Onion Exports: किसी के लिए राहत तो किसी के लिए आफत बना प्याज, निर्यात की मंजूरी तो मिली, लेकिन...
देश में इस बार लगभग 800 लाख टन प्याज उत्पादन का अनुमान है। ऐसे में सिर्फ 99 हजार टन प्याज के निर्यात की अनुमति देने से कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। किसानों की मांग है कि कम से कम 15 लाख टन प्याज के निर्यात को मंजूरी दी जाए। पिछले वर्ष प्याज की खरीफ और रबी दोनों का कम उत्पादन हुआ था जिसके चलते दाम बढ़ने लगा था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। Onion Exports लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले जब प्याज के दाम आसमान चढ़ रहे थे तो उपभोक्ताओं की जेब हल्की हो रही थी। अब नई फसल के आने के बाद खुले बाजार में प्याज की गिरती कीमतों ने किसानों को बेचैन कर रखा है। केंद्र सरकार ने पांच माह से प्याज के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाकर काफी हद तक किसानों को राहत देने का प्रयास किया है। यद्यपि इसे चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि किसानों को साधने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
केंद्र ने दो दिन पहले छह देशों बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, बहरीन, मारीशस और श्रीलंका को 99,150 टन प्याज के निर्यात की अनुमति दी है। इसके साथ ही केंद्र ने मध्य-पूर्व और कुछ यूरोपीय देशों के बाजारों के लिए विशेष रूप से उपजाए गए दो हजार टन सफेद प्याज के निर्यात की अनुमति दी है। किसान इसे नाकाफी मान रहे हैं।
इस साल प्याज की बंपर फसल का अनुमान
देश में इस बार लगभग 800 लाख टन प्याज उत्पादन का अनुमान है। ऐसे में सिर्फ 99 हजार टन प्याज के निर्यात की अनुमति देने से कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। किसानों की मांग है कि कम से कम 15 लाख टन प्याज के निर्यात को मंजूरी दी जाए। पिछले वर्ष प्याज की खरीफ और रबी दोनों का कम उत्पादन हुआ था, जिसके चलते दाम बढ़ने लगा था। केंद्र सरकार ने बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ाकर बढ़ते दाम पर नियंत्रण के लिए पिछले आठ दिसंबर को निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। यह अवधि 31 मार्च को खत्म हो रही थी, किंतु चुपचाप इसे आगे बढ़ा दिया गया।
सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में होता है उत्पादन
देश में सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन महाराष्ट्र में होता है। इस बार भी बंपर उत्पादन हुआ है। ऐसे में निर्यात पर प्रतिबंध के चलते घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता बढ़ गई और कीमत लगातार गिरने लगी। उपभोक्ताओं के लिए तो यह राहत की बात है, लेकिन किसानों की परेशानी यहीं से शुरू हो गई। पर्याप्त भंडारण की समस्या के कारण किसान अपनी फसल को औने-पौने कीमत में बेचने पर मजबूर होने लगे। ऐसे में केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात की अनुमति देकर किसानों एवं उपभोक्ताओं में संतुलन साधने का प्रयास किया है।
पांच लाख टन प्याज का भंडारण
मूल्य नियंत्रण कोष के तहत केंद्र सरकार ने रबी प्याज की बफर खरीद का लक्ष्य इस वर्ष पांच लाख टन निर्धारित किया है। केंद्रीय खरीद एजेंसियां भंडारण योग्य प्याज की खरीद शुरू करने के लिए एफपीओ समेत अन्य स्थानीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं। शीतगृहों एवं स्टाक में भंडारण के दौरान प्याज के होने वाले नुकसान को घटाकर दस प्रतिशत तक लाने का प्रयास किया जा रहा है।