दून अस्पताल में स्वाइन फ्लू का संदिग्ध मामला आया सामने
दून अस्पताल में भर्ती एक मरीज में स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए गए हैं। मरीज के खून का सैंपल जांच के लिए दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनएसडीसी) को भेज दिया गया है।

देहरादून, [जेएनएन]: स्वास्थ्य विभाग भले ही स्वाइन फ्लू की मौजूदगी को नकार रहा है, पर असलियत कुछ और ही है। इक्का-दुक्का ही सही पर इस बीमारी के मरीज लगातार सामने आ रहे हैं। दून अस्पताल में भर्ती एक मरीज में स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए गए हैं। मरीज के खून का सैंपल जांच के लिए दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनएसडीसी) को भेज दिया गया है। 31 वर्षीय मरीज को चार जुलाई को दून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
स्वाइन फ्लू के मामले अनूमन अगस्त से मार्च के बीच सामने आते हैं, लेकिन इस दफा फरवरी से जुलाई के बीच स्वाइन फ्लू की मौजूदगी चौंकाने वाली है। स्वाइन फ्लू के मामले सामने आने से स्वास्थ्य महकमे में भी हड़कंप है। हाल में श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल तीन मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टी कर चुका है। वहीं अब दून अस्पताल में भी एक मरीज कंडोली से भर्ती हुआ है। मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।
मेडिकल कॉलेज में श्वास रोग के विभागाध्यक्ष और स्वाइन फ्लू के नोडल अधिकारी डॉ. रामेश्वर पांडे ने मरीज के खून की जांच और अन्य परीक्षण किए तो प्रथम दृष्टया मामला स्वाइन फ्लू का प्रतीत हुआ। मरीज को आइसीयू में रखा गया है।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि मरीज की खून के सैंपल लेकर एनएसडीसी भेजा गया है। वहीं, मेडिसिन विभाग को निर्देश जारी किए हैं कि स्वाइन फ्लू और डेंगू के लक्षण होने पर तुरंत सूचित किया जाए। ताकि उनको संबंधित वार्ड में रखा जा सके। उन्होंने बताया कि अस्पताल में डेंगू व स्वाइन फ्लू को लेकर पूरी एहतियात बरती जा रही है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के लक्षण सामान्य वायरल की तरह ही होते हैं। तेज बुखार, ठंड लगाना, गले में खराश, खांसी, मांस-पेशियों और सिर दर्द होना और कमजोरी महसूस होना। डॉक्टरों के मुताबिक स्वाइन फ्लू के मरीज में तीन अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं। इसलिए वायरल लंबा खिंचने पर भी स्वाइन फ्लू (एन्फ्लूएंजा एच1एन1) की जांच करा लेनी चाहिए।
यह सावधानी बरतें
- स्वाइन फ्लू से बचने के लिए साफ-सफाई का खास ख्याल रखें।
- स्वाइन फ्लू के लक्षण भी दिखें तो मास्क पहनना शुरू कर दें।
- खांसते समय छींकते समय नाक-मुंह को रुमाल या टीशू पेपर से कवर करें।
- अल्कोहल बेस्ड सैनटाइजर का इस्तेमाल करें।
- हाथ मिलाने से बचें और नियमित अंतराल पर हाथ धोते रहें।
- सांस लेने में परेशानी, तीन-चार दिन से बुखार हो तो डॉक्टर को दिखाएं।
- स्वाइन फ्लू के टेस्ट में गले और नाक के द्रव्यों की जांच की जाती है, जिससे एच1
एन1 वायरस की पुष्टि होती है।
- ऐसा कोई भी टेस्ट डॉक्टर की सलाह के बाद ही कराएं।
- बिना मास्क पहने भीड़भाड़ में ना जाएं, अस्पताल जाते समय सावधानी बरतें।
इन्हें हाई रिस्क
-85 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग
-दो साल से कम उम्र के बच्चे
-एचआईवी से संक्रमित मरीज
-गर्भवती महिलाएं और प्रसूताएं
-सांस, लीवर और किडनी के मरीज 19 वर्ष और इस बीच के युवक
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