डिजिटल इंडिया में कैशलेस बढ़ा ट्रांजेक्शन, थम गईं शहर को थर्राने वालीं लूट की वारदातें; पढ़ें कैसे बदली तस्वीर
पहले शायद ही ऐसा कोई साल महीना होता था जब बैंक के बाहर बैंक से आते-जाते समय किसी कारोबारी या उसके कर्मचारी व कलेक्शन एजेंसी के कर्मचारी को टारगेट कर लूट की वारदात नहीं होती थी। करीब डेढ़ साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो नकद रुपये लूटे जाने की एक भी बड़ी वारदात नहीं हुई इसकी वजह कैशलेस ट्रांजेक्शन का बढ़ना है।
अमित मिश्रा, ग्वालियर। सरेआम गोली मारकर लाखों रुपये लूटने की वारदातों से शहर थर्राया रहता था। शायद ही ऐसा कोई साल, महीना होता था जब बैंक के बाहर, बैंक से आते-जाते समय किसी कारोबारी या उसके कर्मचारी व कलेक्शन एजेंसी के कर्मचारी को टारगेट कर लूट की वारदात नहीं होती थी। लूट की रकम लाखों में होती थी।
यह घटनाएं अक्सर शहरवासियों को चिंता में डाल देती थीं। लोगों को बड़ी रकम साथ ले जाने में डर लगता था, लेकिन लाखों रुपये लूट की यह वारदातें अब थम गईं हैं। करीब डेढ़ साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो नकद रुपये लूटे जाने की एक भी बड़ी वारदात नहीं हुई, इसकी वजह कैशलेस ट्रांजेक्शन का बढ़ना है।
डिजिटल इंडिया की राह पर ग्वालियर बढ़ रहा है
डिजिटल इंडिया के दौर में लाखों-करोड़ों का व्यापारिक लेनदेन हो या रोजमर्रा के छुटपुट खर्च, हर जगह कैशलेस ट्रांजेक्शन हो रहा है। नईदुनिया टीम ने आंकड़े और केस स्टडी के आधार पर विश्लेषण किया, जिसमें सामने आया कि डिजिटल इंडिया की राह पर ग्वालियर बढ़ रहा है, इसके सकारात्मक परिणाम सिर्फ सुविधा तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि सुरक्षित पैसा और सुरक्षित कारोबार के रूप में भी सामने आ रहे हैं।
डिजिटल इंडिया ने बदली ग्वालियर की यह तस्वीर
2018 से अब तक शहर में हुईं लूट की बड़ी वारदातों की केस स्टडी नईदुनिया ने की, इसमें सामने आया कि लगभग डेढ़ साल पहले डबरा में लूट की बड़ी वारदात हुई थी, जिसमें कारोबारी को गोली मारकर बदमाश 35 लाख रुपये लूट ले गए थे। इस घटना के बाद बैंक के बाहर या बैंक से आते-जाते समय लुटेरे किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दे सके, क्योंकि अब कारोबारी हों या अन्य लोग इतनी अधिक रकम साथ लेकर नहीं चलते, बल्कि कैशलेस ट्रांजेक्शन को सुरक्षित मानते हैं।
आंकड़े बताते हैं कि लूट तो हो रही हैं, लेकिन लुटेरे अब छुटपुट रकम या वस्तुएं ही लूट पा रहे हैं, क्योंकि कैशलेस ट्रांजेक्शन जैसे पे-वालेट, यूपीआइ, नेट बैंकिंग पर भरोसा अधिक होने से लोग कैश लेकर नहीं चलते।
कोरोना काल के बाद नकद लेनदेन कम हुआ
कैशलेस ट्रांजेक्शन 2020 के बाद तेजी से बढ़ा है। कोरोना काल के बाद नकद लेनदेन कम हुआ, चाहे व्यापार में बड़े ट्रांजेक्शन हों या रोजमर्रा के छुटपुट भुगतान, इसमें डिजिटल लेनदेन बढ़ा। 2020 से पहले हर साल चार से पांच लूट की बड़ी घटनाएं होती थीं, जिनसे आम आदमी तक दहशत में आ जाता था। 2021 के बाद ऐसी घटनाएं न के बराबर होने लगीं। 2023 में बैंक से आते-जाते समय लूट की बड़ी वारदात नहीं हुई। 2024 में चार माह में एक भी ऐसी वारदात नहीं हुई।
इन घटनाओं ने हिलाकर रख दिया था शहर
21 नवंबर 2022: हरेंद्र ट्रेडिंग कंपनी के मुनीम और ड्राइवर से 1.20 करोड़ रुपये की लूट इंदरगंज में हुई थी। इस लूट में कर्मचारी ही शामिल निकले थे, बाहर के बदमाशों ने लूट नहीं की थी।
22 नवंबर 2022: डबरा के गल्ला व्यापारी रामसेवक बजाज को गोली मारकर बदमाश 35 लाख रुपये लूट ले गए थे। 10 दिन बाद पुलिस ने इस घटना का खुलासा कर दिया था। बैंक से रुपये निकालकर कारोबारी दुकान जा रहा था।
25 जनवरी 2021: पुरानी छावनी में पेट्रोल पंप के मुनीम के साथ लूट हुई। यहां से बाइक सवार हथियारबंद बदमाश 2.25 लाख रुपये लूट ले गए थे।
छह जुलाई 2019: सिक्योर ट्रांस कलेक्शन कंपनी की कैश वैन लूटी थी। गार्ड रमेश तोमर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। ड्राइवर घायल हो गया था।
23 अक्टूबर 2019: स्टेट बैंक आफ इंडिया के बाहर गैस एजेंसी के मुनीम वासुदेव शर्मा को गोली मारकर रुपये लूट लिए गए थे।
सात मई 2018: सिटी सेंटर में टोल बैरियर मैनेजर के मुनीम को गोली मारकर 24 लाख रुपये लूटे। फील्ड आफीसर के हाथ में 24.80 लाख रुपये से भरा बैग था, जिसे बदमाश लूट ले गए थे।
यह हैं आंकड़े...
वर्ष: डकैती- लूट
2020: 3- 81
2021: 4- 96
2022: 6- 57
2023: 2- 64
अब दो से तीन दिन में होता है एटीएम में कैश फ्लो
शहर में विभिन्न बैंकों के मिलाकर कुल 338 एटीएम हैं, इनमें एसबीआइ के लगभग 150 एटीएम भी शामिल हैं। हर जगह की मांग के अनुसार कैश फ्लो किया जाता है। बैंक अधिकारियों के अनुसार तीन से चार साल पहले जहां प्रतिदिन एटीएम में कैश फ्लो होता था, वह अब दो से तीन दिन में हो रहा है। इसका बड़ा कारण आनलाइन ट्रांजेक्शन है। अब लोग कुछ भी खरीदने पर रुपये देने के बजाए आनलाइन पे करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।