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Deoria Lok Sabha Election: देवरिया में फिर सांसद बनेगा नया चेहरा, इन पर पार्टियों ने लगाया है दांव

Deoria lok sabha Election देवरिया में भाजपा की हैट-ट्रिक का मौका है और सामने से सपा के साथ मिलकर कांग्रेस उसे रोकने की कोशिश में है। भाजपा हो कांग्रेस या बसपा किसी भी दल ने अपने प्रत्याशी फिर बदल दिए हैं। गोरखपुर व बस्ती मंडल की नौ लोकसभा सीटों में से आठ सीटों पर पुराने सांसदों को फिर जनता का आशीर्वाद मिल सकता है लेकिन देवरिया में ऐसा नहीं है।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Published: Sat, 11 May 2024 11:14 AM (IST)Updated: Sat, 11 May 2024 11:14 AM (IST)
शशांक मणि त्रिपाठी भाजपा, अखिलेश प्रताप सिंह कांग्रेस, संदेश यादव बसपा। जागरण

 महेंद्र कुमार त्रिपाठी, जागरण देवरिया। संसदीय सीट देवरिया पर पिछले तीन लोकसभा चुनावों से कायम परंपरा इस बार भी बरकरार रहेगी। लगातार चौथी बार यहां से कोई नया चेहरा सांसद चुना जाएगा। 2009 से लेकर 2019 तक के चुनावों में किसी नेता को यहां से दोबारा संसद पहुंचने का मौका नहीं मिला।

ऐसा नहीं है कि जीते हुए प्रत्याशी को हार मिली हो, बल्कि राजनीतिक दल ने उन्हें दोबारा अवसर ही नहीं दिया। इस बार पार्टी के लिहाज से देखें तो भाजपा की हैट-ट्रिक का मौका है और सामने से सपा के साथ मिलकर कांग्रेस उसे रोकने की कोशिश में जुटी है। भाजपा हो, कांग्रेस या बसपा, किसी भी दल ने अपने प्रत्याशी फिर बदल दिए हैं।

गोरखपुर व बस्ती मंडल की नौ लोकसभा सीटों में से आठ सीटों पर पुराने सांसदों को फिर जनता का आशीर्वाद मिल सकता है लेकिन देवरिया में ऐसा नहीं है। यह स्थिति 15वीं लोकसभा के चुनाव से ही कायम है। 2009 में हुए इस चुनाव में भाजपा ने अपने पूर्व सांसद लेफ्टिनेंट जनरल श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी पर दांव लगाया था लेकिन उन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था।

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बसपा यहां नए चेहरे के रूप में गोरख प्रसाद जायसवाल को लेकर आयी थी और गोरख पहली बार संसद पहुंचने में कामयाब हुए थे। सपा ने मोहन सिंह को मौका दिया था लेकिन उन्हें तीसरा स्थान मिला। इसी तरह कांग्रेस के टिकट पर बालेश्वर यादव चौथे पायदान पर रहे।

पांच साल बाद हुए 16वीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा ने कद्दावर नेता कलराज मिश्र को यहां से मैदान में उतारा। उन्हें जीत भी मिली। बसपा ने गोरख प्रसाद का टिकट काट दिया और नियाज अहमद पर भरोसा जताया था। सपा ने पिछले चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर भाग्य आजमाने वाले बालेश्वर यादव को अवसर दिया था।

कांग्रेस ने यहां से सभाकुंवर को लड़ाया था। 2019 के चुनाव में भाजपा ने अपने जीते हुए प्रत्याशी कलराज मिश्र को दूसरी जिम्मेदारी दे दी। उनकी जगह पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. रमापति राम त्रिपाठी को टिकट थमा दिया। त्रिपाठी नए चेहरे के रूप में इस सीट से सांसद चुने गए।

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बसपा ने फिर प्रत्याशी बदलकर विनोद कुमार जायसवाल को उतारा था। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में बसपा के उम्मीदवार रहे नियाज अहमद को अपना हाथ दिया था। सपा इस चुनाव में बसपा के साथ थी। वर्तमान चुनाव में एक बार फिर सभी पार्टियों ने प्रत्याशी बदल दिए हैं।

भाजपा ने सांसद डा. रमापति को टिकट नहीं दिया है। उनकी जगह पूर्व सांसद श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के पुत्र शशांक मणि त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया गया है। सपा का इस बार कांग्रेस से गठबंधन है इसलिए प्रत्याशी नहीं उतारा गया है।

कांग्रेस ने भी प्रत्याशी में बदलाव कर अखिलेश प्रताप सिंह पर दांव लगाया है। बसपा ने भी फिर प्रत्याशी बदलकर संदेश यादव को मैदान में उतारा है। सभी चेहरे देवरिया के संसदीय चुनाव में नए हैं इसलिए फिर नया सांसद मिलना तय है।


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