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'सुरक्षा उपकरण इस्तेमाल नहीं करने पर हादसे के लिए प्रबंधन जिम्मेदार नहीं', हाईकोर्ट की टिप्पणी

Jharkhand High Court झारखंड हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि प्रबंधन से सुरक्षा उपकरण दिए जाने के बाद श्रमिक इस्तेमाल नहीं करे तो इस दौरान हुई दुर्घटना के लिए प्रबंधन को जिम्मेवार नहीं ठहरा सकते। हाईकोर्ट ने बीएमसीएल मेटल कास्ट प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरायकेला के निचली अदालत के संज्ञान को उचित नहीं माना।

By Manoj Singh Edited By: Shashank Shekhar Published: Wed, 08 May 2024 09:17 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2024 09:17 PM (IST)
'सुरक्षा उपकरण इस्तेमाल नहीं करने पर हादसे के लिए प्रबंधन जिम्मेदार नहीं', हाईकोर्ट की टिप्पणी (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने एक फैसले में कहा कि प्रबंधन की ओर से सुरक्षा उपकरण दिए जाने के बाद भी श्रमिक इसका इस्तेमाल नहीं करे तो काम के दौरान हुई दुर्घटना के लिए प्रबंधन को जिम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने बीएमसीएल मेटल कास्ट प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरायकेला के निचली अदालत के संज्ञान को उचित नहीं माना।

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अदालत ने कंपनी के निदेशक के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को निरस्त कर दिया है। सरायकेला के आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया में एक कर्मचारी काम के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गया था। कर्मचारी ने मुआवजे के लिए केस किया।

फैक्ट्री प्रबंधन (बीएमसीएल मेटल कास्ट प्राइवेट लिमिटेड) को दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए मुआवजा देने की मांग की गई थी। इस मामले में सरायकेला सिविल कोर्ट के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने संज्ञान लेते हुए आपराधिक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया था।

फैक्ट्री प्रबंधन ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की

निचली अदालत के आदेश के खिलाफ में फैक्ट्री प्रबंधन ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान कंपनी की ओर से तर्क दिया गया कि फैक्ट्री अधिनियम 1948 की धारा 92 के तहत अदालत का संज्ञान अनुचित है, क्योंकि सुरक्षा उपायों में कथित खामियों के लिए कंपनी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

खासकर जब कर्मचारी ने खुद ही सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाने की बात स्वीकार की है। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि दुर्घटना फैक्ट्री परिसर के भीतर हुई है, इसलिए फैक्ट्री संचालक को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अदालत ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया।

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