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आदमखौर की मौत से नहीं टला खतरा, दो बाघ अभी भी मौजूद

दो लोगों को मौत की नींद सुलाने वाले बाघ की मौत के बाद भी रामनगर के आसपास के क्षेत्र में खतरा अभी टला नहीं है। क्षेत्र में अभी दो बाघों की मौजूदगी है।

By BhanuEdited By: Published: Sat, 18 Mar 2017 12:50 PM (IST)Updated: Sun, 19 Mar 2017 05:03 AM (IST)
आदमखौर की मौत से नहीं टला खतरा, दो बाघ अभी भी मौजूद
आदमखौर की मौत से नहीं टला खतरा, दो बाघ अभी भी मौजूद

रामनगर, नैनीताल [जेएनएन]: सावधान रामनगर व आसपास के क्षेत्र में खतरा अभी टला नहीं। दो लोगों को मौत की नींद सुलाने वाले बाघ से भले ही लोगों को निजात मिल गई, लेकिन खतरे के बादल अभी भी वन क्षेत्र के किनारे मंडरा रहे हैं। क्षेत्र में अभी दो बाघों की मौजूदगी है।

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दरअसल, जनवरी में वन विभाग की ओर से लगाए गए कैमरा ट्रैप में दस वर्ग किमी के दायरे में अलग-अलग जगह पर पांच बाघ व एक बाघिन की तस्वीर आई थी। कम वन क्षेत्र में छह बाघों की मौजूदगी आपसी संघर्ष की वजह बन गई। 

बाघों के बीच वर्चस्व कायम करने के लिए जंग होती रही। इस जंग में 19 जनवरी को देचौरी, 16 फरवरी को बैलपड़ाव, 22 फरवरी को फिर बैलपड़ाव में एक बाघ मारा गया। 16 मार्च को दो इंसानी जीवन को खत्म करने के बाद एक और बाघ ने रेस्क्यू के बाद दम तोड़ दिया। यह बाघ भी पूर्व में आपसी संघर्ष में घायल हो गया था। 

छह में से चार बाघ खत्म होने के बाद अभी भी छोई के वन क्षेत्र में एक बाघ व एक बाघिन घूम रही है। ऐसे में जनसुरक्षा को लेकर वन विभाग के अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। बाघों की मौजूदगी से क्यारी, छोई, बैलपड़ाव, टेड़ा आदि गांव में खतरा बरकरार है। 

पहले से घायल घूम रहा था बाघ

दो लोगों को मौत की नींद सुलाने वाला बाघ पहले से घायल था। वनकर्मियों ने बाघ घायल अवस्था में घूमते हुए देखा था। साथ ही कैमरा ट्रैप में भी वह आया था। इसके बाद से वन विभाग उसे रेस्क्यू करने की तैयारी में था।

आसपास के क्षेत्र में अलर्ट 

वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त डॉ. पराग मधुकर धकाते के मुताबिक कैमरा ट्रैप में छह बाघ दिखाई दिए थे। इसमें से चार बाघ आपसी संघर्ष में अब तक मर चुके हैं। क्षेत्र में बाघ व बाघिन की मौजूदगी के चलते आसपास के क्षेत्रों में अलर्ट किया जा रहा है।

इन बातों का रखें ख्याल

- छोई, टेड़ा, क्यारी, बैलपड़ाव से सटे वन क्षेत्रों में जाने से बचे

- यदि जाना जरूरी हो तो समूह के रूप में शोर करते हुए जाएं

- जलस्रोत व नालों के आसपास न जाएं

- जंगल में मृत जानवर के नजदीक न जाएं

- मवेशियों को घने जंगल में न चराएं

- वन क्षेत्र से निकलने वाली सड़क पर देर शाम व रात में अकेले न जाएं

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