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हो लड़ाकों के गढ़ में वोट पर चोट मार 101 वर्षीय बेला सेन ने बटोरी सुर्खियां, होम वोटिंग कर लोकतंत्र को बनाया मजबूत

निर्वाचन आयोग के निर्देश पर अधिक से अधिक मतदान सुनिश्चित करने के लिए बुजुर्गों और दिव्‍यांग के लिए होम वोटिंग का इंतजाम किया गया है। इसकी मदद से घर पर बैठे मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सिंहभूम की 101 वर्षीय बेला सेन ने इसी तरह से घरेलू मताधिकार का उपयोग किया है।

By Md Taquiddian Edited By: Arijita Sen Published: Thu, 09 May 2024 08:37 AM (IST)Updated: Thu, 09 May 2024 08:37 AM (IST)
101 वर्षीय मतदाता बेला सेन को घरेलू मतदान कराने खूद पहुंचे जिला निर्वाचन पदाधिकारी कुलदीप चौधरी।

जागरण संवाददाता, चाईबासा। हो लड़ाकों की धरती सिंहभूम में 101 वर्ष की बेला सेन सुर्खियों में है। बेला सेन ने मतदान प्रतिशत को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से शुरू की गयी होम वोटिंग की सुविधा का इस्तेमाल कर लोकसभा चुनाव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है।

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बुजुर्गों के लिए घरेलू मतदान का विकल्‍प

झारखंड के नक्सल प्रभावित सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में रहने वाली चाईबासा निवासी 101 वर्षीय बेला सेन इस उम्र में भी अपने अधिकार से वंचित नहीं होना चाह रही थी।

उनकी इसी चाहत को निर्वाचन आयोग के निर्णय ने पंख लगाने का कार्य किया। आयोग ने इस बार 85 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों व दिव्यांग मतदाताओं के लिए घरेलू मतदान का विकल्प दिया है।

घर से वोट डाल मताधिकार का किया प्रयोग

24 अक्टूबर, 1923 को जन्मीं बेला सेन जो मतदान केंद्र तक का सफर तय करने में असमर्थ थीं, उन्होंने घरेलू मतदान का विकल्प चुना, एक ऐसा निर्णय जो चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के प्रति उनके अटूट समर्पण को रेखांकित करता है।

इसमें सबसे पहली भागीदारी बेला सेन की रही। उन्होंने अपने घर में मत पत्र से मतदान कर अपने अधिकार को दर्शाया। इस बुजुर्ग महिला के हौसला को देखते हुए जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त चाईबासा कुलदीप चौधरी ने स्वयं उनके घर पहुंच कर उत्साहवर्द्धन किया।

बुजुर्गों और दिव्‍यांग को होम वोटिंग की सुविधा

इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला निर्वाचन पदाधिकारी कुलदीप चौधरी ने कहा कि निर्वाचन आयोग के द्वारा इस बार उन्हें भी मतदान करने का अधिकार दिया गया है, जो बुजुर्ग और दिव्यांग है, उनके लिए होम वोटिंग की सुविधा दी जा रही है। इसी के तहत बेला सेन ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है। ऐसे लोग ही भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करते हैं।

निर्वाचन आयोग के निर्देश पर हम अधिक से अधिक मतदान के लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतांत्रिक अभ्यास में कोई भी मतदाता छूट न जाए। बेला सेन जैसे कई अन्य लोग हैं जिनके लिए हमने विशेष घरेलू मतदान व्यवस्था की है।

इस निर्वाचन क्षेत्र में 62 से अधिक मतदाता हैं जो 100 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। इन 62 बुजुर्ग लोगों और 85 साल से ऊपर के 3,909 मतदाताओं के अलावा 13,703 विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) के लिए हमने सुनिश्चित किया कि उन्हें घर पर मतदान का विकल्प मिले।

इनमें से 85 वर्ष से अधिक आयु के 45 मतदाताओं और 33 दिव्यांगों ने घर पर मतदान का विकल्प चुना था। 85 वर्ष से अधिक आयु के 35 मतदाता और 27 दिव्यांग घर पर मतदान के माध्यम से अपने मताधिकार का प्रयोग कर चुके हैं। यहां बता दें कि बेला सेन के पुत्र प्रोफेसर अशोक सेन सिंहभूम के चर्चित इतिहासकार हैं। 2006 में टाटा काॅलेज से सेवानिवृत्त होने के बाद चाईबासा में ही रह रहे हैं।

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