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निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम को लेकर बड़ा खुलासा, CM की अनुमति के बावजूद उनके खिलाफ नहीं हुई FIR

टेंडर कमीशन घोटाले में निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के खिलाफ मुख्यमंत्री की अनुमति के बावजूद भ्रष्टाचार की प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी। छह जुलाई 2023 को जल संसाधन विभाग ने मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के प्रधान सचिव से इस विषय पर पत्राचार किया था। ईडी की अनुशंसा पर मुख्यमंत्री की सहमति लेकर विभाग ने मंत्रिमंडल निगरानी से प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा की थी।

By Dilip Kumar Edited By: Arijita Sen Published: Fri, 10 May 2024 11:11 AM (IST)Updated: Fri, 10 May 2024 11:11 AM (IST)
टेंडर कमीशन घोटाले में निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम

राज्य ब्यूरो, रांची। मुख्यमंत्री की अनुमति के बावजूद झारखंड एसीबी में सवा सौ करोड़ की अवैध संपत्ति अर्जित करने के आरोपित ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी।

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सीएम की अनुमति मिलने के बाद भी नहीं दर्ज हुई प्राथमिकी

वीरेंद्र राम के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा जल संसाधन विभाग ने छह जुलाई 2023 को की थी। मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के प्रधान सचिव को भेजे गए पत्र में स्पष्ट लिखा गया था कि ईडी की जांच रिपोर्ट के आधार पर विधिक परामर्श, मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद लिए गए निर्णय के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा की जा रही है।

इसकी प्रतिलिपि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भेजी गई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उक्त फाइल पर सहमति ली गई थी। अनुमति के बाद जल संसाधन विभाग ने छह जुलाई 2023 को वीरेंद्र राम पर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग के प्रधान सचिव से पत्राचार किया था। इसके बावजूद एसीबी में प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई।

जमशेदपुर में दर्ज केस से अलग एसीबी रांची में दर्ज होना था नया केस

वीरेंद्र राम पर दर्ज प्राथमिकी की अनुशंसा में जल संसाधन विभाग ने लिखा है कि ईडी ने एसीबी जमशेदपुर में 13 नवंबर 2019 को दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ही वीरेंद्र राम के विरुद्ध जांच की थी।

इसी आधार पर एसीबी जमशेदपुर ने पथ निर्माण विभाग के तत्कालीन कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा व वीरेंद्र राम के रिश्तेदार आलोक रंजन पर फाइनल रिपोर्ट दाखिल की थी।

एसीबी ने उस समय तीस ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें नकद, जेवरात, गाड़ियां व अवैध दस्तावेज मिले थे। इसके बाद ही ईडी ने मनी लांड्रिंग अधिनियम के तहत राज्य सरकार से भारतीय दंड विधि तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में प्राथमिकी दर्ज करने की अनुशंसा की थी।

इस पर सरकार ने विधिक सलाह ली गई थी कि तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की जाए या फिर एसीबी जमशेदपुर में दर्ज प्राथमिकी में ही उन्हें अभियुक्त के तौर पर जोड़ दिया जाए।

एसीबी व मंत्रिमंडल निगरानी के बीच घूमती रही फाइल

वीरेंद्र राम पर एसीबी में प्राथमिकी दर्ज करने की फाइल एसीबी व मंत्रिमंडल निगरानी विभाग के बीच घूमती रही। जल संसाधन विभाग ने मंत्रिमंडल निगरानी एवं सचिवालय विभाग से पत्राचार किया और उसकी प्रतिलिपि एसीबी को दी।

मंत्रिमंडल निगरानी विभाग से ही स्पष्ट निर्देश नहीं मिलने के चलते एसीबी ने वीरेंद्र राम पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की। पहले एसीबी जमशेदपुर के केस के साथ जोड़ने के लिए विभाग ने एसीबी को निर्देशित किया था, लेकिन एसीबी कोर्ट चाईबासा ने उसे अस्वीकृत कर दिया था।

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