीमांकन का काम शुरू किया गया। एक वर्ष बाद भी दोनों राज्यों के बीच विवादित जमीन का सीमांकन नहीं हो पाया है।
विवादित जमीन को लेकर संघर्ष की आग में झुलसता रहा है दियारा
540 एकड़ विवादित जमीन को लेकर दियारा क्षेत्र उबलता रहा है। अपराधी गिरोहों के द्वारा दियारा में खेती करने, पशु चराने के नाम पर रंगदारी भी वसूली जाती है। दोनों ओर के किसानों को अलग अलग आपराधिक गिरोहों द्वारा संरक्षण दिया जाता है।
फसल बुआई व कटाई को लेकर अपराधी गिरोहों के बीच गोलीबारी व गैंगवार की घटना भी होती रही है। दियारा के विषम भौगोलिक स्थिति के कारण अपराधी गिरोहों पर नकेल कसना भी पुलिस के लिए चुनौती साबित होता है।
बांस-बल्ली के सहारे सीमांकन करते हैं किसान
मनिहारी के बैजनाथपुर और साहिबगंज के कारगिल दियारा के किसान बांस-बल्ली के सहारे जमीन का सीमांकन करते हैं। बाढ़ के दौरान दियारा के इलाके में भी पानी का फैलाव हो जाता है। बाढ़ का पानी उतरने के बाद जमीन पर कब्जा को लेकर भी तनाव की स्थिति बनी रहती है।
अक्षांश देशातर से सीमांकन बाद भी नहीं होगी विवाद की गुंजाईश
दियारा की जमीन का सीमांकन अक्षांस, देशांतर के आधार पर जीपीएस से कराया जाएगा। सीमांकन के बाद तैयार नक्शा से बाढ़ का पानी उतरने के बाद भी दोनों ओर के किसानों के बीच विवाद की गुंजाईश नहीं रहेगी।
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