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Akshaya Tritiya Wedding Muhurat: अक्षय तृतीया पर इस बार नहीं गूंजेगी शहनाई; 23 साल बाद हो रहा ऐसा

अक्षय तृतीया स्वयंसिद्ध मुहूर्त होने के कारण विवाह गृह प्रवेश मुंडन आदि शुभ मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त की जरूरत नहीं होती। लगभग 23 वर्षों के बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब अक्षय तृतीया के दिन गुरु और शुक्र के अस्त होने के कारण मांगलिक कार्य पर पाबंदी रहेगी। बता दें कि इसी दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन फलदाई माना जाता है।

By Vijay Kumar Ojha Edited By: Rajat Mourya Published: Mon, 06 May 2024 04:49 PM (IST)Updated: Mon, 06 May 2024 04:49 PM (IST)
अक्षय तृतीया पर इस बार नहीं गूंजेगी शहनाई; 23 साल बाद हो रहा ऐसा

संवाद सूत्र, उदवंतनगर। Akshaya Tritiya Wedding Shubh Muhurat 2024 अक्षय तृतीया का सनातन धर्मावलंबियों के बीच विशेष महत्व है। यह वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, शुक्रवार 10 मई को मनाई जाएगी। इसी दिन भगवान परशुराम का धरती पर अवतार माना जाता है। अक्षय तृतीया पर 23 साल बाद न तो शहनाई गूंजेगी और न ही कोई मांगलिक कार्य होंगे।

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अबूझ मुहूर्त अथवा स्वयं सिद्ध मुहूर्त होने के बावजूद भी शुक्र और गुरु के अस्त होने के कारण सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लगा रहेगा। वहीं, तृतीया तिथि का लोप होने के कारण 14 दिनों का ही पक्ष रहेगा। सोना और वाहन खरीदी के लिए स्थिर लग्न में शुभ मुहूर्त मिल रहा है।

इसी दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन फलदाई माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन गजकेसरी योग, यमघट योग, रवि योग, स्थाई जय योग तथा श श नामक उत्तम योग मिल रहा है। चन्द्रमा व वृहस्पति की युति होने के कारण गजकेसरी योग बन रहा है। इस दौरान की गई पूजा, दान व व्रत अत्यंत फलदाई होता है।

नहीं होंगे विवाह-मांगलिक कार्य

अक्षय तृतीया स्वयंसिद्ध मुहूर्त होने के कारण विवाह, गृह प्रवेश मुंडन आदि शुभ मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त की जरूरत नहीं होती। लगभग 23 वर्षों के बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब अक्षय तृतीया के दिन गुरु और शुक्र के अस्त होने के कारण मांगलिक कार्य पर पाबंदी रहेगी।

पंडित विवेकानंद पांडेय ने बताया कि गुरु और शुक्र मांगलिक कार्यों के कारक माने जाते हैं। अक्षय तृतीया 10 मई शुक्रवार को सुबह 4:17 बजे से शुरू होकर दिन 2:50 बजे तक रहेगी। तृतीया की पूजन अवधि सुबह 5:31 बजे से दोपहर 12.18 बजे तक होगी।

इस वर्ष वैशाख के कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि सोमवार 29 अप्रैल को रात में 11:14 बजे शुक्र पूर्व दिशा में अस्त हो चुके हैं, जो आषाढ़ कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि शुक्रवार 28 जून को शाम 5:06 बजे पश्चिम दिशा में उदय लेंगे।

वहीं, गुरु बैशाख कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि सोमवार छह मई को रात 11:02 बजे पश्चिम दिशा में अस्त हुए, जो ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि सोमवार 3 जून को प्रातः 7:01 बजे पूर्व दिशा में उदय लेंगे। ऐसे में 66 दिनों के लिए विवाह, मुंडन गृह प्रवेश, उद्यापन आदि मांगलिक कार्य पर रोक रहेगी। गुरु और शुक्र के अस्त होने के कारण मई और जून महीने में लग्न मुहूर्त नहीं है।

अक्षय तृतीया से खुलते हैं बदरीनाथ और केदारनाथ के कपाट

अक्षय तृतीया के दिन ही सतयुग और त्रेता युग का आरंभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने नर नारायण, हयग्रीव और परशुराम के रूप में अवतार लिया था। आज ही के दिन केदारनाथ और बदरीनाथ का कपाट दर्शन और पूजन के लिए खोले जाते हैं। वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी जी मंदिर में अक्षय तृतीया के दिन ही श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं।

बसंत का समापन और ग्रीष्म ऋतु का होगा आरंभ अक्षय तृतीया को बसंत का अंत और ग्रीष्म ऋतु का आरंभ माना जाता है। इसलिए इस दिन जल से भरे घड़े, कुल्हड़, सकोरे, पंखे खड़ाऊं, छाता, सत्तू, तरबूज ककड़ी आदि गर्मी में लाभकारी वस्तुओं का दान किया जाता है।

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पूजन की परंपरा है। नैवेद्य में जौ का सत्तू, ककड़ी, और चने की दाल अर्पित किया जाता है। इस दिन सत्तू आवश्य खाने तथा नई वस्तु और आभूषण पहनने की परंपरा है।

विवाह के कारक हैं शुक्र और गुरु

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाह के लिए कुंडली और गुण दोष का मिलान किया जाता है। गुरु और शुक्र को विवाह का कारक ग्रह माना गया है। आकाश मंडल में गुरु और शुक्र ग्रह उदय हो तो विवाह के लिए शुभ माना जाता है। दोनों ग्रहों के अस्त होने की अवस्था में विवाह के लिए मुहूर्त नहीं माना जाता।

वर्जित कार्य

  • विवाह, गृह प्रवेश, बावड़ी, भवन, कुंआ, तालाब, बगीचा, जल के बड़े हौदे का निर्माण, व्रत का प्रारंभ, उद्यापन, प्रथम उपाकर्म ,नई वधू का गृह प्रवेश और द्विरागमन, जनेऊ, प्राण प्रतिष्ठा

होंगे ये कार्य

  • अन्नप्राशन, जातकर्म, दुकान, वाहन क्रय, स्वर्ण और चांदी क्रय विक्रय एवं नामकरण

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