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दिल्ली सरकार और पुलिस बच्चों की निकासी से लेकर बम की धमकी मिलने पर होने वाली कार्रवाई पर पेश करें रिपोर्ट: हाईकोर्ट

Delhi Schools Bombs Threat स्कूलों में बम की धमकी मिलने पर कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार नोडल अधिकारियों और बिना घबराए बच्चों की निकासी सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों में आयोजित मॉक ड्रिल की संख्या पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है। अदालत ने अधिकारियों से 10 दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा।

By Vineet Tripathi Edited By: Geetarjun Published: Mon, 06 May 2024 07:00 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2024 07:00 PM (IST)
बच्चों की निकासी से लेकर बम की धमकी मिलने पर होने वाली कार्रवाई पर पेश करें रिपोर्ट: हाईकोर्ट

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। स्कूलों में बम की धमकी मिलने पर कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार नोडल अधिकारियों और बिना घबराए बच्चों की निकासी सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों में आयोजित मॉक ड्रिल की संख्या पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने अधिकारियों से प्रत्येक क्षेत्र में स्कूलों की संख्या और बम की धमकी के मामले में कार्रवाई के लिए नोडल अधिकारियों द्वारा उठाए जाने वाले कदम पर रिपोर्ट पेश करने को कहा।

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अदालत ने अधिकारियों से 10 दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा। अदालत ने पुलिस को स्कूलों में आने वाली फर्जी कॉल की जांच के लिए की गई कार्रवाई पर भी रिपोर्ट पेश करने को कहा।

फर्जी कॉल से निपटने के लिए उचित उपाय व योजना की मांग को लेकर याचिकाकर्ता अर्पित भार्गव ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए वर्तमान में कोई कार्य योजना नहीं है। उन्होंने हाल ही में दिल्ली के विभिन्न स्कूलों को बम की धमकी के बारे में फर्जी मेल का जिक्र किया और कहा कि दिल्ली में हर कोई प्रभावित है क्योंकि हर घर में एक बच्चा है।

उन्होंने यह भी कहा कि माता-पिता सदमे में हैं और असुरक्षित हैं। उन्होंने तर्क दिया कि यह याचिका वर्ष 2023 में दायर की थी और एक साल बीत जाने के बाद भी कुछ भी नहीं हुआ है। क्या हम किसी स्कूल में बम होने या फटने का इंतजार कर रहे हैं?

इसके जवाब में दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि इस संबंध में कई अहम उठाए गए हैं और दिल्ली पुलिस ने एक हलफनामा दायर किया है। फर्जी और वास्तविक बम धमकी काल से निपटने के लिए एक विशेष संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की गई है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 5,500 स्कूल हैं और हर स्कूल में पुलिस कर्मियों को तैनात करना मुश्किल है। इतना ही नहीं हर स्कूल में आधुनिक उपकरणों की तैनाती संभव और व्यवहार्य नहीं है। उस स्थिति से बचने और तैयारियों के लिए पुलिस ने अपनी एसओपी जारी की है। हर निजी स्कूल को सूचित किया जाता है कि क्या करना है। उन्होंने यह भी बताया कि एसओपी के अनुसार एक बार बम की धमकी मिलने पर स्कूल को पहला कदम पुलिस को सूचित करना है और दूसरा कदम बच्चों को निकालना है।

दिल्ली के स्कूलों के लिए नहीं है विशेष एसओपी

इस पर अदालत ने टिप्पणी की कि दिल्ली पुलिस की एसओपी सामान्य प्रकृति की है और राष्ट्रीय राजधानी के स्कूलों के लिए कोई विशेष एसओपी नहीं है। अदालत ने पीठ से पूछा कि कुछ संस्थान ऐसे हैं जिन्हें विशेष उपचार की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए ऐसे स्कूल जहां नर्सरी से 12वीं तक बच्चे पढ़ते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए आपने क्या किया है कि बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं और क्या आपके पास ऐसी समस्या से निपटने के लिए कोई विशेष एसओपी है?

इसके जवाब में दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने अदालत को बताया कि स्कूलों को ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया जाता है और अभ्यास करने के बाद की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने के लिए भी कहा जाता है। अदालत को बताया गया कि स्कूलों में नियमित रूप से मॉक ड्रिल हो रही है और हर स्कूल के पास निकासी योजना है। उक्त तथ्यों को देखते हुए अदालत ने दिल्ली सरकार को ताजा रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 16 मई तक के लिए स्थगित कर दी।

पुलिस ने हाल ही में अदालत में दाखिल स्थिति रिपोर्ट में कहा है कि अधिकारी बम खतरों सहित आपदाओं से निपटने के लिए दिशानिर्देशों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। स्थिति रिपोर्ट में डीईओ ने कहा है कि विभाग ने स्कूलों को बम की धमकियों से निपटने के मुद्दे पर 16 अप्रैल को एक विशिष्ट परिपत्र जारी किया है और उसने स्कूलों के छात्रों और कर्मचारियों के लिए सुरक्षा योजना पर चर्चा करने के लिए पिछले महीने एक आपात बैठक बुलाई थी। मुद्दे पर विभिन्न हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ गहन चर्चा के बाद जारी विभिन्न परिपत्रों के माध्यम से स्कूल सुरक्षा के न्यूनतम मानकों, सुरक्षा आडिट करने के साथ संभावित आपदाओं की तैयारी के संबंध में आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं।


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