पू्र्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति की अपील मामले में जज ने सुनवाई से खुद को किया अलग, नहीं बताया कोई ठोस कारण
अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के आपराधिक अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सुनवाई के दौरान दो सदस्यीय पीठ के एक जज ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। इसके पश्चात कोर्ट ने मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष भेजने का निर्देश दिया ताकि सुनवाई के लिए मामले को नई बेंच को निर्दिष्ट किया जा सके।
विधि संवाददाता, लखनऊ। अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के आपराधिक अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में सुनवाई के दौरान दो सदस्यीय पीठ के एक जज ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। इसके पश्चात कोर्ट ने मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष भेजने का निर्देश दिया ताकि सुनवाई के लिए मामले को नई बेंच को निर्दिष्ट किया जा सके।
लखनऊ की सत्र अदालत ने 12 नवंबर 2021 को दुष्कर्म के मामले में गायत्री प्रजापति व अन्य अभियुक्तों को दोषसिद्ध ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है। गायत्री समेत अन्य अभियुक्तों ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल कर सत्र अदालत के उक्त निर्णय को चुनौती दी है। इसके साथ ही अपील लंबित रहने के दौरान जमानत पर रिहा करने की भी मांग की है।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की खंडपीठ के समक्ष एक मई को गायत्री व अन्य अपीलार्थियों के जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई होनी थी, लेकिन न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम ने उक्त सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। इसका कोई कारण आदेश में नहीं उद्धत किया गया है।
हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने दर्ज किया केस
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के आदेश पर एनडीपीएस एक्ट के मुकदमे में जेल में बंद अभियुक्त खट्टू कुमार उर्फ छोटू उर्फ बउवा की जमानत याचिका बिना उसके सहमति व निर्देश के दाखिल करने के मामले में सीबीआइ ने अज्ञात के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की है।